S. Jaishankar ने किया बड़ा खुलासा, यूक्रेन ने भारत से रूस पर दबाव बनाने की लगाई थी गुहार, रूस ने मानी बात
S Jaishakar ने कहा कि रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के बीच यूक्रेन ने भारत से रूस पर दबाव बनाने का अनुरोध किया था। यह अनुरोध जापोरिज्ज्या परमाणु ऊर्जा संयंत्र की सुरक्षा को लेकर किया गया था।
S. Jaishankar ने कहा है कि भारत, यूक्रेन संकट के समाधान के लिए हरसंभव प्रयास करने को तैयार है। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बात को रेखांकित किया कि कैसे भारत ने Ukraine में Zaporizhzhia nuclear power plant की सुरक्षा को लेकर मास्को पर दबाव डाला जब दोनों देश इस अत्यधिक संवेदनशील परमाणु केंद्र के पास लड़ाई के लिए आमने-सामने आ गए थे। विदेश मंत्री के रूप में New Zealand की अपनी पहली यात्रा पर पहुंचे जयशंकर ने ऑकलैंड बिजनेस चैंबर के सीईओ साइमन ब्रिजेस के साथ लंबी बातचीत के दौरान कहा कि जब यूक्रेन की बात आती है तो यह स्वाभाविक है कि विभिन्न देश और विभिन्न क्षेत्र थोड़ी अलग प्रतिक्रिया दें।
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'जो भारत के हित में होगा वह दुनिया के हित में भी होगा'
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, "लोग इसे अपने दृष्टिकोण, अपनी तात्कालिक रुचि, ऐतिहासिक अनुभव, अपनी असुरक्षा के नजरिए से देखेंगे। मेरे लिए दुनिया की विविधताएं जो काफी स्पष्ट हैं, स्वाभाविक रूप से एक अलग प्रतिक्रिया का कारण बनेंगी और मैं अन्य देशों की स्थिति का अनादर नहीं करूंगा क्योंकि मैं देख सकता हूं कि उनमें से कई अपने खतरे की धारणा, उनकी चिंता, उनकी स्थिति से आ रहे हैं।'' भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि इस स्थिति में वह देखेंगे कि भारत क्या कर सकता है। जो स्पष्ट रूप से भारतीय हित में होगा, दुनिया के सर्वोत्तम हित में भी होगा।
ज़ापोरिज्जिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र की सुरक्षा महत्वपूर्ण
एस जयशंकर ने कहा, "जब मैं संयुक्त राष्ट्र में था, उस समय सबसे बड़ी चिंता ज़ापोरिज्जिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र की सुरक्षा थी क्योंकि इसके बहुत निकट में लड़ाईयां चल रही थीं। विभिन्न समय पर अन्य चिंताएं भी रही हैं, या तो विभिन्न देशों ने हमारे साथ मामला उठाया है या संयुक्त राष्ट्र ने हमारे साथ उठाया है। मुझे लगता है कि इस समय जो भी हो हम कर सकते हैं, हम करने को तैयार होंगें।'' भारत के विदेशमंत्री ने कहा कि अगर हम एक स्टैंड लेते हैं और अपने विचार रखते हैं, तो मुझे नहीं लगता कि देश इसकी अवहेलना करेंगे। एस जयशंकर 16 सितंबर को शंघाई सहयोग संगठन की बैठक से इतर अस्ताना में हुई नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच बातचीत का जिक्र कर रहे थे।
सुरक्षा परिषद को लेकर एस जयशंकर ने क्या कहा
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने की भारत की आकांक्षा के बारे में भी बात करते हुए भारत के विदेशमंत्री ने कहा कि आज की बड़ी समस्या एक, दो या पांच देशों द्वारा हल नहीं की जा सकती है। उन्होंने कहा, और जब हम सुधारों को देखते हैं तो सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने में हमारी रुचि है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि हम अलग-अलग तरीकों से सोचते हैं और हम व्यापक देशों के हितों और आकांक्षाओं को आवाज देते हैं। एस जयशंकर ने कहा कि हम बहुत स्पष्ट रूप से कहते हैं कि भारत को सुरक्षा परिषद में होना चाहिए। लेकिन हम समान रूप से दृढ़ता से कहते हैं कि इसमें दूसरे देशों को भी शामिल होना चाहिए। हम देखते हैं कि कैसे पूरे अफ्रीका महाद्वीप सहित लैटिन अमेरिका को बाहर कर दिया गया है।
भारतीय मूल की मंत्री प्रियंका राधाकृष्णन से की मुलाकात
जयशंकर बुधवार को न्यूजीलैंड पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने भारतीय मूल की मंत्री प्रियंका राधाकृष्णन से मुलाकात की थी। राधाकृष्णन न्यूजीलैंड की सामुदायिक और स्वैच्छिक क्षेत्र, विविधता, समावेश और जातीय समुदाय एवं युवा मामलों की मंत्री हैं। वह न्यूजीलैंड में मंत्री बनने वाली भारतीय मूल की पहली व्यक्ति हैं। उन्होंने न्यूजीलैंड की प्रमुख हस्तियों के साथ संवाद सत्र आयोजित करने के लिए उनका आभार जताया।
न्यूजीलैंड की पीएम जेसिंडा अर्डर्न से की मुलाकात
जयशंकर ने न्यूजीलैंड (New Zealand) की पीएम जेसिंडा अर्डर्न (Jacinda Ardern ) से गुरुवार को मुलाकात की। इस अवसर पर दोनों देशों के नेताओं ने व्यापारिक सहयोग बढ़ाने एवं लोगों के बीच आपसी सपंर्क को प्रोत्साहित करने पर सहमति जताई। एस जयशंकर ने कहा कि न्यूजीलैंड के साथ द्विपक्षीय संबंधों में फोकस का एक क्षेत्र व्यापार होगा। जयशंकर ने कहा कि मजबूत व्यापारिक संबंधों के लिए एफटीए (मुक्त व्यापार समझौता) की आवश्यकता नहीं होती है। उन्होंने यूरोपीय संघ, अमेरिका और चीन का उदाहरण दिया, जिनके साथ भारत का एफटीए नहीं है।
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