पिछले 24 घंटे में 13 और जिलों पर तालिबान का नियंत्रण, क्या 6 महीने के अंदर होगा काबुल पर कब्जा?
पिछले 24 घंटे में तालिबान ने अफगानिस्तान के 13 और जिलों पर कब्जा कर लिया है। ऐसे में सवाल ये उठ रहे हैं कि क्या 6 महीने के अंदर काबुल पर तालिबान का नियंत्रण स्थापित हो जाएगा?
काबुल, जुलाई 04: अफगानिस्तान की अखबार टोलो न्यूज ने सूत्रों के हवाला से दावा किया है कि पिछले 24 घंटे में अफगानिस्तान के 13 और जिलों पर तालिबान ने कब्जा कर लिया है। सूत्रों ने कहा है कि पिछले 24 घंटों में 13 जिलों में से पूर्वोत्तर अफगानिस्तान के 11 जिले, पूर्वी हिस्से में एक और दक्षिण हिस्से में एक जिले पर तालिबान ने अपना नियंत्रण हासिल कर लिया है। इसके साथ ही एक दिन में तालिबान ने सबसे ज्यादा जिलों पर कब्जा किया है, जिसके बाद सवाल ये उठ रहे हैं कि तालिबान के लिए काबुल कितना दूर बचा है। मई महीने में कुछ एक्सपर्ट्स ने कहा था कि अगले 6 महीने में काबुल पर तालिबान का कब्जा होगा, लेकिन तालिबान की जो रफ्तार है, उसे देखकर लग रहा है कि अगले चंद दिनों में काबुल पर तालिबान का नियंत्रण होगा।
13 और जिलों पर नियंत्रण
अफगानिस्तानी अखबार टोलो न्यूज के मुताबिक, बदख्शां में किश्म, दरैइम, तिश्कान, तगाब, वार्डूज, शहर-ए-बोजोर्ग, रघिस्तान, जोर्म और यफ्ताल, तखर में कलाफगन और फरखर जिला, पख्तिया में जुरमत जिले और दक्षिणी प्रांत कंधार में शाह वली कोट जिलों पर तालिबान ने अपना नियंत्रण हासिल कर लिया है। वहीं बदख्शां प्रांत में तीन और जिले युमगन, अर्घंजकवाह और खश के भी तालिबान के हाथ में जाने की खबर दी गई है। बदख्शां प्रांत के केंद्र फैजाबाद शहर के कुछ निवासियों ने कहा कि, सुरक्षा बलों और तालिबान के बीच संघर्ष शहर के करीब पहुंच गया है, जिससे लोग अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। फैजाबाद के रहने वाले एक निवासी सईद हयातुल्ला ने कहा है कि ''यह 10वां जिला है, जो एक के बाद एक ढह रहा है। केन्द्र सरकार उन्हें पूरी तरह भूल गई लगती है, स्थानीय सरकार को लगता है कि उनसे कोई मतलब नहीं है, तालिबान लगातार लोगों को मार रहे हैं और बंधक बना रहे हैं, लोग काफी डरे हुए हैं और सबको अपनी जिंदगी जाने का डर सता रहा है''
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क्या हैं ग्राउंड पर हालात ?
टोलो न्यूज के मुताबिक फैजाबाद के पुलिस चीफ कोरोना पॉजिटिव होकर अस्पताल में भर्ती हैं और तालिबान लगातार अपने कदम बढ़ाए जा रहा है। बदख्शां लोकसभा क्षेत्र के सांसद नीलोफर इब्राहिमी ने कहा कि, "हमें जो करना चाहिए हम वो करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन, जो कर सकती है वो सेना ही कर सकती है।" वहीं, वायुसेना के एक पूर्व अधिकारी सैय्यद मुकद्दम ने कहा कि तालिबान गोरिल्ला नीति से युद्ध करते हैं और एयरफोर्स के लिए हर जगह पहुंचना संभव नहीं हो रहा है। सेना को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। वहीं, तखर के सूत्रों ने कहा कि कलाफगन और फरखर जिलों के पतन के साथ ही तखर प्रांत में अब सिर्फ तालुकान शहर और वोरसाज जिले ही सरकारी नियंत्रण हैं। तालुकान के रहने वाले अब्दुल कबीर ने कहा कि '' हमारी 16 प्रशासनिक इकाइयां हैं। एक के बाद एक सब धराशायी हो गए हैं। तालुकान में सुरक्षा की स्थिति बेहद संवेदनशील है'' उन्होंने कहा कि ''तालुकान में लोग काफी चिंतित हैं। तालुकान की सड़कों पर विस्थापित लोगों की भरमार लग गई है। लोगों के पास ना खाना है और ना पानी।''
224 तालिबानियों के मारे जाने का दावा
पाकिस्तान की डिफेंस मिनिस्ट्री ने दावा किया है कि पिछले 24 घंटे में 9 जिलों में तालिबानियों को अफगान सेना ने मार गिराया है। डिफेंस मिनिस्ट्री ने कहा कि अफगान सेना लगातार कब्जाए गये जिलों और शहरों को वापस नियंत्रण में लेने की कोशिश कर रही है। अफनागनिस्तान डिफेंस मिनिस्ट्री के प्रवक्ता फवाद अमने ने कहा कि 'अफगान सेना हर संभव कोशिश कर रही है कि तालिबान को पीछे धकेला जाए।' आपको बता दें कि अफगानिस्तान में 400 जिले हैं और रिपोर्ट के मुताबिक 100 से ज्यादा जिलों पर तालिबान का कब्जा हो चुका है। अफगान मीडिया के मुताबिक जिस रफ्तार से तालिबान अफगानिस्तान में हिंसा कर रहा है और जिलों पर कब्जा जमा रहा है, उस हाल में अगल कुछ दिनों में ही काबुल पर तालिबान का कब्जा हो सकता है।
तालिबान कैसे हुआ था सत्ता से बाहर
सितंबर 2001 में अमेरिका में हुए हमलों के बाद अमेरिकी फौज ने उस वक्त अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज तालिबान से जिम्मेदार आतंकियों को सौंपने के लिए कहा था। लेकिन, तालिबान ने ऐसा करने से इनकार कर दिया था। जिसके बाद अमेरिका और नाटो सेना ने अफगानिस्तान पर हमला कर दिया था, वहीं, अफगानिस्तान में मौजूद तालिबान विरोधी गुट ने अमेरिकी और ब्रिटिश फौज की जबरदस्त मदद की थी। जिसके बाद पश्चिमी देशों की फौज ने सत्ता से तालिबान को हटा दिया और फिर अलकायदा को पाकिस्तान की सीमा पर खदेड़ते हुए बाद में ओसामा बिन लादेन को भी मौत के घाट उतार दिया था। बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जब से अमेरिकी फौज ने अफगानिस्तान की धरती पर कदम रखा था, उसके बाद से अफगानिस्तान की धरती से किसी दूसरे देश पर एक भी आतंकी हमला नहीं हुआ, लेकिन एक बार फिर से तालिबान काफी तेजी से अफगानिस्तान में अपना विस्तार कर रहा है।
बाग्राम एयरपोर्ट से निकली यूएस फौज
अमेरिकी सेना ने अब बाग्राम एयरपोर्ट और एयरफील्ड को पूरी तरह से अफगानिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा बल को सौंप दिया है। हालांकि, सैनिकों की सुरक्षा का अधिकार और सैन्य क्षमताएं अभी भी अमेरिकी सेना के शीर्ष कमांडर जनरल एस मिलर के पास है, लेकिन वो भी चंद दिनों के लिए। एक अफगानिस्तानी मिलिट्री अधिकारी ने इस बात की पुष्टि नाम ना छापने की शर्त पर कर दी है कि बाग्राम एयरपोर्ट को अमेरिकी सेना ने पूरी तरह से खाली कर दिया है। अफगानिस्तानी न्यूज टोलो न्यूज के मुताबिक राजधानी काबुल से 69 किलोमीटर उत्तर दिशा में स्थित इस एयरपोर्ट से अमेरिकी सैनिकों को उड़ान भरते देखा गया है। बताया जा रहा है कि करीब 2500 से 3500 अमेरिकी फौज आज अफगानिस्तान को छोड़कर अमेरिका के लिए रवाना हो गये हैं।
करोड़ों का कचरा छोड़ा
टोलो न्यूज के मुताबिक अमेरिकी सेना बाग्राम एयरपोर्ट पर अपने पीछे बर्बाद हो चुके ट्रकों और दूसरे मलबों को छोड़ रही है। स्क्रैप खरीदने वाले व्यापारियों का कहना है कि करोड़ों रुपये का मलबा यूएस सैनिकों ने एयरपोर्ट पर छोड़ दिया है। कुछ लोगों ने मांग की थी कि यूएस फोर्स को इस तरह के सामान अफगान सैनिकों के हवाले कर देनी चाहिए थी, लेकिन अमेरिकी सैनिकों ने आतंकियों के हाथ ऐसे सामान पड़ने के डर से उन्हें नष्ट कर दिया। वहीं, अफगानिस्तान सरकार ने कहा है कि करीब 1 अरब डॉलर के सामान अमेरिकी फौज ने अफगान फौजियों के हवाले किया है। आपको बता दें कि बाग्राम एयरफील्ड पिछले 20 सालों में अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना का सबसे बड़ा एयरबेस रहा है। अमेरिकी सेना ने 1 मई को वापसी शुरू की थी और 11 सितंबर से पहले अमेरिकी सैनिकों को अफगानिस्तान से बाहर निकल जाना है।
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