आज भारत में होगी विश्व की सबसे बड़ी 'खुफिया सभा', जासूसों के 'बॉस' बनाएंगे खतरों के खिलाफ मास्टरप्लान
नई दिल्ली में विश्व के सबसे बड़े 40 जासूसी एजेंसियों के प्रमुखों की ये बैठक ठीक उस वक्त हो रही है, जब भारतीय विदेश मंत्रालय 25 अप्रैल को रायसीना डायलॉग का आयोजन कर रहा है...
नई दिल्ली, अप्रैल 24: अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज करवा रहा है और पिछले दो महीने में भारत में जिस तरह से वैश्विक नेताओं का जमावड़ा लगा है, उससे साफ जाहिर होने लगा है, कि आने वाला वक्त भारत का है और भारत को लेकर विश्व के तमाम बड़े देश क्या सोचते हैं और भारत उनके लिए कितना महत्वपूर्ण है। इसी कड़ी में नई दिल्ली में आज जासूसों का सबसे बड़ा जमावड़ा लगने जा रहे हैं।
जुटेंगे 40 सबसे बड़े जासूस
मनी कंट्रोल की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की राजधानी नई दिल्ली में 24 और 25 अप्रैल को विश्व के 40 सबसे बड़े ताकतवर मुल्कों के जासूसी एजेंसियों के प्रमुखों के बीच कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर बैठक होने वाली है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि, विश्व की 40 ताकतवर खुफिया एजेंसियों के प्रमुख अधिकारी बैठक में शामिल होने के लिए नई दिल्ली पहुंच चुके हैं। रिपोर्ट में कहा गया है, 40 खुफिया एजेंसियों में से 25 खुफिया एजेंसियों के प्रमुख दिल्ली आ चुके हैं और वो बैठक में हिस्सा लेंगे, जबकि 15 खुफिया एजेंसियों के अन्य प्रमुख अधिकारी बैठक में हिस्सा लेंगे। अधिकारियों ने कहा कि, सम्मेलन का आयोजन देश की बाहरी खुफिया एजेंसी, रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय (एनएससीएस) द्वारा किया जा रहा है जो राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल को रिपोर्ट करता है।
किन देशों के जासूस पहुंचे
मनी कंट्रोल की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की खुफिया एजेंसी के एक प्रमुख सूत्र ने बताया कि, बैठक में हिस्सा लेने के लिए कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, यूएई और कई अन्य एशियाई और यूरोपीय देशों की खुफिया एजेंसियों के बॉल नई दिल्ली पहुंच चुके हैं। सूत्रों ने कहा कि यह 'खुफिया सभा' उन सभी शीर्ष वैश्विक सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा करने जा रही है, जिन्हें दुनिया के लिए तत्काल खतरा माना जाता है। इस बैठक में ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, इज़राइल, सिंगापुर, जापान और न्यूजीलैंड के खुफिया प्रमुख और प्रतिनिधि शामिल हैं।
साझा एजेंडे में चीन पर बात
भारतीय खुफिया एजेंसी के एक सूत्र ने बताया कि, खुफिया सभा की बैठक में साझा एजेंडे पर चीन शामिल होगा, जिसमें हालिया समय में दुनिया में कई सुरक्षा समस्याएं पैदा कर दी हैं और जिसने दुनिया की सामाजिक, आर्थिक और क्षेत्रीय खतरा पैदा कर दिए हैं। लिहाजा, जासूसों की सभा में चीन को लेकर काफी अहम चर्चा होने वाली है और चीन के अलावा सूत्रों ने कहा कि, इस बैठक का मतलब अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा साझेदारी में भारत के महत्व का भी संकेत है। उन्होंने कहा कि, जासूसी एजेंसी के प्रतिनिधि अपने भारतीय समकक्षों और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से बातचीत करेंगे।
रायसीना डायलॉग में भी होंगे शामिल
खुफिया सूत्रों ने बताया कि, भारत पहुंचने वाले खुफिया एजेंसियों के अधिकारी 25 अप्रैल को नई दिल्ली में आयोजित रायसीना डायलॉग में भी शामिल होंगे। जिसमें मुख्य अतिथि के तौर पर यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन शामिल हो रही हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, इस खुफिया सम्मेलन को वार्षिक म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन और सिंगापुर के शांगरी-ला संवाद की तर्ज पर तैयार किया गया है, जिसमें ज्यादातर पश्चिमी देशों और उनके सहयोगियों के शीर्ष खुफिया और सुरक्षा संगठनों के प्रमुख और उप प्रमुखों शामिल होते हैं।
कितनी महत्वपूर्ण है ये खुफिया सभा
नई दिल्ली में विश्व के सबसे बड़े 40 जासूसी एजेंसियों के प्रमुखों की ये बैठक ठीक उस वक्त हो रही है, जब भारतीय विदेश मंत्रालय 25 अप्रैल को रायसीना डायलॉग का आयोजन कर रहा है, जिसमें भू-राजनीति और भू-अर्थशास्त्र पर चर्चा की जाएगा। 2016 से सालाना आयोजित रायसीना संवाद का उद्घाटन भारतीय पीएम नरेन्द्र मोदी करेंगे, जबकि यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन मुख्य अतिथि होंगीं।
भारत की ताकत देखेगी दुनिया
भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि, इस बैठक में अर्जेंटीना, आर्मेनिया, ऑस्ट्रेलिया, गुयाना, नाइजीरिया, नॉर्वे, लिथुआनिया, लक्जमबर्ग, मेडागास्कर, नीदरलैंड, फिलीपींस, पोलैंड, पुर्तगाल और स्लोवेनिया के विदेश मंत्रियों के साथ 90 देशों और बहुपक्षीय संगठनों के लगभग 200 वक्ता हिस्सा ले रहे हैं। वहीं, खुफिया बैठक को लेकर अधिकारियों ने कहा है कि, इस सम्मेलन का इरादा 'आपसी अभिवादन' नहीं है, बल्कि इसका उद्येश्य एजेंसियों के बीच एक अलग तरह की योजना बनाने की है। माना जा रहा है कि, इंडो-पैसिफिक और चीन को ध्यान में रखते हुए इस अहम बैठक का आयोजन किया जा रहा है।
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