लोहे के बक्सों में क्वारंटाइन किए जा रहे लोग, कैद में करोड़ों निवासी, कोरोना के नाम पर चीन का अत्याचार
डेली मेल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि, शीआन समेत कुछ और शहरों में कुल मिलाकर कम से कम 2 करोड़ से ज्यादा लोगों को कैद करके रखा गया है। शीआन शहर में एक करोड़ 30 लाख लोग क्वारंटाइन के नाम पर अपने घरों में कैद हैं।
बीजिंग, जनवरी 12: कोरोना वायरस को संक्रमण फैलाने से रोकने के नाम पर चीन अपने ही देश के लोगों पर भयानक अत्याचार कर रहा है और चीन से आने वाली रिपोर्ट रूह कंपाने वाली हैं। डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन में कोरोना संक्रमितों को शी जिनपिंग के अधिकारियों लोहे के बक्सों में बंद करके रखा हुआ है और करीब 2 करोड़ से ज्यादा लोगों को चीन में कैद करके रखा गया है। शी जिनपिंग ने ज़ीरो कोविड पॉलिसी के नाम पर लोगों के साथ अत्याचार की सारी हदें पार कर दी हैं।
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बक्से में बंद किए जा रहे लोग
डेली मेल ने कई वीडियो सार्वजनिक किए हैं, जिसमें लोगों को बंद करके रखा गया है। डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना संक्रमित मरीजों को चीन के शीआन, आन्यांग और युझोउ प्रांतों में लोहे के बक्से में बंद करके रखा जा रहा है और सबसे हैरानी की बात ये है, कि गर्भवती महिलाओं को भी लोहे के बक्सों में बंद किया गया है। इसके साथ ही कोरोना संक्रमित मरीजों के संपर्क में आये हुए लोगों को भी अलग अलग बक्सों में बंद कर दिया गया है, ताकि वो और लोगों को संक्रमित नहीं कर सके।
शीआन में अत्याचार की हद
डेली मेल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि, शीआन समेत कुछ और शहरों में कुल मिलाकर कम से कम 2 करोड़ से ज्यादा लोगों को कैद करके रखा गया है। शीआन शहर में एक करोड़ 30 लाख लोग क्वारंटाइन के नाम पर अपने घरों में कैद हैं और उन्हें किसी भी हालत में अपने घर से बाहर निकलने की इजाजत नहीं है। वहीं, सैकड़ों लोगों को लकड़ी के बक्सों में बंद कर दिया गया है। इन लोगों को लकड़ी के बक्से के साथ एक शौचालय दिया जाता है और दो सप्ताह तक लोहे के बक्से में रहने के लिए मजबूर किया जाता है। डेली मेल के अनुसार चीनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट किए गए वीडियो में बक्से में बंद लोगों को दिखाया गया है।
लाखों लोग हैं शिविरों में बंद
शीआन शहर के अलावा चीन के कई और शहरों में लाखों लोगों को अलग अलग क्वारंटाइन शिविरों में रखा गया है और उनकी स्थिति काफी खराब है। जिन शहरों में लॉकडाउन लगा है, उन शहरों में रहने वाले लोगों ने बीबीसी को बताया कि, ''शिविरों में अब कुछ नहीं बचा है और बुनियादी जरूरतों की कुछ सामान रखे हैं। वहां कोई भी जांच करने वाला नहीं है और पता नहीं ये किस तरह का क्वारंटाइन सेंटर है? आपको बता दें कि, चीन की राजधानी बीजिंग में अगले महीने शीतकालीन ओलंपिक खेलों का आयोजन होना है और उसे कामयाब बनाने के लिए शी जिनपिंग ने अत्याचार की सारी हदों को पार कर दिया है।
चीनी शख्स ने बताया अत्याचार की कहानी
वहीं, चीनी सोशल मीडिया वीबो पर एक यूजर ने चीनी सरकार के अत्याचार की कहानी बयां की है और लिखा है कि, ''जैसे ही कोई कोविड पॉजिटिव पाया जाता है, ठीक वैसे ही उस क्षेत्र में रहने वाले सभी लोगों को अधिकारी घरों से निकलकर बसों में बैठने के लिए कहते हैं और फिर उन्हें लोहे के बक्सों की तरह बनाए गये क्वारंटाइन सेंटर में ले जाया जाता है और वहां पर उन्हें बंद कर दिया जाता है''। डेली मेल को कुछ गवालों ने बताया कि, कई लोगों को आधी रात को ही घर से बाहर निकाल लिया गया।
नियम तोड़ने पर सख्त सजा
चीनी मीडिया ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, कोविड नियमों का उल्लंघन करने वाले तीन लोगों को चार सालों के लिए जेल भेज दिया गया है, जिसकी वजह से बंदरगाव वाले शहर डालियान के लोग बुरी तरह से डरे हुए हैं लोग सवाल पूछ रहे हैं कि, आखिर सरकार की 'ज़ीरो कोविड पॉलिसी' में चूक के लिए इतनी कठोर सजा क्यों दी जा रही है? वहीं, स्थानीय मीडिया ने बताया कि, इन चार लोगों की वजह से 83 लोग कोरोना संक्रमित हुए थे। डालियान के अलावा, तियानजिन में भी एक करोड़ 40 लाख लोगों को कड़े कोविड प्रतिबंधों में रखा गया है और वहां पर धीरे धीरे काफी कठोर सख्ती बरती जा रही है। तियानजिन में पिछले 24 घटे में 33 स्थानीय कोविड संक्रमित मिले हैं, जिसके बाद सख्ती को और बढ़ाया गया है।
हेनान में भी पाबंदी
वहीं, दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले शहर हेनान, जहां 2019 के अंत में पहली बार कोरोनावायरस का पता चला था, वहां शून्य कोविड रणनीति के माध्यम से वायरस के प्रसार को धीमा करदिया गया है और टारगेटेट लॉकडाउन, सीमा प्रतिबंध और लंबे वक्त के लिए क्वारंटाइन नीति की वजहसे हेनान में कोरोना को कंट्रोल कर लिया गया है। आपको बता दें कि, हेनान प्रांत में ही वुहान शहर है,जहां से कोरोना वायरस फैलना शुरू हुआ था।
अमेरिका पर चीन का निशाना
वहीं, ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि, कोरोना वायरस को लेकर चीन की सख्ती इस कदर है, कि चीन का सुरक्षा चक्र तोड़ने में कोरोना वायरस का एक महीने से ज्यादा का वक्त लगता है, जबकि अमेरिका समेत यूरोपीय देशों में हर दिन 10 लाख से ज्यादा मरीज सामने आ रहे हैं। ग्लोबल टाइम्स ने सरकार की पीठ ठोकते हुए लिखा है कि, ''तियानजिन पर ओमिक्रॉन से लड़ने का दबाव स्पष्ट रूप से बड़ा है, क्योंकि पूरा देश, यहां तक कि पूरी दुनिया, इस शहर पर ध्यान केंद्रित कर रही है। सबसे कम लागत पर कम से कम समय में महामारी को कैसे नियंत्रण में लाया जा सकता है? हम चरम स्थितियों से बचने के लिए वायरस से लड़ते हुए लोगों की जीवन यापन की आवश्यकताओं की गारंटी कैसे दे सकते हैं, इसपर सबकी नजर है, लेकिन हर किसी को समझना चाहिए, कि हम जो कर रहे हैं, वो लोगों की जिंदगी बचाने और उन्हें सुरक्षित रखने के लिए कर रहे हैं।