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रोहिंग्या मुसलमानों की मदद को बांग्लादेश-म्यांमार बॉर्डर पर पहुंचा सिख संगठन खालसा, शुरू किया लंगर

रोहिंग्या मुस्लमानों की मदद को म्यांमार-बाग्लादेश बॉर्डर पर पहुंते सिख, लगा रहे लंगर

By Rizwan
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नई दिल्ली। म्यांमार के अल्पसंख्यक रोहिंग्या मुसलमानों की मदद के लिए सिख समुदाय के लोग आए आए हैं। सिख संगठन खालसा एड के वॉलिन्टियर्स रविवार रात को बांग्लादेश-म्यामांर के बॉर्डर पर पहुंचे और म्यामांर से आए लाखों परिवारों की मदद कर रहे हैं। सिख वॉलिन्टियर्स इन शर्णार्थियों के लिए खाने-पीने और रहने की व्यवस्था करने में मदद कर रहे हैं।

Rohingya Muslim Issues

'बहुत बुरी हालत में रह रहे यहां लोग'

'बहुत बुरी हालत में रह रहे यहां लोग'

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इस दल के मैनेजिंग डायरेक्टर अमरप्रीत सिंह ने बताया है कि हमने सहायता कार्यक्रम शुरू करने से पहले यहां के हालात का मुआयना किया, यहां स्थिति बहुत खराब है और ये लोग बहुत बुरे हालात में रह रहे हैं। उन्होंने बताया कि हम तकरीबन 50000 लोगों की सहायता के लिए सहायता सामग्री लाये थे लेकिन यहां 2 लाख से ज्यादा लोग हैं, जो बिना खाने, पानी और घर के रह रहे हैं। जिसको जहां जगह मिल रही है, वो वहीं बैठा है।

बांग्लादेश बॉर्डर के गांव टेकनफ में रोहिंग्या शरणार्थी कैंप में रह रहे हैं, यहां अपने दल के साथ पहुंचे अमरप्रीत सिंह ने बताया कि शिविरों में बहुत ज्यादा भीड़ है, ऐसे में यहां हालात खराब हैं। उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश है कि इन लोगों की कुछ मदद की जा सके, उनको सिर ढकने की सुविधा दी जा सके। सिंह ने कहा कि हम अपनी तरफ से लोगों की मदद की कोशिश करेंगे।

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ढाका से दस घंटे की दूरी पर हैं शर्णार्थियों के कैंप

ढाका से दस घंटे की दूरी पर हैं शर्णार्थियों के कैंप

अमरप्रीत सिंह ने बताया कि हमारी टीम शर्णार्थियों को लंगर और पानी की व्यवस्था शुरू की है। उन्होंने कहा कि टेकनफ कस्बा (जहां रिफ्यूजी कैंप में रह रहे हैं) बांग्लादेश की राजधानी ढाका 10 घंटे में पहुंचा जा सकता है, ऐसे में हम ढाका से खाने-पीने का सामान ला सकते हैं, हालांकि बारिश एक बड़ी समस्या बन रही है।

इस दल के एक दूसरे सदस्य जीवनजोत सिंह ने कहा कि दस दिनों तक पैदल चलकर ये लोग म्यांमार से यहां पहुंचे हैं, इनकी हालत बहुत खराब है। इन लोगों को खाना-पानी और रहने की जगह देने के लिए हम यहां पहुंचे हैं। उन्होंने बताया कि खालसा की एक और टीम बहुत जल्दी ही टेनकफ पहुंचेगी और रोहिंग्याओ की मदद के लिए जुटेगी ताकि सभी को कुछ मदद की जा सके।

कई सालों से दर-बदर भटटक रहे हैं रोहिंग्या

कई सालों से दर-बदर भटटक रहे हैं रोहिंग्या

आपको बता दें कि म्यामांर का रोहिंग्या मुसलमान समुदाय लगातार अपने देश से किसी भी तरह निकलकर बांग्लादेश और भारत में पहुंच रहे हैं। इनका कहना है कि म्यांमार की सेना रोहिंग्या का कत्लेआम कर रही है और औरतों का रेप कर रही है। रोहिंग्याओं के साथ अमानवीय बर्ताव के लिए दुनियाभर में म्यांमार आलोचना का सामना कर रहा है।

म्यांमार में बौद्ध आबादी बहुसंख्यक है वहीं करीब 11 लाख रोहिंग्या मुसलमान हैं। जिन्हें म्यामांर का एक बड़ा वर्ग बंगाली कहता है। म्यांमार की सरकार ने उन्हें नागरिकता देने से इनकार कर दिया है। पिछले पांच-छह सालों से वहां सांप्रदायितक हिंसा देखने को मिल रही है। जिसके चलते वहां की सेना भी इन पर हमले कर रही है, जिसके बाद ये किसी भी तरह से वहां से निकल रहे हैं।

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English summary
Rohingya crisis Sikh volunteers provide langar to refugees in Bangladesh Myanmar border
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