भारत के समर्थन में पहली बार तालिबान का बड़ा बयान, पाकिस्तान की तानाशाही मानने से किया इनकार
तालिबान ने कहा है कि पाकिस्तान हमारे ऊपर तानाशाही नहीं कर सकता है और भारत के पक्ष में तालिबान ने बड़ा बयान दिया है।
काबुल, जुलाई 13: अफगानिस्तान में तालिबान लगातार पांव पसार रहा है, लेकिन धीरे धीरे तालिबान ने पाकिस्तान को झटका देना शुरू कर दिया है। तालिबान राज में अफगानिस्तान में मनमानी का सपना देख रहे पाकिस्तान को तालिबान ने बहुत बड़ा झटका दिया है और तालिबान के बढ़ते प्रभाव के बीच भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत हुई है। तालिबान ने कहा है कि पाकिस्तान में हमें भारत के खिलाफ इस्तेमाल नहीं कर सकता है।
पाकिस्तान को बड़ा झटका
अफगानिस्तान में भारत की कूटनीतिक पहल धीरे धीरे रंग ला रही है। तालिबान ने कहा है कि वो पाकिस्तान की मर्जी के मुताबिक काम नहीं करने वाला है और उसके किस देश से क्या संबंध होंगे, इसका फैसला पाकिस्तान नहीं कर सकता है। तहरीक-ए-तालिबान के इस बयान ने भारत की कई चिंताओं को कम कर दिया है। हालांकि, तालिबान ने भारत से तटस्थ रहने की अपेक्षा व्यक्त की है और अफगानिस्तान के लोगों से उनका समर्थन करने की अपील की है न कि किसी थोपी गई सरकार से। तालिबान ने कहा कि हमें उम्मीद है कि तालिबान और अफगानिस्तान सरकार के बीच संघर्ष में भारत निष्पक्ष रहेगा।
पाकिस्तान की कड़ी आलोचना
तहरीक-ए-तालिबान अफगानिस्तान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने पाकिस्तान को झटका देते हुए दो टूक कहा है कि पाकिस्तान उसके ऊपर तानाशाही नहीं चला सकता और न ही तालिबान पर अपने विचार थोप सकता है। शाहीन ने भारत से इस मामले में निष्पक्ष रहने की उम्मीद जताई है। सुहैल के इस बयान ने पाकिस्तान को झटका दिया है, जो अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के बाद तालिबान के साथ अपनी मनमानी करने का सपना देख रहा था।
''पाकिस्तान नहीं कर सकता है तानाशाही''
पाकिस्तान के जियो न्यूज को दिए इंटरव्यू के दौरान जब सुहैल से पूछा गया, कि क्या तालिबान पाकिस्तान की बात नहीं सुनना चाहता है, इस पर उन्होंने कहा कि हम आपस में भाईचारा का रिश्ता चाहते हैं। तालिबान के प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तान शांति प्रक्रिया में हमारी मदद कर सकता है, लेकिन वो हमारे ऊपर तानाशाही नहीं चला सकतेा है। तालिबानी प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तान हम पर कोई विचार थोप नहीं सकता और यह अंतरराष्ट्रीय सिद्धांतों के खिलाफ है।
अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल नहीं
तालिबान के प्रवक्ता ने पाकिस्तानी न्यूज चैनल पर दिए गये इंटरव्यू के दौरान जोर देकर कहा कि, अफगानिस्तान की धरती को किसी भी व्यक्ति या संगठन द्वारा इस्तेमाल नहीं करने दिया जाएगा। तहरीक-ए-तालिबान ने कहा कि इस्लामिक अमीरात की एक ही नीति है। तालिबान का यह बयान इसलिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि हाल ही में आई एक रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है, कि तालिबान अफगानिस्तान में पाकिस्तानी आतंकियों के साथ मिलकर जंग लड़ रहा है। इस रिपोर्ट के मुताबिक तालिबान के साथ-साथ पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसियां भी अफगानिस्तान में सक्रिय हैं, और उन्हें पाकिस्तान के अंदर ही ट्रेनिंग दे रही हैं। इसी तरह का एक सवाल अफगानिस्तान के राष्ट्रपति गनी ने पूछा था कि क्या तालिबान की जंग देश के लिए है या किसी बाहरी व्यक्ति के इशारे पर चल रही है।
भारत से निष्पक्षता चाहता है तालिबान
तालिबान के प्रवक्ता ने भारत के प्रतिनिधियों के साथ किसी भी तरह की बैठक होने की बात का खंडन किया है। दरअसल, कुछ दिनों पहले कतर के विशेष दूत ने दावा किया था कि भारतीय अधिकारियों ने दोहा में तालिबान के प्रतिनिधियों से मुलाकात की थी। हालांकि, तालिबानी प्रवक्ता ने कहा कि तालिबान और अफगानिस्तान के बीच संघर्ष में भारत तटस्थ रहेगा। वह किसी दबाव में नहीं आएंगे। उन्होंने अफगानिस्तान की सरकार का जिक्र करते हुए कहा कि सरकारें आती-जाती रहती हैं और वर्तमान सरकार जबरदस्ती बनाई गई है।
भारत की चिंता क्या है ?
गौरतलब है कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना के हटने के बाद भारत समेत पूरी दुनिया में तालिबान के शासन को लेकर चिंता जताई जा रही है। भारत में इस बात को लेकर चिंता है, कि तालिबान-पाकिस्तान-चीन की तिकड़ी जम्मू-कश्मीर में बड़ा संकट बन सकती है। यह तिकड़ी अफगानिस्तान में भारत की सुरक्षा और भारतीय निवेश के लिए भी बड़ा संकट पैदा कर सकती है और अफगानिस्तान में भारत विरोधी गतिविधियों को चलाया जा सकता है। लिहाजा, तालिबान को भारत शक की निगाहों से देख रहा है।
चीन को तालिबान ने बताया दोस्त
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान की तरफ से एक बयान में कहा गया है कि वह चीन को अफगानिस्तान का दोस्त मानता है। तालिबान ने चीन को आश्वासन देते हुए कहा है कि वह शिनजियांग प्रांत में उइगर इस्लामिक आतंकवाद को बढ़ावा नहीं देगा। इसके अलावा तालिबान ने अफगानिस्तान में चीनी निवेश की रक्षा करने का भी वादा किया है। तालिबान के इस बयान से चीन ने जरूर राहत की सांस ली होगी, लेकिन भारत की चिंताएं अभी भी बरकरार हैं। अमेरिकी सेना की वापसी के बाद से तालिबान ने आधे से ज्यादा अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है। हालांकि, तालिबान ने तो 85 प्रतिशत क्षेत्र पर नियंत्रण का दावा किया हुआ है। वहीं, अफगानिस्तान में तालिबान और अफगान सैनिकों के बीच सत्ता की लड़ाई अभी भी जारी है।
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