अंतरिक्ष में रहस्यमयी घटना, स्पेस स्टेशन की खिड़की पर पहली बार जमी बर्फ, NASA ने साधी चुप्पी
नई दिल्ली: ग्लोबल वार्मिंग की वजह से पृथ्वी पर कई अप्राकृतिक घटनाएं होती रहती हैं, लेकिन अब अंतरिक्ष में एक अजीबोगरीब घटना हुई। जिसकी एक तस्वीर भी वायरल हो रही है। कोई नहीं बता पा रहा कि ये घटना कैसे हुई, साथ ही अमेरिका और रूस की अंतरिक्ष एजेंसियों ने इस मामले में पूरी तरह से चुप्पी साध ली है। जिस वजह से रहस्य और ज्यादा बढ़ गया है। (पहली तस्वीर छोड़ बाकी तस्वीरें सांकेतिक)
बर्फ जमना असंभव
हाल ही में रूसी अंतरिक्ष यात्री सर्गेई कोर्साकोव ने एक फोटो शेयर की। जिसमें अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की खिड़की पर बर्फ जमी नजर आ रही। ध्यान से देखने पर ये आधे चंद्रमा की तरह नजर आ रही। ये अपने आप में बहुत ज्यादा आश्चर्यजनक घटना है, क्योंकि ISS की खिड़की पर बाहर से बर्फ जमना असंभव है।
24 घंटे तक रहा आइस क्रिस्टल
टेलीग्राम पर लिखी एक पोस्ट में कोर्साकोव ने बताया कि बर्फ का क्रिस्टल करीब 24 घंटे तक रहा। इसके पिघलने के बाद भी संघनन (Condensation) पैटर्न दिखाई दे रहा था। वैसे तो ये तस्वीर देखने में बहुत सुंदर और आकर्षक लग रही, लेकिन किसी के पास इसका जवाब नहीं है। जिस वजह से रहस्य गहराता जा रहा है।
तस्वीर से रहस्य सुलझाना मुश्किल
वैज्ञानिक इसे अंतरिक्ष में बर्फ जमने की पहली घटना मान रहे हैं। उनका कहना है कि ISS विंडो कई पैन से बनी होती हैं, जहां आंतरिक हिस्से को हवा से और बाहरी को वैक्यूम द्वारा अलग किया जाता है। हालांकि इस रहस्य को सिर्फ एक तस्वीर की मदद से सुलझाना कठिन है। ये अनुमान लगाया जा रहा कि बर्फ के क्रिस्टल अंतरिक्ष स्टेशन के अंदर या पैन के बीच में बन सकते हैं।
सांस लेने से बनी आकृति?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नासा, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) और जापानी अंतरिक्ष एजेंसी (जेएक्सए) को इस पर टिप्पणी करने से मना किया गया है। कुछ विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि खिड़की पर अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा सांस लेने से बर्फ का निर्माण हो सकता है। हालांकि बर्फ का आकार और ISS का तापमान इस सिद्धांत को नकारता है।
अंटार्कटिका में मिली 'दूसरी दुनिया' का पहला VIDEO आया सामने, कैमरा देख तेजी से भागे रहस्यमयी जीव
मिला था रहस्यमयी सिग्नल
वहीं अभी कुछ दिनों पहले खगोलविदों को अंतरिक्ष में कुछ रहस्यमयी सिग्नल मिले थे। अनुमान के मुताबिक ये सिग्नल एक आकाशगंगा से आ रहा है जोकि पृथ्वी से लगभग 3 बिलियन प्रकाश वर्ष दूर है। हालांकि खगोलविद इस दिशा में ज्यादा रिसर्च की बात कह रहे हैं।