80% मुस्लिम आबादी वाले इस देश ने संविधान से हटाया 'इस्लाम', लेने वाला है बड़ा फैसला
ट्यूनिश, 25 जून: अफ्रीकी देश ट्यूनीशिया में तख्तापटल को एक साल हो चुका है। अब इस अफ्रीकी देश की कमान नए राष्ट्रपति कैस सैयद के हाथों में हैं। वह देश में लगातार सुधार अभियान चला रहे हैं। ट्यूनीशिया में नए संविधान को लेकर तैयारियां चल रही हैं। इसके लिए बाकायदा मसौदा तैयार कर लिया गया है। इसी के तहत प्रेसिडेंट कैस सैयद एक बड़ा कदम उठाने जा रहे हैं। कैस सैयद ने कहा है कि नए संविधान में ट्यूनीशिया का राजकीय धर्म इस्लाम नहीं रहेगा। इसे लेकर जनमत संग्रह होने जा रहा है। जिसके बाद इस्लाम को राज्यधर्म की मान्यता खत्म हो जाएगी।
इस्लाम के खिलाफ ये अफ्रीकी देश लेने वाला है बड़ा फैसला
मोरक्को वर्ल्ड न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक देश के राष्ट्रपति कैस सैयद ने कहा, ट्यूनीशिया के अगले संविधान में इस्लाम राज्य के आधिकारिक धर्म के तौर पर नहीं रहेगा, बल्कि ये एक उम्माह (समुदाय) के रूप में होगा। राष्ट्रपति सैयद ने कहा, हम एक ऐसे स्टेट की बात नहीं कर रहे हैं जिसका धर्म इस्लाम है लेकिन हम एक राष्ट्र की बात करेंगे जिसका धर्म इस्लाम है लेकिन नेशन, स्टेट से अलग है। सैयद कहना चाह रहे हैं कि ट्यूनीशिया का कोई राजकीय धर्म नहीं होगा लेकिन एक राष्ट्र के तौर पर धर्म इस्लाम है।
80 % मुस्लिम नहीं चाहते उनका देश बने इस्लामिक राष्ट्र
नए संविधान से पहले इस्लाम को ट्यूनीशिया में "राज्य के धर्म" के रूप में मान्यता प्राप्त थी। देश की अधिकांश(80 फीसदी)आबादी मुस्लिम हैं। हालाँकि, देश शरिया कानून को नहीं मानता है, बल्कि इसका कानूनी स्ट्रक्चर अधिकतर यूरोपीय सिविल लॉ पर आधारित है। सैयद को सोमवार को नए संविधान का मसौदा सौंपा गया। अब माना जा रहा है कि, वह 25 जुलाई को होने वाले जनमत संग्रह से पहले इसे मंजूरी दे सकते हैं।
शऱिया कानून को मानते हैं बुरा
ट्यूनीशिया के 2014 के संविधान के अध्याय-1 के पहले अनुच्छेद में कहा गया है कि ट्यूनीशिया एक स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र है और इस्लाम इसका धर्म और अरबी इसकी भाषा है। यह गणतंत्र राष्ट्र है। ट्यूनीशिया का नया संविधान 2014 के इसी संविधान की जगह लेगा। विपक्ष और मानवाधिकार संगठनों ने राष्ट्रपति सैयद पर ऐसे संविधान को मंजूरी देने की कोशिश करने का आरोप लगया है, जिसे उनकी महत्वकांक्षाओं के अनुरूप तैयार किया गया है।
80% मुस्लिम आबादी कट्टरपंथ के खिलाफ
कैस सईद ने पिछले साल ही ट्यूनीशिया की संसद को भंग कर दिया था और जुलाई 2021 में देश की सत्ता पर पूरी तरह से अधिकार कर लिया। इस्लामिक देश के कई राजनेता सईद के इस्लाम को राज्य से अलग करने की कोशिशों का विरोध करने लगे हैं। संवैधानिक मसौदा समिति का नेतृत्व कर रहे ट्यूनिस लॉ स्कूल के पूर्व डीन सदोक बेलैड का कहना था कि देश के नए संविधान में इस्लाम का कोई संदर्भ नहीं होगा। उन्होंने कहा कि ट्यूनीशिया के 80% से अधिक लोग इस्लामिक पॉलिटिक्स के विरोधी हैं और कट्टरपंथ के खिलाफ हैं।