हरिद्वार ‘धर्म संसद’ पर अब पाकिस्तान ने दी भारत को नसीहत
हरिद्वार की 'धर्म संसद" में मुस्लिम समुदाय के ख़िलाफ़ हुई भड़काऊ भाषणबाज़ी को लेकर पाकिस्तान ने इस्लामाबाद में भारतीय राजनयिक को सोमवार को तलब किया.
हरिद्वार की 'धर्म संसद' में मुस्लिम समुदाय के ख़िलाफ़ हुई भड़काऊ भाषणबाज़ी को लेकर पाकिस्तान ने इस्लामाबाद में भारतीय राजनयिक को सोमवार को तलब किया.
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने भारतीय दूतावास के सबसे वरिष्ठ राजनयिक एम. सुरेश कुमार को अपनी 'गंभीर चिंताओं' से अवगत कराया है.
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पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता आसिम इफ़्तिख़ार अहमद ने बयान जारी किया है कि 'आज भारतीय चार्ज डी अफ़ेयर्स को विदेश मंत्रालय, इस्लामाबाद में तलब किया गया और भारतीय मुसलमानों के नरसंहार करने के हिंदुत्व समर्थकों के खुलेआम आह्वान पर पाकिस्तान सरकार की गंभीर चिंताओं से भारत सरकार को अवगत कराने को कहा है.'
"हिंदू रक्षा सेना के प्रबोधनाथ गिरि और अन्य हिंदुत्व नेताओं ने जातीय सफ़ाई का आह्वान किया, यह बेहद निंदनीय था लेकिन भारत सरकार ने न इस पर खेद ज़ाहिर किया और न ही इसकी निंदा की और न ही इसके ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई की."
बयान में कहा गया है कि भारतीय पक्ष से यह बात साझा की गई है कि पाकिस्तान के लोगों और पूरी दुनिया की सिविल सोसाइटी और विभिन्न समुदायों में इस नफ़रत भरे भाषण को लेकर गहरी चिंताएं हैं.
बयान में कहा गया है, "अफ़सोस है कि भारत में हिंदुत्व के आधार पर चल रही बीजेपी-आरएसएस की वर्तमान गठबंधन सरकार में अल्पसंख्यकों और ख़ासकर मुसलमानों के ख़िलाफ़ ज़हरीले भाषण और राज्य संरक्षण में उनका उत्पीड़न एक नियम बन गया है."
पाकिस्तान ने और क्या-क्या कहा
हरिद्वार में 17 से 19 दिसंबर को आयोजित हुई 'धर्म संसद' में हिंदुत्व को लेकर साधु-संतों के विवादित भाषणों के साथ-साथ पाकिस्तान ने पिछली घटनाओं की याद भी भारत को दिलाई है.
पाकिस्तान विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि 'हिंदुत्ववादी नेताओं द्वारा इस तरह की भड़काऊ बयानबाज़ी पहले भी हुई है जिसमें सत्ताधारी दल के चुने हुए सदस्य भी शामिल थे जिसके कारण फ़रवरी 2020 में नई दिल्ली में मुस्लिम विरोधी दंगे भी हुए.'
"अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों का निरंतर गंभीर रूप से उल्लंघन हो रहा है. ख़ासकर मुसलमानों और उनके धर्म स्थलों का, इसके साथ ही केंद्र सरकार और कई बीजेपी शासित राज्य मुस्लिम विरोधी क़ानून बना रहे हैं. मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिंदुत्ववादी समूह छोटे-मोटे बहाने बनाकर राज्य के संरक्षण में हिंसा की लगातार घटनाएं अंजाम दे रहे हैं और सज़ा से बच जा रहे हैं. यह भारत के मुसलमानों के भविष्य और इस्लामोफ़ोबिया को लेकर बनती एक गंभीर तस्वीर को दिखाता है."
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बयान में आगे कहा गया है, "पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मांग करता है कि वो अल्पसंख्यकों, ख़ासकर मुसलमानों के ख़िलाफ़ लगातार और व्यवस्थित तरीक़े से जारी मानवाधिकार उल्लंघनों के लिए भारत को जवाबदेह ठहराए. साथ ही नज़दीक आ चुके नरसंहार से बचने के लिए तुरंत क़दम उठाए."
पाकिस्तान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि भारत से अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ नफ़रत भरे भाषणों और व्यापक हिंसा की घटनाओं की जांच करने और भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने की अपेक्षा की गई है.
बयान में कहा गया है, "पाकिस्तान ने भारत से निवेदन किया है कि वो अपने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और उनके कल्याण को सुरक्षित करेगा जिनमें उनके धार्मिक स्थलों की सुरक्षा और जीवन जीने का तरीक़ा भी शामिल है."
भारत और पाकिस्तान बुलाते रहे हैं राजनयिक
विदेश मंत्रालयों की ओर से किसी घटना पर कोई कड़ी टिप्पणी जारी करना बेहद आम रहा है लेकिन भारत में अल्पसंख्यकों से जुड़ी घटना पर किसी भारतीय राजनयिक को तलब करना कम ही दिखा है.
हालांकि, पाकिस्तान में उसके हिंदू और सिख अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ अत्याचार की घटना के दौरान भारत ने कई बार बयान जारी करके पाकिस्तान की निंदा की है. कई बार भारत सरकार ने पाकिस्तान राजनयिकों को तलब भी किया है.
अगस्त में पाकिस्तान के रहीम यार ख़ान ज़िले में हिंदू मंदिर पर हमले के बाद पाकिस्तानी राजनयिक को तलब किया गया था.
हरिद्वार में क्या हुआ था
हरिद्वार में 17 से 19 दिसंबर को आयोजित धर्म संसद में हिंदुत्व को लेकर साधु-संतों के विवादित भाषणों के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए थे.
इन वीडियो में धर्म की रक्षा के लिए शस्त्र उठाने, मुस्लिम प्रधानमंत्री न बनने देने, मुस्लिम आबादी न बढ़ने देने समेत धर्म की रक्षा के नाम पर विवादित भाषण देते हुए साधु-संत दिखाई दिए थे.
महिला संत भी कॉपी-किताब रखने और हाथ में शस्त्र उठाने जैसी बात कहती हुई नज़र आई थीं.
इस आयोजन से संबंधित वीडियो के वायरल होने के कई घंटे बाद तक पुलिस प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हुई जिसके चलते ज़िला प्रशासन पर सवाल उठने लगे थे.
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हालांकि, बाद में एक शिकायत मिलने के बाद उत्तराखंड पुलिस ने यूपी शिया वक़्फ़ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिज़वी उर्फ़ जितेंद्र नारायण त्यागी समेत एक अन्य व्यक्ति और दो अज्ञात लोगों पर मामला दर्ज किया गया था.
इसके बाद इस पुलिस कार्रवाई पर भी सवाल उठे कि जब वीडियो में साफ़ भड़काऊ भाषण देने वालों को देखा जा सकता है तो पुलिस एफ़आईआर क्यों नहीं दर्ज कर रही है.
रविवार को एक समुदाय विशेष के ख़िलाफ़ भड़काऊ भाषण देने के आरोप में शहर कोतवाली पुलिस ने जांच के बाद संत धर्मदास और साध्वी अन्नपूर्णा के ख़िलाफ़ भी मुक़दमा दर्ज कर लिया. ये दोनों अभियुक्त हरिद्वार के संत हैं.
उत्तरी हरिद्वार खड़खड़ी स्थित वेद निकेतन में 17 से 19 दिसंबर तक 'धर्म संसद' का आयोजन किया गया था. धर्म संसद में जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर यति नरसिम्हानंद, यूपी शिया वक़्फ़ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष जितेंद्र नारायण त्यागी उर्फ़ वसीम रिज़वी, स्वामी प्रबोधानंद गिरि, धर्मदास, साध्वी अन्नपूर्णा समेत कई संत शामिल हुए थे.
इस 'धर्म संसद' के बाद रायपुर की भी एक 'धर्म संसद' की चर्चा होने लगी.
रविवार को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में हुए इस कार्यक्रम के दौरान महात्मा गांधी को अपशब्द कहे गए और मुसलमानों के ख़िलाफ़ भी भड़काऊ बयानबाज़ी हुई.
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हालांकि महात्मा गांधी को अपशब्द कहने वाले कालीचरण महाराज के ख़िलाफ़ इस 'धर्म संसद' के आयोजनकर्ताओं में से ही एक रायपुर नगर निगम के सभापति और कांग्रेस नेता प्रमोद दुबे की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज किया है.
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और विधायक मोहन मरकाम ने भी पुलिस में शिकायत दर्ज की है.
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