नेपाल ने कहा- हमारा नया नक्शा एतिहासिक दस्तावेजों पर आधारित
काठमांडू। नेपाल ने पिछले दिनों अपने नक्शे में बदलाव किया है और अब उसने उन हिस्सों को अपने क्षेत्र में दिखाया है जो भारत की सीमा में पड़ते हैं। अखबार द हिंदू से बात करते हुए नेपान के विदेश नीति सलाहकार राजन भट्टराई ने कहा है कि उनका नया नक्शा एतिहासिक दस्तावेजों पर आधारित है जो 19वीं सदी से जुड़े हैं। ऐसे में भारत इस नक्शे को आर्टिफिशियल यानी कृत्रिम नहीं कह सकता है।
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सलाहकार बोले-वाजपेयी के दौर में भी हुआ था विवाद
भट्टराई नेपाली प्राइम मिनिस्टर केपी शर्मा ओली को विदेश नीति के मामलों में सलाह देने का काम करते हैं। उन्होंने कहा है कि कालापानी क्षेत्र में सीमा विवाद पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय से चला आ रहा है। उन्होंने कहा कि उस समय दोनों देशों के अधिकारियों की कई राउंड मुलाकातें हुई थीं। भट्टराई ने कहा, 'हमारा नक्शा कृत्रिम नहीं है। हम बैठकर बात करना चाहते हैं और अपने भारतीय समकक्षों से इस मुद्दे पर चर्चा करना चाहते हैं। हमारी स्थिति एतिहासिक दस्तावेजों पर आधारित है जो सन् 1816 में हुई सुगौली संधि से जुड़े हैं।' भारत और नेपाल के बीच 1800 किलोमीटर का बॉर्डर है जो पूरी तरह से खुला। लिपुलेख पास पर नेपाल 1816 में हुई सुगौली संधि के तहत अपना दावा जताता है। इसके अलावा नेपाल ने लिम्पियाधुरा और कालापानी पर भी अपना दावा किया है।
बुधवार को आया है नया नक्शा
नेपाल ने बुधवार को नया नक्शा जारी किया है। इसमें कालापानी, लिम्पियाधुरा और लिपुलेख को उसने अपनी सीमा में दिखाया है। भारत के विदेश मंत्रालय की तरफ से इस नक्शे को खारिज करते हुए कड़ा विरोध दर्ज कराया गया था। प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव नेपाल पर भड़के और उन्होंने कहा, 'इस तरह के कृत्रिम दावे को भारत स्वीकार नहीं कर सकता है।' पिछले दिनों नेपाली पीएम ओली ने भारत पर एक ऐसी टिप्पणी की है जिसके बाद दोनों देशों का तनाव एक खतरनाक स्थिति पर पहुंच सकता है। चीन के करीबी ओली ने भारत को एक ऐसा वायरस करार दे डाला है जो इटली और चीन के वायरस से भी ज्यादा जानलेवा है।