अब क्या करने जा रहे पुतिन? अटलांटिक में तैनात किया दुनिया का सबसे तेज हाइपरसोनिक मिसाइल जिरकॉन
जिरकॉन मिसाइल अद्भुत क्षमताओं से लैस है। यह न सिर्फ 11,000 किमी प्रतिघंटे से हमला कर सकता है बल्कि 1000 किलोमीट की दूरी तक निशाना साधा सकता है।
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रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अटलांटिक और हिन्द महासागर में हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइलों से लैस युद्धपोत को तैनात कर दिया है। जिरकॉन से लैस हैं ये फ्रिगेट हाल में ही अटलांटिक महासागर में तैनात हुआ है। ऐसा दावा किया जाता है कि जिरकॉन मिसाइल इतना तेज है कि कई बार दुश्मनों के एयर डिफेंस सिस्टम भी इसे ट्रैक नहीं कर पाते। जिरकॉन मिसाइल अद्भुत क्षमताओं से लैस है। यह न सिर्फ 11,000 किमी प्रतिघंटे से हमला कर सकता है बल्कि 1000 किलोमीट की दूरी तक निशाना साधा सकता है।
पुतिन ने बुधवार को युद्धपोतों को किया रवाना
पुतिन ने बुधवार को एडमिरल गोर्शकोव के साथ मिसाइल लॉन्चिंग समारोह में हिस्सा लिया। इस मौके पर उनके साथ रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु और गोर्शकोव युद्धपोत के कमांडर इगोर क्रोखमल भी शामिल थे। पुतिन ने कॉम्बेट सर्विस का आदेश देने से पहले कहा, "गोर्शकोव युद्धपोत हाइपसोनिक मिसाइल प्रणाली-जिरकॉन से लैस है। मुझे यकीन है कि इस तरह के शक्तिशाली हथियार रूस को संभावित बाहरी खतरों से मजबूती से बचाएंगे।" इसके साथ ही पुतिन ने यह भी कहा कि इन हथियारो का दुनिया के किसी भी देश में कोई एनॉलॉग नहीं है।
अटलांटिक से हिन्द महासागर तक जाएगा गोर्शकोव
रूस के रक्षा मंत्री शोइगू ने कहा कि गोर्शकोव युद्धपोत, अटलांटिक, हिंद महासागर और भूमध्य सागर तक जाएगा। उन्होंने कहा कि गोर्शकोव अटलांटिक, हिंद महासागर और भूमध्य सागर तक जाएगा। शोइगू ने कहा कि जिरकॉन्स से लैस यह जहाज समुद्र और जमीन पर दुश्मन के खिलाफ सटीक और शक्तिशाली हमले करने में सक्षम है। रूसी रक्षामंत्री ने कहा कि हाइपरसोनिक मिसाइलें किसी भी मिसाइल रक्षा प्रणाली को मात दे सकती हैं। शोइगु ने यह भी कहा कि जिरकॉन मिसाइल ध्वनि की गति से 5 गुना अधिक गति से उड़ती है और इसकी सीमा 620 मील यानी हजार किलोमीटर से अधिक है। शोइगु ने कहा कि यात्रा का मुख्य कार्य रूस के लिए खतरों का मुकाबला करना और मैत्रीपूर्ण देशों के साथ संयुक्त रूप से क्षेत्रीय शांति और स्थिरता बनाए रखना था।
पुतिन ने बताया दुनिया का सबसे घातक मिसाइल
आपको बता दें कि हाल के वर्षों में जिरकॉन के कई परीक्षण किए गए हैं। बीते साल रूस ने युद्धपोतों और पनडुब्बियों से जिरकॉन का परीक्षण किया था। विभिन्न अभ्यासों के बाद सेना ने इसको ग्रीन सिग्नल दे दिया है। जिसके बाद आधिकारिक तौर पर जिरकॉन ने सेवा में प्रवेश किया है। इसके बाद से चीन और अमेरिका भी हाइपरसोनिक मिसाइल विकसित करने की होड़ में लग गए हैं। यह रूसी शस्त्रागार के सबसे ताकतवर हथियारों में से एक माना जाता है। पुतिन ने साल 2018 में जिरकॉन को सेना में शामिल करने से पहले इसके बारे में दावा किया था कि यह मिसाइल दुनिया के किसी भी हिस्से पर हमला कर सकती है और अमेरिका के बनाए डिफेंस सिस्टम को भी चकमा दे सकती है।
अमेरिका कर रहा युद्धपोत की निगरानी
जिरकॉन मिसाइल को शामिल करने का उद्देश्य रूसी क्रूजर, लड़ाकू जहाज और पनडुब्बियों को हथियार से मजबूत बनाना है। इस घातक मिसाइल का इस्तेमाल जहाज और जमीन दोनों ही जगहों पर किया जा सकता है। अमेरिका इस मिसाइल के बारे में कह चुका है कि वह इस जहाज की निगरानी कर रहा है, लेकिन यह नहीं लगता कि इससे कोई बड़ा खतरा है या इसका मुकाबला नहीं किया जा सकता। उनके पास हर समय किसी भी हमले से निपटने का पर्याप्त क्षमता है। उसने कहा कि वह नियमित रूप से रूसी जहाज एडमिरल गोरशकों पर निगरानी रखेगा।
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