पाकिस्तान की तरह भारत में भी बेचना चाहते हैं सामान, तालिबान ने मोदी सरकार को दिया बड़ा ऑफर
भारत लगातार अफगानिस्तान को मानवीय सुविधाएं मुहैया करवा रहा है और अफगानों की मदद के लिए भारत लगातार गेहूं और दवाएं भेज रहा है।
काबुल, अगस्त 18: पिछले दो महीने से भारत सरकार और तालिबान के बीच बातचीत सकारात्मक दिशा में है और अब अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने भारत को सामान निर्यात करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि तालिबान सभी देशों के साथ अच्छे संबंध चाहता है। तालिबानी अधिकारियों के साथ मोदी सरकार ने पिछले दिनों संवाद कायम किए हैं और भारत सरकार ने काबुल स्थिति अपने दूतावास में टेक्निकल अधिकारियों को फिर से भेज दिए हैं और तालिबान के साथ भारतीय अधिकारियों की आधिकारिक बैठक भी हुई है, ऐसे में सवाल उठ रहे हैं, कि क्या भारत सरकार तालिबान की इस मांग को मानेगी?
तालिबान के विदेश मंत्री ने क्या कहा?
कंधार में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए तालिबान सरकार के मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने कहा कि, "इस्लामिक अमीरात सभी देशों के साथ अच्छे संबंध चाहता है। लेकिन कुछ देशों के साथ 20 साल के युद्ध के बाद संबंध जल्दी सामान्य होने की उम्मीद नहीं है।" मुत्ताकी कंधार में आदिवासी नेताओं की एक सभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि, अगर पाकिस्तान को अपना माल एशियाई देशों तक ले जाने के लिए इजाजत दी जाती है, तो फिर अफगानिस्तान को भी भारत तक अपना सामान पहुंचाने में सक्षम होना चाहिए।' अफगानिस्तान पर नजर रखने वाले जानकारों के मुताबिक, तालिबान के मंत्री ने एक तरफ से ये संदेश पाकिस्तान को दिया है, जिसने अपने रास्ते भारत के लिए बंद कर रखे हैं। तालिबान के मंत्री ने सभा में आगे बोलते हुए कहा कि, 'हम अफगानिस्तान के रास्ते भारतीय सामानों को पाकिस्तान के रास्ते उज्बेकिस्तान तक पहुंचने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे।'
अफगानिस्तान में वापसी करता भारत
पिछले दिनों एशिया टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है, कि भारत ने काफी खामोशी के साथ अफगानिस्तान में खुद को फिर से स्थापित कर लिया है और भारत ने वास्तव में साझा हितों के आधार पर संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ अफगानिस्तान में घनिष्ठ समन्वय में काम कर रहा है। एशिया टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत और अमेरिका की कोशिश, अफगानिस्तान को स्थिर करने की है और दोनों देश एक समावेशी सरकार के गठन को बढ़ावा देना चाहते हैं और दोनों देश जबरदस्ती सत्ता में आई किसी भी पार्टी को मान्यता देने के खिलाफ हैं। अफगानिस्तान के लिए अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि टॉम वेस्ट ने मई 2022 में भारतीय अधिकारियों के साथ-साथ नई दिल्ली में अफगानिस्तान के पूर्व मुख्य कार्यकारी अब्दुल्ला अब्दुल्ला के साथ बातचीत की थी।
अफगानिस्तान पर भारत की नीति
नवंबर 2021 में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने नई दिल्ली में अफगानिस्तान पर तीसरी क्षेत्रीय सुरक्षा वार्ता की मेजबानी की थी। जिसमें भारत ने यह स्पष्ट कर दिया था, कि भारत का मकसद तालिबान को उखाड़ फेंकने के लिए एक गठबंधन को पुनर्जीवित करना नहीं है, बल्कि भारत का उद्येश्य यह है, कि आईएसआईएस-के और अल कायदा जैसे संगठनों के पुनरुत्थान को रोका जाए। वहीं, अफगानिस्तान के आंतरिक मामलों में गैर-हस्तक्षेप के इस विषय को जून 2022 की वार्ता में दोहराया भी गया था। इसके साथ ही भारत ने फरवरी 2022 में घोषणा की थी, कि वह मानवीय राहत के लिए अफगानिस्तान को 50,000 टन गेहूं उपलब्ध कराएगा और गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बाद भी भारत अफगानिस्तान में गेहूं भेज रहा है और भारत की नीति से ही पाकिस्तान को भारतीय ट्रकों को अफगानिस्तान जाने के लिए अपने रास्ते का इस्तेमाल करने देने के लिए मजबूर होना पड़ा।
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