क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

पाकिस्तान में आर्मी चीफ की नियुक्ति में नया ट्विस्ट, क्या राष्ट्रपति के जरिए अड़ंगा लगा पाएंगे इमरान?

इमरान खान ने दावा किया है, कि जैसे ही अगले सेना प्रमुख की नियुक्ति का सारांश राष्ट्रपति के कार्यालय में पहुंचेगा, राष्ट्रपति डॉ. आरिफ अल्वी उनसे 'निश्चित रूप से' परामर्श करेंगे।

Google Oneindia News

Pakistan New Army Chief: पाकिस्तान में नये आर्मी चीफ की नियुक्ति को लेकर बवाल मचा हुआ है और 29 नवंबर को जनरल कमर जावेद बाजवा के रिटायरमेंट से पहले प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। वहीं, पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने शहबाज शरीफ की नाक में दम कर दिया है और आर्मी चीफ की नियुक्ति को लेकर वो आखिरी लम्हे तक लड़ाई करने के लिए तैयार हैं। अब इमरान खान ने राष्ट्रपति वाला दांव खेलकर एक नये ट्विस्ट को जन्म दे दिया है, क्योंकि राष्ट्रपति आरिफ अल्वी इमरान खान की पार्टी से आते हैं और इमरान खान ने ये दांव सार्वजनिक तौर पर खेल दिया है।

इमरान का राष्ट्रपति वाला दांव

इमरान का राष्ट्रपति वाला दांव

पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ यानि पीटीआई के अध्यक्ष इमरान खान ने दावा किया है, कि जैसे ही अगले सेना प्रमुख की नियुक्ति का सारांश राष्ट्रपति के कार्यालय में पहुंचेगा, राष्ट्रपति डॉ. आरिफ अल्वी उनसे 'निश्चित रूप से' परामर्श करेंगे। यानि, इमरान खान ने एक बार फिर से देश की संवैधानिक व्यवस्था को सरेआम सड़कों पर ला दिया है और साफ तौर पर कह दिया है, कि अब वो राष्ट्रपति के जरिए शहबाज शरीफ के फैसलों को रोक देंगे। वहीं, राष्ट्रपति आरिफ अल्वी पहले भी इमरान खान के कहने पर शहबाज शरीफ के शपथ ग्रहण कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए थे, जिसके बाद पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने शहबाज शरीफ को प्रधानमंत्री पद का शपथ दिलवाया था, लिहाज अब आशंका जताई जा रही है, कि राष्ट्रपति के जरिए इमरान खान नये आर्मी चीफ की नियुक्ति में अड़चने ला सकते हैं। इमरान खान ने साफ तौर पर सार्वजनिक रूप से कहा है, कि "राष्ट्रपति डॉ. आरिफ अल्वी निश्चित रूप से सेना प्रमुख की नियुक्ति के सारांश पर मुझसे परामर्श करेंगे और कानून और संविधान के मुताबिक फैसला लेंगे। मैं उस पार्टी का प्रमुख हूं जिससे डॉ. अल्वी संबंधित हैं।'

राष्ट्रपति लगाएंगे अड़ंगा?

राष्ट्रपति लगाएंगे अड़ंगा?

हालांकि, भारत की तरह पाकिस्तान में भी राष्ट्रपति हर दलगत राजनीति से उपर होते हैं और एक बार राष्ट्रपति बनने के बाद वो सभी पार्टियों से ऊपर हो जाता है, लेकिन पाकिस्तान में राष्ट्रपति पार्टी लाइन से बाहर नहीं जा पाते हैं और इमरान खान के बयान से साफ है, कि अब राष्ट्रपति आर्मी चीफ की नियुक्ति को प्रभावित करने वाले हैं। इमरान खान की यह टिप्पणी उस वक्त आई है, जब शहबाज शरीफ के पास पाकिस्तान सेना ने नये आर्मी चीफ के लिए 6 सैन्य अधिकारियों के नाम भेजे हैं और पाकिस्तान संविधान के मुताबिक नये आर्मी चीफ की नियुक्ति का अधिकारी सिर्फ और सिर्फ प्रधानमंत्री का होता है। आर्मी चीफ की नियुक्ति को लेकर प्रधानमंत्री को किसी के परामर्श की जरूरत नहीं है और नाम फाइनल करने के बाद प्रधानमंत्री उस नाम को राष्ट्रपति के पास भेज देते हैं और फिर राष्ट्रपति उस नाम को फाइनल करते हैं। लेकिन, अब सवाल उठ रहे हैं, कि क्या होगा अगर राष्ट्रपति शहबाज शरीफ के भेजे गये नाम को लौटा देते हैं?

संविधान उल्लंघन के लिए कुख्यात इमरान

संविधान उल्लंघन के लिए कुख्यात इमरान

आपको बता दें कि, इमरान खान पहले भी पाकिस्तान संविधान का उल्लंघन कर चुके हैं और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी जबरदस्त ड्रामे के बीच अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग करवाने के लिए तैयार हुए थे, लिहाजा इसमें कोई दोराय नहीं हैं, कि अब वो राष्ट्रपति के जरिए सैन्य प्रमुख की नियुक्ति में अड़ंगा डालेंगे। इमरान खान अपनी मर्जी का सैन्य प्रमुख चाहते हैं, जबकि शहबाज शरीफ कह चुके हैं, कि पाकिस्तान के संविधान के मुताबिक ही सैन्य प्रमुख की नियुक्ति होगी। वहीं, दूसरी तरफ इमरान खान की पार्टी ने 26 नवंबर से एक बार फिर से रावलपिंडी से अपना लॉन्ग मार्च फिर से शुरू करने की घोषणा कर दी है। वहीं, इमरान खान ने कहा है, कि उनकी पार्टी की अगली रणनीति क्या होगी, उसकी घोषणा वो लोगों के सामने रैली में करेंगे। इसके साथ ही इमरान खान ने नये आर्मी चीफ की 'तटस्थता' पर अभी से ही सवाल उठा दिए हैं और उन्होंने कहा कि, शहबाज शरीफ अपने भाई से राय विचार कर रहे हैं, लिहाजा नये आर्मी चीफ की तटस्थता क्या होगी, इसके बारे में सब जानते हैं।

शहबाज शरीफ ने कर दी देरी?

शहबाज शरीफ ने कर दी देरी?

पाकिस्तान में अभी तक सेना अध्यक्ष चुनने की प्रक्रिया संविधान के मुताबिक चल रही है और संविधान के मुताबिक ही सेना ने 6 सैन्य अधिकारियों के नाम, जिसे सारांश कहा जाता है, उसे प्रधानमंत्री ऑफिस भेजे हैं, लिहाजा अभी तक कहा जा सकता है, कि नियुक्ति प्रक्रिया अच्छी तरह से चल रही है। लेकिन, पाकिस्तानी अखबार डॉन ने आशंका जताई है, कि इस हफ्ते खत्म होने वाली सैन्य प्रमुख की नियुक्ति की प्रक्रिया एन वक्त से पहले काफी गड़बड़ा सकती है। डॉन का कहना है, कि उसे कई हलकों से ऐसी सूचनाएं मिली हैं, कि बहुत संभावना है कि राष्ट्रपति अभी भी नियुक्ति प्रक्रिया को बहुत जटिल बना सकते हैं। हालांकि, एडवोकेट उसामा खावर घुम्मन ने इसके लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है और उनका मानना है कि, सरकार को नये आर्मी चीफ की तलाश की प्रक्रिया काफी पहले शुरू कर देनी चाहिए थी, ताकि राष्ट्रपति के पास 'गेम' खेलने का कोई मौका नहीं होता। उन्होंने कहा कि, पाकिस्तान की संविधान के मुताबिक, आर्मी चीफ की नियुक्ति को लेकर प्रधानमंत्री सेना से सारांश प्राप्त करने के लिए बाध्य नहीं हैं और वो काफी आसानी से पहले ही इस प्रक्रिया को शुरू कर सकते थे।

सरकार की लापरवाही से संकट?

सरकार की लापरवाही से संकट?

उन्होंने कहा कि, सेना प्रमुख की नियुक्ति में देरी सरकार की लापरवाही और अक्षमता को दर्शाती है। हालांकि, राजनीतिक विश्लेषक अहमद बिलाल महबूब, जो पाकिस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ लेजिस्लेटिव डेवलपमेंट एंड ट्रांसपेरेंसी (पिल्डैट) के प्रमुख हैं, वो एडवोकेट उसामा से असहमत हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि, निवर्तमान प्रमुख आमतौर पर अपने उत्तराधिकारियों की जल्द घोषणा नहीं चाहते हैं, ताकि वे अपने कार्यकाल के अंतिम दिन तक पूर्ण शक्तियों का प्रयोग कर सकें। यानि, आर्मी चीफ नहीं चाहते थे, कि उनके कार्यकाल के आखिरी दिनों से पहले नये आर्मी चीफ के नाम की घोषणा कर दी जाए। उन्होंने कहा कि, जैसे ही नये सैन्य प्रमुख की नियुक्ति होती, ठीक वैसे ही बाजवा की सेना पर पकड़ ढीली हो जाती और बाजवा किसी भी हाल में ये नहीं चाहते।

राष्ट्रपति के पास क्या अधिकार हैं?

राष्ट्रपति के पास क्या अधिकार हैं?

हालांकि, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान सीधे तौर पर नए सेना प्रमुख की नियुक्ति को लेकर अपने प्रतिरोध से पीछे हट गए हैं, लेकिन ऐसी अटकलें हैं कि राष्ट्रपति आरिफ अल्वी पीटीआई के प्रति वफादारी दिखाते हुए संभावित रूप से खेल को बिगाड़ सकते हैं। लेकिन क्या वह वास्तव में ऐसा कर सकते हैं और अगर हां, तो फिर कैसे? पाकिस्तान का संविधान राष्ट्रपति को 15 दिनों के लिए प्रधानमंत्री द्वारा भेजे गए किसी भी सारांश पर होल्ड लगाने की इजाजत देता है और फिर इसे पुनर्विचार के लिए वापस भेजने की भी इजाजत देता है। यानि, राष्ट्रपति कम से कम 15 दिनों तक फाइल को लटका सकते हैं, यानि नये आर्मी चीफ की नियुक्ति 15 दिनों तक के लिए तो टल ही सकती है। लेकिन, अगर फिर से प्रधानमंत्री उसी फाइल को वापस बिना किसी परिवर्तन के भेज देते हैं और इस बार भी अगर राष्ट्रपति फाइल पर हस्ताक्षर नहीं करते हैं, तो उसके बाद उससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा और बगैर हस्ताक्षर ही फाइल को पास माना जाएगा। लेकिन, दोबारा फाइल मिलने के बाद उसपर साइन करेंगे या नहीं, ये फैसला करने के लिए राष्ट्रपति 10 दिनों का और वक्त ले सकते हैं। यानि, सीधे शब्दों में समझा जाए, तो राष्ट्रपति के पास फाइल लटकाने का 25 दिनों तक का संवैधानिक अधिकार है और आरिफ अल्वी ऐसा कर सकते हैं।

क्या कहता है पाकिस्तान का संविधान?

क्या कहता है पाकिस्तान का संविधान?

तो फिर सवाल ये उठता है, कि नये आर्मी चीफ की नियुक्ति पर आखिरी फैसला लेने का अधिकार किसे है?पाकिस्तान में इस बात पर एक लंबे संघर्ष का इतिहास रहा है, कि क्या राष्ट्रपति को अपने विवेक से या प्रधानमंत्री के परामर्श से सेना प्रमुख नियुक्त करना चाहिए? या संविधान के अनुच्छेद 48(1) के तहत प्रधानमंत्री उन्हें जो भी 'सलाह' देते हैं, राष्ट्रपति उसे मानने के लिए बाध्य हैं? 1973 के संविधान के अनुच्छेद 243, जो इस मामले से संबंधित है, उसे पाकिस्तान के नीति-निर्माताओं ने कम से कम पांच बार अपनी सुविधानुसार संशोधित किया है, क्योंकि सैन्य तानाशाहों और नागरिक सरकारों के बीच इस बात को लेकर हमेशा झगड़ा चलता रहा है, कि इस महत्वपूर्ण नियुक्ति का फैसला कौन करेगा? मौजूदा संविधान के मुताबिक, "राष्ट्रपति के पास सेना प्रमुख की नियुक्ति का आखिरी अधिकार है, लेकिन राष्ट्रपति अपनी मर्जी से ये फैसला नहीं कर सकते हैं और उन्हें प्रधानमंत्री की सलाह पर ही फैसला लेना होगा।" यानि, अब राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री अपने-अपने अधिकार होने का दावा कर एक लंबी लड़ाई में भी जा सकते हैं।

पाकिस्तान का अगला आर्मी चीफ कौन बनेगा? सेना ने सरकार को भेजे 6 नाम, जानें कौन है सबसे आगे?पाकिस्तान का अगला आर्मी चीफ कौन बनेगा? सेना ने सरकार को भेजे 6 नाम, जानें कौन है सबसे आगे?

Comments
English summary
Will Imran Khan be able to stop the appointment of new army chief in Pakistan through the President?
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X