इराक और सऊदी अरब छूटे पीछे, भारत का सबसे बड़ा तेल सप्लायर बना रूस, हो रहा जबरदस्त फायदा
ऊर्जा व्यापार पर नजर रखने वाली एजेंसी कार्गो ट्रैकर वोर्टेक्स के आंकड़ों के मुताबिक, भरत के लिए तेल के पारंपरिक विक्रेता रहे इराक और सऊदी अरब पीछे छूट गये हैं और अक्टूबर महीने में रूस भारत का टॉप सप्लायर बन गया है।
Russia becomes India's top oil supplier: इराक और सऊदी अरब को पीछे छोड़ते हुए रूस भारत का टॉप तेल सप्लायर बन गया है। यानि, अब भारत सबसे ज्यादा तेल रूस से खरीदने लगा है। अक्टूबर महीने की रिपोर्ट के मुताबिक, रूस ने भारत को तेल बेचने के क्षेत्र में इराक और सऊदी अरब को पीछे छोड़ दिया है। हालांकि, सऊदी अरब कुछ महीने पहले ही रूस से पीछे चला गया था, लेकिन अब रूस ने इराक को भी पीछे छोड़ दिया है। यानि, कई दशकों से चली आ रही भारत और रूस की दोस्ती और सबसे बड़ी व्यापारिक साझेदारी में बदलती जा रही है।
सबसे बड़ा तेल सप्लायर बना रूस
ऊर्जा व्यापार पर नजर रखने वाली एजेंसी कार्गो ट्रैकर वोर्टेक्स के आंकड़ों के मुताबिक, भरत के लिए तेल के पारंपरिक विक्रेता रहे इराक और सऊदी अरब पीछे छूट गये हैं और अक्टूबर महीने में रूस भारत का शीर्ष तेल आपूर्तिकर्ता देश बन गया है। रूस जो इस साल मार्च 31 तक भारत को सिर्फ अपनी कुल आपूर्ति का 0.2 प्रतिशत की तेल आयात करता था, वो महज 8 महीने में ही भारत का शीर्ष तेल विक्रेता बन गया है। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अक्टूबर महीने में रूस ने भारत को 935,556 बैरल प्रति दिन (बीपीडी) कच्चे तेल की आपूर्ति की है, जो अब तक का सबसे ज्यादा है। रिपोर्ट के मुताबिक, अब भारत अपने कुल तेल आयात का 22 प्रतिशत रूस से खरीद रहा है, वहीं इराक, जो सितंबर महीने तक भारत को सबसे ज्यादा तेल बेचता था, उससे भारत ने अपनी कुल जरूरत का 20.5 प्रतिशत तेल खरीदा है और भारत ने सऊदी अरब से 16 प्रतिशत तेल खरीदा है।
डिस्कॉउंट पर तेल खरीदता है भारत
यूक्रेन युद्ध से पहले तक भारत सिर्फ नाममात्र का ही तेल रूस से खरीदता था, लेकिन उसके बाद रूस ने भारत को तेल देने के लिए जबरदस्त डिस्काउंट ऑफर दिया और फिर भारत ने रूस से तेल खरीदने के सिलसिले की शुरूआत की। भारत ने रूस से तेल खरीदने के लिए पश्चिमी देशों की चेतावनियों को भी नजरअंदाज किया। वोर्टेक्सा के मुताबिक, भारत ने दिसंबर 2021 में रूस से प्रति दिन सिर्फ 36,255 बैरल कच्चे तेल का आयात किया था, जबकि इराक से 1.05 मिलियन बैरल और सऊदी अरब से 952,625 बैरल प्रति दिन आयात किया था। वहीं, इस साल जनवरी और फरवरी में भारत ने रूस से कोई तेल नहीं खरीदा, लेकिन फिर 24 फरवरी को यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद जब अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने रूस को प्रतिबंधों में जकड़ दिया, उसके बाद रूस ने भारत को भारी छूट पर तेल बेचने का ऑफर दिया।
किस महीने कितना तेल खरीदा
भारत ने जनवरी और फरवरी महीने में रूस से तेल नहीं खरीदा, लेकिन मार्च में ये ग्राफ बढ़कर 68,600 बीपीडी रूसी तेल का आयात किया, जबकि अगले महीने अप्रैल में यह बढ़कर 266,617 बीपीडी हो गया और जून में 942,694 बीपीडी हो गया। हालांकि, जून में, इराक 10.4 मिलियन बीपीडी तेल के साथ भारत का शीर्ष आपूर्तिकर्ता बना हुआ था। लेकिन, उस महीने रूस भारत का दूसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बन गया और सऊदी अरब दूसरे नंबर से तीसरे नंबर पर पहुंच गया। हालांकि, अगले दो महीने फिर से रूस से तेल आयात करने में मामूली गिरावट आई और वोर्टेक्स के मुताबिक, अक्टूबर महीने में रूसी तेल की आपूर्ति बढ़कर 835,556 बीपीडी हो जाने से पहले ये सितंबर महीने में 876,396 बीपीडी था। वहीं, इराक अक्टूबर में 888,079 बीपीडी आपूर्ति के साथ दूसरे स्थान पर खिसक गया, इसके बाद सऊदी अरब 746,947 बीपीडी पर आ गया। भारत सरकार जोरदार तरीके से रूसी तेल खरीद का बचाव कर रही है भारत ने साफ शब्दों में कह दिया है, कि भारत वहीं से तेल खरीदेगा, जहां से उसे सस्ता तेल मिल रहा है।
भारत ने सऊदी को दी थी चेतावनी
आपको बता दें कि, सऊदी अरब ने तेल प्रोडक्शन में कटौती कर भारत के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी थी, जिसके बाद भारत की तरफ से चेतावनी भी दी गई थी। पिछले हफ्ते ही भारत के पेट्रोलियम मंत्री ने तेल उत्पादक देशों को चेतावनी दी थी, कि तेल का प्रोडक्शन कम करने के फैसले का गंभीर परिणाम हो सकता है और सबसे पहला बड़ा अंजाम तो यही होगा, कि आर्थिक मंदी आने की संभावना और तेज हो जाएगी। लेकिन, अब भारत ने पहली बार सऊदी अरब के खिलाफ बड़ा फैसला भी ले लिया है। पिछले हफ्ते संयुक्त अरब अमीरात के दौरे पर गये भारत के पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने अबू धाबी में एडिपेक ऊर्जा सम्मेलन में ब्लूमबर्ग टीवी से कहा था कि, "यदि आप यहां से कीमत बढ़ाते हैं, तो एकमात्र प्रतिक्रिया यह है कि आर्थिक मंदी और गहरी और लंबी होगी।" उन्होंने कहा था कि, "यह उनके (तेल उत्पादकों के) हित में है कि इसे मौजूदा स्तरों से आगे न जाने दें।" पिछले साल से सऊदी अरब लगातार तेल का प्रोडक्शन कम करके दुनिया के देशों को परेशान करता रहा है और चूंकी भारत अपनी जरूरत का 85 प्रतिशत तेल आयात करता है, लिहाजा भारत पर इसका सीधा असर पड़ता है। हालांकि, भारत सार्वजनिक तौर पर सऊदी अरब की आलोचना करने से बचता रहा है, लेकिन इस बार भारत की तरफ से सख्त रूख अपनाया गया है।
'ब्लैकमेलिंग' के खिलाफ खड़ा भारत
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में फिलहाल इस साल 22% की बढोतरी के साथ कच्चे तेल की कीमत 95 डॉलर प्रति बैरल है और रूस के यूक्रेन पर आक्रमण और उसके बाद मास्को पर पश्चिमी प्रतिबंधों से बाजार अस्त-व्यस्त हो गया है। वहीं, भारत के पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने चेतावनी देते हुए कहा था कि, "यह एक ऐसा खेल है, जिसमें आपको अनावश्यक रूप से चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है।" लेकिन, हरदीप सिंह पुरी, जो सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के अपने समकक्षों के साथ पैनल में शामिल थे, उन्होंने सख्त लहजे में कहा कि,"ये (तेल उत्पादक देशों का) संप्रभु निर्णय हैं। जो कोई भी तेल उत्पादक देश हैं, उन्हें यह तय करने का अधिकार है, कि वो कितना उत्पादन करना चाहते हैं, या फिर कितना तेल उन्हें बेचना है। लेकिन हम उन्हें यह भी बताते हैं, और मैंने यह बताने का कोई अवसर नहीं गंवाया है, कि हर कार्रवाई के परिणाम होते हैं, चाहे वो इरादे करके हों या फिर गैर इरादे हों।" भारतीय पेट्रोलियम मंत्री का ये बयान काफी सख्त माना गया है, खासकर उस वक्त जब अमेरिका पहले ही सऊदी अरब को अंजाम भुगतने की धमकी दे चुका हो और सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान इसी महीने भारत के दौरे पर आने वाले हों।
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