Inner Mangolia के स्कूलों में मंगोल की जगह चीनी भाषा अनिवार्य, चीन की तानाशाही के खिलाफ प्रदर्शन
बीजिंग। भारत समेत दूसरे पड़ोसी देशों की जमीन हथियाने में लगे चीन के खिलाफ अब लोगों ने आवाज उठानी शुरू कर दी है। चीन की तानाशाही के खिलाफ इनर मंगोलिया में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। चीन ने यहां के स्कूलों में मंगोल भाषा की जगह चीनी भाषा यानी मैंड्रिन को अनिवार्य करने का आदेश दिया है। राष्ट्रपति शी जिनपिंग की सरकार की तरफ से दिए गए इस आदेश को मानने से मंगोलिया के लोगों ने इनकार कर दिया है। इसी वजह से अब वह बगावत पर उतर आए हैं।
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जबरन भाषा लाद रहा है चीन
इनर मंगोलिया, नॉर्थ चीन का हिस्सा है और एक स्वायत्त क्षेत्र है। चीन ने अपनी 'वन चाइना पॉलिसी' के तहत इनर मंगोलिया के स्कूलों में लोकल मंगोल भाषा की जगह हटाकर छात्रों को चीनी भाषा में पढ़ाई कराने का आदेश जारी किया है। तिब्बत और सिनकियांग की तरह धीरे-धीरे चीन की हान संस्कृति को इलाके पर लागू किया जा रहा है। हान मूल के लोगों को चीन के दूसरे इलाकों से लाकर इनर मंगोलिया में बसाया जा रहा है। पूरे इलाके में इनर मंगोलिया के मूल निवासी बस 18 प्रतिशत रह गए हैं। ऐसे में जबरदस्ती चीनी भाषा लादने की कोशिश के बाद लोगों के सब्र का बांध टूट गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि चीन की भाषा थोपने की नीति की वजह से मंगोलिया की बची-खुची संस्कृति भी पूरी तरह से खत्म हो जाएगी।
स्कूलों, कॉलेज के छात्र प्रदर्शन में शामिल
चीन की इस करतूत के खिलाफ स्कूलों और कॉलेज से सड़कों पर निकल आए छात्रों के विद्रोह को दबाने के लिए ड्रैगन ने सेना उतार दी है। छात्रों को जबरदस्ती वापस स्कूल-कॉलेज में भेज जा रहा है। बच्चों के समर्थन में उतरे मां-बाप को पकड़ कर बंद किया जा रहा है। 50 लाख इनर मंगोलिया के निवासियों के साथ हो रहे इस अन्याय पर दुनिया चुप है। चीन में पांच स्वायत्त प्रांत यानी ऑटोनोमॉस रीजन हैं, जिसमें से एक इनर मंगोलिया भी है। ये इलाका रणनीतिक लिहाज से काफी अहम है, क्योंकि इसके एक तरफ रूस है तो दूसरी तरफ मंगोलिया। दुनियाभार के खनिज यहां की धरती में मौजूद है, जिस वजह से चीन ने न केवल यहां कब्जा कर लिया है, बल्कि अब वहां की संस्कृति को भी बदल रहा है, जिसके खिलाफ लोग अब सड़कों पर हैं।