पेशावर बम ब्लास्ट मामले में बड़ा खुलासा, जानिए कैसे पुलिस यूनिफॉर्म में मस्जिद घुसा आतंकवादी?
पाकिस्तान के पेशावर में हुए बम ब्लास्ट की जिम्मेदारी तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने ली है और उसने आगे भी ऐसे ही धमाकों को अंजाम देने की धमकी दी है। वहीं, आत्मघाती हमलावर का सिर बरामद किया गया है।
Peshawar mosque bomber identified: पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा की राजधानी पेशावर में हुए भीषण बम धमाके में आरोपी आतंकवादी के बारे में बहुत बड़ा खुलासा हुआ है। पेशावर करे पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) मोअज्जम जाह अंसारी ने गुरुवार को खुलासा करते हुए कहा है, कि पेशावर मस्जिद में आत्मघाती बम विस्फोट के लिए जिम्मेदार आतंकवादी की सीसीटीवी फुटेज के जरिए पहचान कर ली गई है।
सीसीटीवी से आतंकी की पहचान
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए, आईजीपी ने कहा, कि हमलावर ने पुलिस की वर्दी पहन रखी थी और हेलमेट और नकाब पहनकर मोटरसाइकिल चला रहा था। उन्होंने कहा, कि बाइक का इंजन और चेसिस नंबर भी फर्जी था। पुलिस अधिकारी अंसारी ने विस्तार से बताया, कि हमलावर ने गाड़ी को साइड में ले जाने का नाटक किया, पुलिस लाइन पहुंचा और एक कांस्टेबल से पूछा, कि मस्जिद कहां है। सीसीटीवी फुटेज में हमलावर खैबर रोड में देखा जा रहा है। उन्होंने कहा, कि घटनास्थल पर मिले आत्मघाती हमलावर का सिर वही था, जिसकी पहचान सीसीटीवी फुटेज में हुई है। आईजीपी ने यह भी कहा, कि हमलावर एक व्यक्ति नहीं था, बल्कि उसका पूरा नेटवर्क उसको लगातार मदद पहुंचा रहा था। उन्होंने कहा, कि पुलिस बमबारी के लिए जिम्मेदार आतंकवादी नेटवर्क के काफी करीब है। आईजीपी ने दावा किया है, कि आतंकवादियों ने प्रांतीय राजधानी की शांति भंग की है और पुलिस कर्मी अब उनके नेटवर्क के काफी करीब हैं। उन्होंने कहा कि "हर एक शहीद का बदला लिया जाएगा"।
अफवाहों पर क्या बोली पुलिस?
आईजीपी अंसारी ने लोगों से विस्फोट के बारे में अफवाहें नहीं फैलाने का आग्रह किया है और उन्होंने कहा, कि अफवाह फैलने से स्थिति को कंट्रोल करने में काफी दिक्कतें आती हैं। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी साफ किया है, कि ड्रोन हमले की अफवाहें झूठी थीं और विस्फोट स्थल पर कोई "गड्ढा" नहीं था। उन्होंने आगे कहा, कि हमलावर का कोई पहचान पत्र नहीं मिला है और बम निरोधक इकाई की रिपोर्ट के मुताबिक, विस्फोट वास्तव में एक आत्मघाती हमलावर ने ही किया था। इसके साथ ही अंसारी ने ये भी कहा, कि विस्फोट में टीएनटी विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया, जबकि बम बनाने में इमारतों को गिराने में इस्तेमाल की जाने वाली विस्फोटक सामग्री का भी इस्तेमाल किया गया।
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इमारत गिरने से ज्यादा लोग मरे
पुलिस अधिकारी ने कहा, कि बम धमाके की वजह से सिर्फ 5 से 10 लोग ही मरे हैं, बल्कि बाकी लोगों की मौत की वजह इमारत का ढहना था। उन्होंने कहा, कि 2500 फीट की छत गिरने की वजह से ज्यादातर लोगों की मौत हुई है। उन्होंने कहा, कि मस्जिद में छत का निर्माण करने के लिए किसी खंभे का इस्तेमाल नहीं किया गया था, जिसकी वजह से धमाके के बाद छत धंस गई। उन्होंने कहा, कि अगर खंभे रहते, तो कई लोगों की जान बच सकती थी। उन्होंने कहा, कि "मस्जिद 50 साल पहले बनाई गई थी, जबकि मस्जिद का कमरा पूरी तरह से बंद था और मस्जिद में एक पुराना हॉल भी था।" इसके साथ ही आईजीपी अंसारी ने बम धमाके को रोकने में नाकाम रहने की सारी जिम्मेदारी अपने कंधे पर ली है और उन्होंने कहा है, कि सिपाहियों की कोई गलती नहीं थी। उन्होंने कहा, हमलावलों से जल्द ही बदला लिया जाएगा।
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