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कश्मीर पर पाकिस्तान ने मानी हार, बिलावल भुट्टो का कबूलनामा, संयुक्त राष्ट्र में नहीं है कोई सुनने वाला

बिलावल भुट्टो कश्मीर पर विवादित बयान देने के लिए कुख्यात रहे हैं। जब वो अपनी पीपीपी पार्टी के अध्यक्ष बने थे, तो उन्होंने कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाने का दावा किया था।

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Bilawal Bhutto On Kashmir

Bilawal Bhutto On Kashmir: आखिरकार कश्मीर के मामले पर पाकिस्तान ने अपनी हार स्वीकार कर ली है और पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने शुक्रवार को स्वीकार किया है, कि उनके देश को भारत के कूटनीतिक प्रयासों की वजह से, कश्मीर को संयुक्त राष्ट्र के एजेंडे के "केंद्र" में लाना मुश्किल हो गया है। बिलावल भुट्टो ने ये बयान उस वक्त दिया है, जब उन्होंने कुछ हफ्ते पहले भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां की थीं।

कश्मीर पर बिलावल का कबूलनामा

महिलाओं की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र के आयोग (सीएसडब्ल्यू) की बैठक के बाद मीडियाकर्मियों से बात करते हुए बिलावल भुट्टो ने कहा, कि "जब भी कश्मीर का मुद्दा उठाया जाता है ... हमारे पड़ोसी देश कड़ी आपत्ति जताते हैं, मुखर रूप से आपत्ति जताते हैं और वे पोस्ट फैक्टो नैरेटिव को आगे बढ़ाते हैं।" बिलावल ने आगे लड़खड़ाते हुए कहा, कि "वे यह दावा करने की कोशिश करते हैं, कि यह संयुक्त राष्ट्र के लिए कोई विवाद नहीं है, और यह (कश्मीर) अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा मान्यता प्राप्त एक विवादित क्षेत्र नहीं है, और वे (भारत) जोर देते हैं, तथ्यों का विरोध करते हैं, वास्तविकता का विरोध करते हैं, कि कश्मीर पर जो उनका दावा है, उसका उन्हें समर्थन चाहिए।" बिलावल भुट्टो ने सच्चाई को स्वीकार करते हुए आगे कहा, कि "जबकि हमें सच्चाई को सामने लाने में मुश्किल होती है, हम अपने प्रयासों में लगातार बने रहते हैं।"

भारत को बिलावल ने गलती से बताया 'मित्र देश'

वहीं, समाचार एजेंसियां आईएएनएस और पीटीआई की रिपोर्टों में यह भी बताया गया है, कि बिलावल भुट्टो ने गलती से भारत को "मित्र" के रूप में संदर्भित किया और फिर जल्दी से अपने बयान को वापस पलटा और फिर भारत को "पड़ोसी" देश के रूप में संबोधित किया। आपको बता दें, कि 1972 में, शिमला समझौते के तहत, यह फैसला लिया गया था, कि कश्मीर को लेकर दोनों पड़ोसियों के बीच के सभी विवाद द्विपक्षीय मामले हैं और इस पर पाकिस्तान के वर्तमान विदेश मंत्री के दादा, जुल्फिकार अली भुट्टो, जो उस समय पाकिस्तान के राष्ट्रपति थे, उन्होंने और भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने हस्ताक्षर किए थे। इसके बावजूद पाकिस्तान ने कई मौकों पर संयुक्त राष्ट्र में और यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठकों के दौरान कश्मीर विवाद को उठाया। यहां तक की, जिन बैठकों में कश्मीर मुद्दा कोई प्रासंगिक नहीं थी, उन बैठकों में भी पाकिस्तान के कश्मीर को लेकर हल्ला किया।

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भारत ने फिर बिलावल को धोया

वहीं, भारत ने महिलाओं की शांति और सुरक्षा पर सुरक्षा परिषद की बहस के दौरान कश्मीर मुद्दे को उठाने के लिए विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो की आलोचना की। संयुक्त राष्ट्र में भारत की राजदूत रुचिरा कंबोज ने कहा, कि पाकिस्तानी विदेश मंत्री द्वारा लगाए गए आरोप प्रतिक्रिया के "योग्य" नहीं थे। इससे पहले रूचिरा कंबोज ने 8 मार्च को कहा था, कि "इससे पहले कि मैं निष्कर्ष निकालूं, मुझे केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के बारे में पाकिस्तान के प्रतिनिधि द्वारा की गई ओछी, निराधार और राजनीति से प्रेरित टिप्पणी को खारिज कर देना चाहिए।"

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English summary
Pakistan's Foreign Minister Bilawal Bhutto has admitted that he has failed to bring the Kashmir dispute to the UN agenda.
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