भारत-पाकिस्तान के बीच 'चौधरी' बने रहना चाहता है ब्रिटेन, PAK आर्मी चीफ को बुलाकर चली बड़ी चाल
ऋषि सुनक सरकार के निमंत्रण पर पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर 5 से 8 फरवरी के बीच विल्टन पार्क में 5 वें संयुक्त यूके-पाक स्थिरीकरण सम्मेलन को संबोधित करने वाले हैं।
File Image: pti
भारत और पाकिस्तान को साम्राज्यवादी ब्रिटेन से आजादी मिले 75 साल हो चुके हैं। आज भारत दुनिया के बड़े देशों में सबसे तेज आर्थिक विकास दर के साथ आगे बढ़ रहा है और ब्रिटेन की तुलना में एक बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है मगर फिर भी ब्रिटेन को यह भ्रम है कि वह भारत से जुड़े मामलों में अपना एजेंडा चला सकता है। हकीकत तो ये भी है कि ब्रिटिश सिस्टम अभी भी भारत को लेकर अपनी साम्राज्यवादी मानसिकता से बाहर नहीं निकल पाया है और आज भी उसका पाकिस्तान को लेकर उसका पूर्वग्रह साफ नजर आता है।
क्षेत्रीय स्थिरता सम्मेलन की मेजबानी कर रहे UK-पाक
आपने सुना होगा कि कैसे ब्रिटेन के राज्य प्रसारक बीबीसी ने विदेशी कार्यालय के निर्देशों के साथ 2024 के चुनावों को ध्यान में रखते हुए भारतीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पीएम मोदी को क्लीन चिट देने के बाद भी 2002 के गुजरात दंगों को उठाया है। यह सिर्फ संयोग नहीं है कि इसी दौरान पाकिस्तान और ब्रिटेन की सेना ने संयुक्त रूप से इंग्लैंड में क्षेत्रीय स्थिरता सम्मेलन की मेजबानी करने का फैसला किया है। यहां पर अन्य बातों के अलावा तथाकथित कश्मीर विवाद पर चर्चा भी की जाएगी।
पाकिस्तानी जनरल को बुलावा भेजा
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक ऋषि सुनक सरकार के निमंत्रण पर पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर 5 से 8 फरवरी के बीच विल्टन पार्क में 5 वें संयुक्त यूके-पाक स्थिरीकरण सम्मेलन को संबोधित करने वाले हैं। आपको बता दें कि विल्टन पार्क ब्रिटेन के विदेश कार्यालय की एक कार्यकारी एजेंसी है जो रणनीतिक चर्चाओं के लिए एक मंच प्रदान करती है। ब्रिटेन के सेना प्रमुख जनरल पीएन वाई एम सैंडर्स इस कार्यक्रम की सह मेजबानी करेंगे। इस सम्मेलन की थीम "दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय स्थिरता: भू-राजनीति और अन्य चुनौतियों की वापसी" है।
इन बातों पर होगी चर्चा
इस सम्मेलन में यूरोपीय संघ, ब्रिटेन पर यूक्रेन युद्ध के प्रभाव और पाकिस्तान के लिए इसके विचार पर ध्यान केंद्रित करेगा। आपको बता दें कि पाकिस्तान, यूक्रेन को गुप्त रूप से हथियार और गोला-बारूद दे चुका है। चर्चा के अन्य विषयों में सूचना संचालन की भूमिका, युद्ध में साइबर हमला, दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय स्थिरता, सुरक्षा चुनौतियां और कश्मीर विवाद पर एक अपडेट शामिल हैं। आपको बता दें कि जब मोदी सरकार ने 2019 में जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए को निरस्त करने का फैसला किया, तो ब्रिटेन ने भारत से अपनी चिंता व्यक्त की थी।
पहले भी दिख चुका है ब्रिटेन का दोहरा चरित्र
ब्रिटेन ने 16 अगस्त, 2019 को संयुक्त राष्ट्र में दोहरा खेल खेला। वह पाकिस्तान के करीबी देश चीन और कुवैत के साथ था और चाहता था कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कश्मीर मुद्दे पर चर्चा हो। हालांकि अमेरिका ने इससे साफ इनकार कर दिया और कहा कि यह उन दोनों देशों का आपसी मामला है। ठीक उसी दिन दूसरे दौर की बैठक में ब्रिटेन फिर से इस मुद्दे पर चर्चा के लिए पाकिस्तान के पक्ष में दिखाई दिया लेकिन अमेरिका और फ्रांस फिर से भारत के समर्थन में आ गए।
मोदी सरकार और US के दबाव पर रूका UK
इतना ही नहीं जनवरी 2020 में यूएनएससी में चीन ने भारत को घेरने की नीयत से प्रस्ताव लाना चाहा, लेकिन मोदी सरकार और अमेरिका के भारी दबाव में ब्रिटेन ने अपना मन बदला और इस मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय चर्चा की वकालत की। जब यूएनएससी की 1267 प्रतिबंध समिति द्वारा अमेरिका, फ्रांस और भारत के इशारे पर पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों को नामित करने की बात आती है तो यूके भी दोहरा खेल खेल देता है। अब यूके, पाकिस्तान सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर के साथ अगले महीने तथाकथित "कश्मीर विवाद" पर चर्चा करके तीसरे अंपायर की भूमिका निभाने की कोशिश कर रहा है लेकिन पाकिस्तान के इस छुपे दोस्त पता नहीं है कि कश्मीर के इस खेल में तीसरा अंपायर का कोई ‘प्रावधान' नहीं है।
नाथन एंडरसन जिसकी एक रिपोर्ट से अडानी के अरबों डॉलर डूबे, 36 कंपनियों का कर चुके हैं काम तमाम
Recommended Video