हाफिज सईद की चैरिटी की जब्त करने की योजना बना रही है पाकिस्तान सरकार
इस्लामाबाद। आतंकवाद को लेकर अमेरिका लगातार पाकिस्तान पर दबाव डाल रहा है और यही वजह है कि आतंकी हाफिज सईद को रिहा करने के बाद इस्लामाबाद के सामने रोज मुश्किलें खड़ी हो रही हैं। हाफिज सईद की पार्टी पर बैन लगाने की मांग करने के बाद अब पाकिस्तान सरकार उसके चैरिटी संगठनों और वित्तीय संसाधनों को अपने कब्जे में लेने की योजना बना ली है। पाकिस्तान में हाफिज सईद की फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन और जमात-उद-दावा चैरिटी है, जिससे वो लोगों से फंड इकट्ठा करता है।
हाफिज की चैरिटी होगी जब्त
अमेरिका द्वारा घोषित इंटरनेशनल टेररिस्ट हाफिज सईद की चैरिटी को जब्त करने के लिए पाकिस्तान सरकार ने 19 दिसंबर को अपने प्रांतों के प्रतिनिधियों से मीटिंग की है। इसमें आतंकी हाफिज सईद के चैरिटी फंड फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन और जमात-उद-दावा पर कार्रवाई करने को लेकर 28 दिसंबर को डॉक्युमेंट सबमिट करने को कहा गया था। न्यूज एजेंसी रायटर्स के मुताबिक, पाकिस्तान सरकार फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन पर कार्रवाई करने की योजना बना रही है।
FATF संस्था में हाफिज की चैरिटी का नाम
मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग के खिलाफ काम करने वाली संस्था 'फाइनैंशल ऐक्शन टास्क फोर्स इशूज' ने 19 दिसंबर को डॉक्यूमेंट में जारी कर हाफिज सईद के दो चैरिटी संगठनों के नाम शामिल हैं। इस मामले को पाकिस्तान के गृह मंत्री ने कहा है कि अधिकारियों को देश में फंड इकट्ठा करने वाली चैरिटी पर नजर रखने और उन पर दबाव बनाकर उचित कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं।
हाफिज की चैरिटी को US पहले ही बता चुका है टेरर फंडिंग
अमेरिका बहुत पहले से ही फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन और जमात-उद-दावा को आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के लिए फंड एकत्रित करने वाला चैरिटी बता चुका है। हाफिज सईद ने 1987 में लश्कर-ए-तैयबा का गठन किया था। भारत और अमेरिका हाफिज सईद को 2008 मुंबई हमलों को दोषी माना है, जिसने 166 लोगों की जान ले ली थी।