पाक सरकार ने कोरोना का हवाला देते हुए सिख तीर्थयात्रियों के जत्थे को एंट्री देने से किया इंकार
अमृतसर, 16 जून। तीर्थयात्रियों के एक सिख जत्थे के ग्रुप को पाकिस्तान ने परमीशन देने से इनकार कर दिया है। ये सिख तीर्थयात्रियों का जत्था 21 जून को अटारी-वाघा सीमा से होते हुए पाकिस्तान स्थित सिख धार्मिक स्थल जाना चाहते थे। पाकिस्तान ने कोविड -19 महामारी का हवाला देते हुए यात्रियों को रोक दिया है। तीर्थयात्रियों के इस जत्थे को 10 दिनों तक पाकिस्तान में रहना था और 29 जून को लाहौर के गुरुद्वारा देहरा साहिब में महाराजा रणजीत सिंह की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में सिख धार्मिक स्थलों पर जाना था।
बता दें ये पहली बार नहीं हुआ है जब पाकिस्तान ने एक सिख जत्थे को अनुमति देने से इनकार कर दिया था। जो 6 जून को जाना था। तब भी महामारी का हवाला देते हुए मना कर दिया था। वो जत्था 5 वें सिख गुरु, गुरु अर्जन देव की शहादत दिवस पर ऐतिहासिक गुरुद्वारों का दौरा करने वाला था।
बता दें भारत पाकिस्तान और भारत दोनों पड़ोंसी देशों में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की गारंटी के लिए 1950 में हस्ताक्षरित एक द्विपक्षीय समझौते के अनुसार, लगभग 3,000 सिख तीर्थयात्रियों को चार धार्मिक अवसरों पर पाकिस्तान में गुरुद्वारों में जाने की अनुमति है। ये सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक की जयंती, गुरु अर्जन देव की शहादत की सालगिरह, खालसा पंथ (बैसाखी) की स्थापना दिवस और महाराजा रणजीत सिंह की पुण्यतिथि मनाने के लिए हैं।
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के सहायक सचिव (मीडिया) कुलविंदर सिंह रामदास ने कहा, हमारे यात्रा विभाग ने पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (पीएसजीपीएस) के अध्यक्ष सतवंत सिंह से फोन पर बात की, उन्होंने ही पाकिस्तान सरकार के फैसले की जानकारी दी। जिन तीर्थयात्रियों ने पाकिस्तान जाने के लिए एसजीपीसी कार्यालय में अपना पासपोर्ट जमा कराया था, वे यात्रा विभाग से अपने दस्तावेज वापस ले सकते हैं।