सूर्य की मौत की भविष्यवाणी, कब और कैसे ? जानिए
सूर्य की मौत कब होगी ? खत्म होने के बाद यह कैसा दिखेगा? वैज्ञानिकों ने अपने शोध के आधार पर यह भविष्यवाणी की है कि अपने आखिरी दिनों में सोलर सिस्टम किस तरह दिखेगा और यह कब होने वाला है? क्या जब यह होगा तब धरती पर इंसान रहेंगे या नहीं? क्या ऐसा होने से पहले ही धरती समाप्त हो चुकी होगी? शोधकर्ताओं ने इन सभी सवालों का जवाब खोजा है और एक अनुमानित समय का निर्धारण किया है। लेकिन, मौत से पहले सूर्य बहुत ही ज्यादा गर्म और चमकदार हो जाएगा।
4.60 अरब साल पुराना है सूर्य
सूर्य का जन्म करीब 4.60 अरब साल पहले हुआ था। पृथ्वी पर जीवन सूरज की वजह से ही संभव हुआ है। यही मौसम को संचालित करता है, इसी के चलते जलवायु है और समुद्र की धारा भी यही सुनिश्चित करता है। सूरज की रोशनी की वजह से ही पौधों में प्रकाश संश्लेषण (photosynthesis) की प्रक्रिया होती है, जिसकी वजह से पृथ्वी पर जीवन है। सूरज नहीं तो पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं है। इसलिए इसकी अहमियत को समझते हुए वैज्ञानिक हमेशा इसके बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी जुटाने की कोशिशें की हैं। मसलन, इसकी उत्पत्ति कैसे हुई, यह कब से हमें ऊर्जा के सबसे प्रमुख श्रोत से सींच रहा है और इसकी उम्र कितनी है। क्योंकि, हर तारे की एक ना एक उम्र तय है।
कैसे हुआ सूर्य का जन्म ?
जलवायु परिवर्तन अभी पूरी दुनिया के वैज्ञानिकों के लिए बहुत बड़ी चिंता की वजह बना हुआ है। इसके चलते सूर्य को लेकर जिज्ञासा और बढ़ गई है। इसलिए वैज्ञानिक यह जानने के लिए उत्साहित हैं कि बाकी तारों की तरह यह कब फटेगा और कब यह विशाल ग्रह खत्म हो जाएगा। समाप्ति से पहले यहा कितना चमकीला होगा? उसका प्रभाव क्या होगा? नेशनल ज्योग्राफिक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सूरज लगभग 4.5 अरब साल पहले हीलियम और हाइड्रोजन से बने एक आणविक बादल से बनना शुरू हुआ था। वैज्ञानिक मानते हैं कि सूर्य के पास एक सुपरनोवा से बहुत ही शक्तिशाली शॉकवेव उत्सर्जित हुआ जो उस आणविक बादल के संपर्क में आया और उसके प्रभाव से वह चार्ज हो गया। इसी प्रक्रिया के चलते सूर्य का जन्म हुआ।
5 अरब साल बाद सूर्य की मौत-रिसर्च
सूर्य पृथ्वी से लगभग 15 करोड़ किलोमीटर दूर है। साइंसअलर्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक 5 अरब साल बाद सूर्य की मौत हो जाएगी। यानि सूरज इस समय लगभग अपनी आधी जिंदगी जी चुका है। वैज्ञानिकों को विश्वास है कि 'सूर्य को लाल तारे (red giant) में परिवर्ति हो जाना है।' इनके अनुसार 'सूर्य का कोर सिकुड़ जाएगा, लेकिन इस प्रक्रिया में अपने ग्रह (पृथ्वी) को घेरते हुए, इसकी बाहरी परतें मंगल की कक्षा तक फैल जाएगी। अगर यह तबतक मौजूद रहेगी।' 2018 में मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक शोध में पाया था कि सूरज सिकुड़ कर उसी तरह सफेद बौना (white dwarf) बन जाएगा, जैसे कि 90 फीसदी तारों के साथ होता है।
कैसे खत्म होते हैं तारे ?
उस शोधपत्र के एक लेखक मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी के ऐस्ट्रोफिजिसिस्ट अलबर्ट जिज्ल्स्ट्रा ने तारों की मौत के बारे में बताया था कि जब यह मरने वाले होते हैं तो इसके अंदर से 'गैस और धूल की विशाल मात्रा (द्रव्यमान)' आवरण को फाड़कर बाहर निकल आते हैं, जिससे यह ज्यादा चमकीले होने लगते हैं। उन्होंने कहा था, 'यह आवरण तारे के द्रव्यमान के आधे तक हो सकता है।' उन्होंने कहा, 'इसस तारे के कोर (मूल) का पता चलता है, जो इस समय तक तारे के जीवन में ईंधन समाप्ति की ओर बढ़ रहा है और आखिरकार पूरी तरह मरने से पहले बंद हो रहा है।'
मरने से पहले ज्यादा चमकदार होते हैं तारे
उनके मुताबिक समाप्ति से पहले तारे का गर्म कोर ही उन्हें ज्यादा चमकदार बनाता है। यह इतने चमकादर होते हैं कि करोड़ों प्रकाश वर्ष दूर रहने के बावजूद इन्हें आसानी से देखा जा सकता है। उन्होंने बताया कि 'कुछ(तारे ) तो इतने चमकदार होते हैं, जो बहुत ही दूर या करोड़ों प्रकाश वर्ष की दूरी से भी देखे जा सकते हैं, जबकि, पहले वह तारा देखने में बहुत ही ज्यादा धुंधला रहा होगा। '
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जब सूर्य की मौत होगी, इंसान नहीं बचेगा-रिपोर्ट
शोधकर्ताओं ने यह भी पाया है कि जब सूर्य के साथ ऐसी स्थिति होगी, तब यह सब देखने के लिए धरती पर इंसान नहीं बचेगा। तथ्य यह है कि इंसानों के पास सिर्फ 1 अरब साल बचे हुए हैं। या फिर इंसान को दूसरा विकल्प नहीं खोज लेता! इसका कारण स्पष्ट है कि सूर्य प्रत्येक अरब साल में अपनी चमक करीब 10 फीसदी बढ़ा रहा है। यह सुनने में कम लग रहा है। लेकिन, चमक बढ़ने का मतलब है कि पृथ्वी से जीवन का खत्म हो जाना। हमारे महासागर वाष्पित हो जाएंगे और धरती इतनी ज्यादा गर्म हो जाएगी कि पानी नहीं बन सकेगा।