इतिहास में पहली बार दिवालिया हो गया श्रीलंका, नहीं चुका पाया चीन का विशालकाय कर्ज
श्रीलंका के केंद्रीय बैंक के गवर्नर ने कहा है कि उनका देश आर्थिक संकट टालने के लिए कर्ज नहीं चुका रहा है।यानी ये प्रिएम्टिव डिफॉल्ट है।
कोलंबों, 20 मई : पड़ोसी देश श्रीलंका अपने इतिहास में पहली बार दिवालिया हो गया है। ऐसी स्थिति में उसे अंतराराष्ट्रीय बाजार से कर्ज मिलना मुश्किल हो जाएगा। इससे देश की प्रतिष्ठा को भी दिवालिया होने के कारण काफी नुकसान पहुंचेगा। श्रीलंका को7 करोड़ 80 लाख डॉलर का कर्ज चुकाने के लिए 30 दिनों की छूट अवधि दी गई थी, जो बुधवार को समाप्त हो गई। इसी के साथ श्रीलंका विदेशी कर्ज चुकाने से चूक गया है।
कर्ज नहीं चुका पा रहा है श्रीलंका, देश की स्थिति हुई और खराब
श्रीलंका के केंद्रीय बैंक के गवर्नर ने कहा है कि उनका देश आर्थिक संकट टालने के लिए कर्ज नहीं चुका रहा है। यानी ये प्रिएम्टिव डिफॉल्ट है। बता दें कि, किसी भी देश को दिवालिया तब घोषित किया जाता है जब वहां की सरकार दूसरे देशों या अंतरराष्ट्रीय संगठनों से लिया गया उधार या उसकी किस्त समय पर नहीं चुका पाती। ऐसी स्थिति में देश की प्रतिष्ठा, मुद्रा और उसकी अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान पहुंचता है।
विदेश से कर्ज लेना हुआ मुश्किल
इतना ही नहीं किसी देश के दिवालिया होने की स्थिति में उसे अंतरराष्ट्रीय बाजार से पैसा लेना भी काफी मुश्किल हो जाता है। श्रीलंका के केंद्रीय बैंक के गवर्नर पी नंदलाल वीरसिंघे से पूछा गया कि उनका देश दिवालिया हो चुका है तो उनका जवाब था, हमारी स्थिति बिल्कुल स्पष्ट है। उन्होंने कहा कि जब तक कर्ज को रिस्ट्रक्चर नहीं किया जाता, श्रीलंका किसी भी देश को भुगतान नहीं कर पाएगा। उन्होंने आगे कहा कि, ऐसी स्थिति में इसे प्रिएम्टिव डिफॉल्ट कह सकते हैं।
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महामारी और टैक्स मे छूट ने देश की अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी
कोरोना महामारी, ऊर्जा की बढ़ती कीमतों और आम जनता को खुश करने के लिए टैक्स में छूट से श्रीलंका की अर्थव्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित हुई है। श्रीलंका में कई वर्षों से विदेशी मुद्रा कि किल्लत है। इससे यह साफ हो जाता है कि श्रीलंका के पास विदेशी मुद्रा भंडार लगभग समाप्त हो चुका है।
ईंधन और अन्य वस्तुओं की भारी कमी है श्रीलंका में
अब जब श्रीलंका के पास विदेशी मुद्रा भंडार की कमी है तो बढ़ती महंगाई के कारण देश में दवाओं, ईंधन और सभी आवश्यक वस्तुओं की भारी कमी हो गई है। देश में पेट्रोलियम पूरी तरह से समाप्त हो चुका है। जिस कारण वहां की जनता पेट्रोल, और डीजल की भारी कमी का सामना कर रहे हैं।
जनता का गुस्सा सरकार पर फूटा
जब श्रीलंका के लोगों को लगा कि देश की आर्थिक स्थिति खराब हो चुकी है, जनता का गुस्सा सरकार पर फूट पड़ा। देश में पिछले कई सप्ताह से प्रदर्शन हो रहे हैं, हिंसा कई कई घटनाएं हो चुकी हैं। प्रदर्शन के दौरान राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे और उनके परिवार के खिलाफ नारे लगाते दिखे। उनकी मांग है कि सत्ता पर काबिज राजपक्षे परिवार सत्ता छोड़ दें।
प्रदर्शन के दौरान श्रीलंका में हुई हिंसा.....
प्रदर्शन के दौरान कई जगहों पर हिंसा भी देखने को मिली। ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति राजपक्षे के बड़े भाई महिंद्रा राजपक्षे को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। प्रदर्शन के दौरान कई लोग मारे भी गए और सैंकड़ों की संख्या लोग घायल भी हुए।
श्रीलंका में अब रानिल विक्रमसिंघे से उम्मीद
श्रीलंका में अब रानिल विक्रमसिंघे का नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया है। श्रीलंका के नए पीएम ने देश की आर्थिक स्थिति सुधारने का वादा किया है। उन्होंने विश्व के देशों से और अधिक वित्तीय मदद की अपील करते हुए कहा कि श्रीलंका में भुखमरी की स्थिति नहीं पैदा होगी।
क्या श्रीलंका की अर्थव्यवस्था पटरी पर आएगी ?
अंतरारष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) से एक बेलआउट पैकेज पर पहले से ही बात कर रहा है। श्रीलंका की सरकार ने कहा है कि उसे देश चलाने केलिए 4 अरब डॉलर की आवश्यकता होगी। देश के हालात कब तक सुधरेंगे, क्या नए प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर ला पाने में सफलता हासिल करेंगे। क्या वे देश की जनता को 3 वक्त की रोटी दे पाएंगे.... यह सब आने वाला वक्त तय करेगा।