
यूक्रेन संघर्ष का दिख रहा असर, बातचीत के रास्ते पर लौटें दोनों देश, रूसी विदेश मंत्री लावरोव से बोले जयशंकर
रूस दौरे पर गए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मास्को में अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव से मुलाकात की। इस दोरान दोनों के बीच आपसी हितों और वैश्विक मुद्दों पर बातचीत हुई। मुलाकात के बाद एस जयशंकर ने कहा कि इस संवाद को आगे बढ़ाने के लिए उन्हें बहुत खुशी है। एस जयशंकर ने कहा, "इस साल हम दोनों की ये पांचवीं मुलाकात है। हम लंबी साझेदारी में यकीन रखते हैं। हम एक-दूसरे को जो महत्व देते हैं, उसकी बात करते हैं।"

एस जयशंकर बोले- बातचीत पर लौटें दोनों देश
इसके साथ ही एस जशंकर ने इशारों इशारों में दुनिया को बताया कि इस बैठक के अलग मायने नहीं निकाले जाने चाहिए। विदेश मंत्री ने कहा कि हमारी सरकारों के बीच विभिन्न स्तरों पर मजबूत और सतत संपर्क है। हमारी बैठक हमारे संबंधों का आकलन करे और वैश्विक परिस्तिथियों पर एक दूसरे के नजरिये को समझने के लिए है। उन्होंने आगे कहा कि जहां तक द्विपक्षीय संबंधों की बात है हमारा उद्देश्य एक समकालीन, संतुलित, परस्पर लाभकारी और दीर्घकालिक साझेदारी निर्माण का है। हालांकि एस जयशंकर ने यूक्रेन-रूस युद्ध पर कहा कि जैसा कि समरकंद में हमारे पीएम नरेंद्र मोदी कह चुके हैं कि यह युद्ध का युग नहीं है। हम यूक्रेन के परिणाम देख रहे हैं। भारत पूरी मजबूती से इस बात को दोहराता है कि दोनों देशों को बातचीत के रास्ते पर लौटना चाहिए।

कोविड ने ग्लोबल इकोनॉमी पर भारी असर डाला: एस जयशंकर
एस जयशंकर ने कहा कि कोविड और व्यापार संबंधी कठिनाइयों ने ग्लोबल इकोनॉमी को बुरी तरह प्रभावित किया है। हम अब उसके ऊपर यूक्रेन संघर्ष के परिणाम देख रहे हैं। आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन के हमेशा बने रहने वाले मुद्दे भी हैं जिनका प्रगति और समृद्धि पर नकारात्मक असर होता है। एस जयशंकर ने अपने रूसी समकक्ष संग बैठक में कच्चे तेल, कोरोबार समेत कई मुद्दों पर भी बातचीत की। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस बातचीत के दौरान वैश्विक स्थिति के साथ-साथ विशिष्ट क्षेत्रीय चिंताओं पर भी ध्यान दिया जाएगा।

अफगान मुद्दे पर भी बोले एस जयशंकर
एस जयशंकर ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि दुनिया अफगानिस्तान की स्थिति को न भूले क्योंकि उस पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जा रहा है। यह मानवीय स्थिति है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय अफगानिस्तान में आतंकवाद को लेकर चिंतित है। यह जायज है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय, खासकर पड़ोसियों को इस खतरे के खिलाफ मिलकर काम करना चाहिए।

रूसी विदेश मंत्री ने लावरोव ने कही ये बात
वहीं, रूसी विदेशमंत्री लावरोव ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय जिन परिवर्तनों से गुजर रहा है, उसे देखते हुए ये तुलना करना महत्वपूर्ण है कि रूसी राष्ट्रपति और भारत के प्रधानमंत्री ने अर्थव्यवस्था, व्यापार, निवेश, तकनीकी क्षेत्र को लेकर जो लक्ष्य निर्धारित किए हैं, उन पर हम कैसे काम करने जा रहे हैं। हम UNSC जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों में अपने कामों का समन्वय करते हैं जहां भारत अब एक अस्थायी सदस्य है। यह सब हमारे एजेंडे को समृद्ध कर रहा है और मुझे विश्वास है कि आज हम इस सब पर अच्छी बातचीत करने जा रहे हैं।
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तेल आयात में भारत-रूस ने बनाया रिकॉर्ड
डॉ.जयशंकर की बैठक ऐसे वक्त में हो रही है, जब अमेरिकी प्रेशर के बाद भी रूस और भारत मजबूत व्यापारिक भागीदार बन गये हैं और भारत-रूस के बीच का द्विपक्षीय व्यापार कथित तौर पर तीन गुना हो गया है, और रूसी तेल का भारतीय आयात पिछले साल की तुलना में 20 गुना से ज्यादा हो गया है। एस जयशंकर ने रूस से तेल खरीदने के विषय में कहा कि तेल और गैस के तीसरे सबसे बड़े उपभोक्ता के रूप में और जहां आय बहुत अधिक नहीं है, हमें किफायती स्रोतों की तलाश करने की जरूरत है। ऐसी स्थिति में भारत-रूस संबंध हमारी लाभ के लिए काम में आते हैं।