नफ्ताली बेनेट बन सकते हैं इजरायल के नये प्रधानमंत्री, जानिए भारत को लेकर क्या है उनकी राय ?
नफ्ताली बेनेट की पहचान इजरायल के एक राष्ट्रवादी और दक्षिणपंथी नेता के तौर पर होती है और नफ्ताली बेनेट ने खुद अपनी बदौलत इजरायल की राजनीति से लेकर इजरायली समाज में अपनी खास पहचान बनाई है।
तेल अवीव, मई 31: एक वक्त इजरायल के मौजूदा प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के बेहद करीबी रहे नफ्ताली बेनेट ही उन्हें प्रधानमंत्री पद से हटाने वाले हैं और बहुत संभावना है कि नफ्ताली बेनेट ही इजरायल के अगले प्रधाननमंत्री बन सकते हैं। नफ्ताली बेनेट ने इजरायल की तमाम विपक्षी पार्टियों के साथ समझौता कर लिया है, जिसमें वामपंथी पार्टियां भी शामिल हैं और इजरायल की सेन्ट्रिक पार्टी येश अतिद भी शामिल है। नफ्ताली बेनेट ने घोषणा कर दिया है कि वो विपक्षी पार्टियों के गठबंधन में शामिल होंगे क्योंकि अब इजरायल में एक स्थायी सरकार बनाने के लिए कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा है। ऐसे में नफ्ताली बेनेट ही इजरायल के किंग मेकर और किंग दोनों हो सकते हैं। लिहाजा, जानना जरूरी हो जाता है कि नफ्ताली बेनेट कौन हैं, उनकी विचारधारा क्या है और भारत के प्रति उनके विचार क्या हैं?
नफ्ताली बेनेट कौन हैं ?
नफ्ताली बेनेट की पहचान इजरायल के एक राष्ट्रवादी और दक्षिणपंथी नेता के तौर पर होती है और नफ्ताली बेनेट ने खुद अपनी बदौलत इजरायल की राजनीति से लेकर इजरायली समाज में अपनी खास पहचान बनाई है। नफ्ताली बेनेट ने टेक्नोलॉजी की दुनिया में अपना खास मुकाम बनाया है और उनकी पहचान इजरायल के रईस लोगों में होती है। नफ्ताली बेनेट की विचारधारा क्या है, इसे आप उनके दिए एक बयान से समझ सकते हैं। उन्होंने एक बार कहा था 'सुरक्षा के लिहाज से फिलिस्तीन का निर्माण होना इजरायल के लिए आत्मघाती कदम होगा'। दक्षिणपंथी नेता के तौर पर अपनी पहचान कायम करने वाले नफ्ताली बेनेट ने अपनी विचारधारा के खिलाफ जाकर वामपंथी और इस्लामिक पार्टियों के साथ गठबंधन करने का फैसला किया है। 49 साल के हो चुके नफ्ताली बेनेट यहूदी परिवार से ताल्लुक रखते हैं और उनके पिता अमेरिका से आकर इजरायल में बसे थे। नफ्ताली बेनेट इजरायली प्रधानमंत्री के बेहद करीबी रहे हैं, हालांकि, 71 साल के नेतन्याहू से वो काफी कम उम्र के हैं।
कमांडो रह चुके हैं नफ्ताली बेनेट
नफ्ताली बेनेट इजरायली सेना के पूर्व कमांडो भी रह चुके हैं और वो इजरायली प्रधानमंत्री के कितने करीबी थे, इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि उन्होंने अपने बड़े बेटे का नाम बेंजामिन नेतन्याहू के बड़े भाई योनी नेतन्याहू के नाम पर रखा है। योनी नेतन्याहू भी इजरायली सेना के अधिकारी थे लेकिन यूगांडा आतंकियों द्वारा इजरायली प्लेन को अपहरण किए जाने के बाद इजरायल द्वारा चलाए गये ऑपरेशन में वो मारे गये थे। 1976 में इजरायली सेना द्वारा चलाए गये उस ऑपरेशन को बेंजामिन नेतन्याहू के बड़े भाई ने ही लीड किया था लेकिन ऑपरेशन को कामयाबी के साथ अंजाम देने के बाद लौटते वक्त उन्हें युगांडा एयरपोर्ट पर गोली लग गई थी और उनकी मौत हो गई थी। नफ्ताली बेनेट और बेंजामिन नेतन्याहू की दोस्ती की मिसालें दी जाती थीं और उनके साथ को पत्थर की तरह मजबूत बताया जाता था। दोनों ने 2006 से 2008 के दौरान साथ काम किया। 2006 से 2008 के बीच नफ्ताली बेनेट बेंजामिन सरकार ने सीनियर सहयोगी हुआ करते थे।
2013 में राजनीति में प्रवेश
नफ्ताली बेनेट ने 2013 में इजरायल की सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया था और इजरायल में पहले से स्थापित सभी राजनीतिक पार्टियों को डायरेक्ट चुनौती देनी शुरू कर दी। उन्होंने यमीना पार्टी का निर्माण किया। हालांकि, उन्होंने पार्टी बनाने के बाद भी बेंजामिन नेतन्याहू को ही समर्थन देना जारी रखा और उनकी सरकार में अलग अलग मंत्रालयों का कामकाज संभाला। नेतन्याहू सरकार में नफ्ताली बेनेट रक्षा मंत्री, शिक्षा मंत्री और आर्थिक मामलों के सहयोगी भी रह चुके हैं। फिलिस्तीन के कई हिस्सों को इजरायल में मिलाने में भी नफ्ताली बेनेट का अहम योगदान माना जाता है। लेकिन, अब नफ्ताली बेनेट ने अपना रास्ता बदलते हुए इजरायल की वामपंथी और सेन्ट्रिक पार्टियों से समझौता कर लिया है और अब उन्हें संसद में विश्वासमत हासिल करने के लिए अरब समर्थित मुस्लिम राजनीतिक पार्टी का साथ चाहिए। नफ्ताली बेनेट ने रविवार को अपने बयान में कहा है कि 'दक्षिणपंथी और वामपंथी पार्टी अपनी राजनीतिक विचारधारा के साथ समझौता करेंगे।' ऐसे में इजरायली पत्रकारों का मानना है कि सरकार बनाने के लिए नफ्ताली बेनेट ने अपनी विचारधारा के साथ समझौता कर लिया है, क्योंकि सरकार बनाने और बचाने का काम नफ्ताली बेनेट का होने वाला है और वामपंथी पार्टियां उन्हें 'ब्लैकमेल' कर सकते हैं।
नफ्ताली बेनेट की निजी जिंदगी
नफ्ताली बेनेट का जन्म इजरायल हाफिया शहर में हुआ था और उनके पिता अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को से आकर इजरायल में बसे थे। नफ्ताली बेनेट एक आधुनिक विचारधारा वाले यहूदी माने जाते हैं। बेंजामिन नेतन्याहू की तरह ही नफ्ताली बेनेट भी अमेरिकन इंग्लिश फर्राटे से बोलने में सक्षम हैं और उन्होंने अपनी बचपन की जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा नॉर्थ अमेरिका में बिताया है। 1999 में येरूशलम स्थिति हिब्रू विश्वविद्यालय से बढ़ाई खत्म करने के बाद उन्होंने एक टेक्नोलॉजी कंपनी एंटी फ्रॉड सॉफ्टवेयर कंपनी की स्थापना की और फिर अमेरिकन सिक्योरिटी एजेंसी के साथ मिलकर काम करने लगे। 2005 में उन्होंने अपनी कंपनी यूएस सिक्योरिटी एजेंसी को 145 मिलियन डॉलर में बेच दिया था।
भारत पर नेफ्ताली बेनेट
बेंजामिन नेतन्याहू की तरह के नफ्ताली बेनेट भारत से काफी घनिष्ठ संबंध बनाकर रखना चाहते हैं और वो भारत के बड़े समर्थकों में से एक माने जाते हैं। कश्मीर को लेकर भी बेंजामिन नेतन्याहू की तरह की भारत के पक्षधर हैं और मजबूती से भारत के साथ खड़े रहे हैं। अक्टूबर 2013 में उन्होंने भारत का दौरा भी किया था और उस वक्त वो इजरायल के वित्त मंत्री थे। उस दौरान उन्होंने कहा था कि वो भारत और इजरायल के बीच व्यापार को बड़े स्तर पर बढ़ाना चाहते हैं और वो चाहते हैं कि भारत और इजरायल बड़े व्यापारिक साझेदार बने। उन्होंने भारत के साथ रिसर्च एंड डेवलपमेंट में भी समझौता करने की बात कही थी और 2013 के दौरान भारत और इजरायल के बीच कई अहम समझौते भी हुए थे। आईआईटी दिल्ली के छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि 'वैचारिक मूल्यों की बात करें तो इजरायली बहुत हद तक भारतीयों जैसे ही हैं। इजरायल के लोग शिक्षा और पारिवारिक मूल्यों को भारतीयों की तरह ही काफी मानते हैं।'