अंतरिक्ष के रीयल ब्लैक होल जैसे 'Radiating Holes', निगल जाते हैं सूर्य की रोशनी, साइंटिस्ट्स ने किया दावा
ब्रह्मांड में ब्लैक होल के तीव्र गुरुत्वाकर्षण से किसी भी वस्तु का बच पाना मुश्किल है। इसके अंदर कम स्पेस में एकत्र वस्तुओं की हाई डेंसिटी में तेज आकर्षण बल का रहस्य छिपा है।
Radiating Black Holes: ब्रह्मांड में ब्लैक होल की तीव्र गुरुत्वाकर्षण (Gravity) से किसी भी वस्तु का बच पाना मुश्किल है। ब्लैक होल्स जिसे कृष्ण विवर के नाम से भी जानते हैं इसके अंदर कम स्पेस में एकत्र वस्तुओं की हाई डेंसिटी में तेज आकर्षण बल का रहस्य छिपा है। स्पेस साइंटिस्ट्स ने ब्लैक होल्स का अध्ययन करने के लिए एक सिंथेडिक ब्लैक होल्स (Synthetic black holes ) तैयार किए। जिसको लेकर दावा कि है कि ये भी ठीक रीयल ब्लैक होल्स (Real Black Holes) की तरह ही व्यवहार करते हैं।
रेडिएटिंग ब्लैक होल
एम्स्टर्डम विश्वविद्यालय और IFW ड्रेसडेन के शोधकर्ताओं ने पाया कि सिंथेटिक ब्लैक होल ठीक स्पेस में मौजूद ब्लैक होल की तरह ही व्यवहार करती है। ब्लैक होल से आने वाले हॉकिंग रेडिएशन मात्रा बेहद कम होती है। यानी ने ब्लैक होल अपने ऊपर पड़े वाले सारे विकिरण यानी प्रकाश को अवशोषित कर लेती है।
थर्मल रेडिएशन की संभावना नहीं
एम्स्टर्डम विश्वविद्यालय और IFW ड्रेसडेन के शोधकर्ताओं ने ब्लैक होल को लेकर नया शोध किया। यूनिवर्सिटी के स्पेस साइंटिस्ट स्टीफन हॉकिंग के अनुसार, नए अध्ययन से पता चला कि ब्लैक होल से बचने के लिए क्या होता है। स्टीफन हॉकिंग ने पता लगाया कि प्रत्येक ब्लैक होल को अपनी दीवारों के चारों ओर छोटे क्वांटम उतार-चढ़ाव के कारण थोड़ी मात्रा में थर्मल विकिरण का उत्सर्जन भी कर सकती है। लेकिन इसकी संभावना बहुत कम होती है।
सिंथेटिक ब्लैक होल रीयल जैसे
अंतरिक्ष वैज्ञानिकों एक ताजा शोध से पता चला है कि सिंथेटिक ब्लैक होल असली की तरह सूर्य की रोशनी को अपने में समाहित करने में सक्षम हैं। रीयल ब्लैक होल्स की तरह उनमें भी आकर्षण इतना तेज है कि कोई भी चीज उनकी ग्रेविटी एरिया में आने के बाद बच नहीं सकती।
लैब में साइंटिस्ट्स ने बनाया ब्लैक होल
एम्स्टर्डम विश्वविद्यालय और IFW ड्रेसडेन के शोधकर्ताओं ने ब्लैक होल का नजदीकी से अध्ययन करने के लिए एक सिंथेटिक ब्लैक होल बनाया। जिसका उद्देश्य संघनित यानी जमे हुए पदार्थों की भौतिक स्थिति और उसका अन्य पदार्थों पर होने वाले प्रभाव का अध्ययन करना था।
अंदर का धनत्व ही ब्लैक होल की 'पावर'
ब्लैक होल को प्रयोगशाला में लाने से हम गुरुत्वाकर्षण और क्वांटम यांत्रिकी के बीच परस्पर क्रिया को समझने और क्वांटम गुरुत्व के सिद्धांत के रास्ते में एक कदम और करीब ला सकते हैं। दरअसल, ब्लैक होल के अंदर जमे पदार्थों का आकर्षण के कारण ही वो किसी भी वस्तु को अपनी ओर खींचती है। ऐसे में शोधकर्ताओं ने परमाणुओं की एक-आयामी श्रृंखला के आधार पर एक मॉडल का अध्ययन किया, जिसमें इलेक्ट्रॉन एक परमाणु साइट से दूसरे तक "हॉप" कर सकते हैं। एक ब्लैक होल की उपस्थिति के कारण स्पेसटाइम के ताना-बाना को ऐसे ट्यूनिंग करके कॉपी किया जाता है कि प्रत्येक साइट के बीच इलेक्ट्रॉन कितनी आसानी से हॉप कर सकते हैं।
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