Myanmar Coup: म्यांमार में प्रदर्शनकारियों पर चलेगा देशद्रोह का मुकदमा, 15 दिनों में मृत्युदंड, UN ने की निंदा
म्यांमार में सेना ने लोगों से प्रदर्शन का अधिकार छीन लिया है और प्रदर्शन को देशद्रोह करार दे दिया है। देशद्रोहियों के लिए मौत की सजा का ऐलान सेना ने किया है।
यंगून: म्यांमार की सेना ने अपने देश के नागरिकों से प्रदर्शन का अधिकार छीन लिया है। म्यांमार की सेना ने नया फरमान जारी करते हुए अपने लोगों से अभिव्यक्ति की आजादी छिनते हुए कहा है कि अगर कोई सेना के खिलाफ आवाज उठाता है तो उसे मौत की सजा मिलेगी। सेना ने कहा कि सेना के खिलाफ आवाज उठाना देशद्रोह माना जाएगा। इतना ही नहीं, सेना ने कहा है कि जिन प्रदर्शनकारियों को मौत की सजा मिलती है, उन्हें 15 दिनों के अंदर मौत की सजा दे दी जाएगी और वो किसी भी कोर्ट में अपील नहीं कर सकता है।
विद्रोह माना जाएगा देशद्रोह
एक फरवरी को सैन्य तख्तापलट के बाद से ही म्यांमार में भारी प्रदर्शन किया जा रहा है। सेना के खिलाफ लोग सड़कों पर हैं और रिपोर्ट के मुताबिक अभी तक 149 से ज्यादा लोगों को सेना की गोली से मौत हो चुकी है। वहीं, सेना ने मंगलवार को नया फरमान जारी करते हुए सेना के खिलाफ आवाज उठाने वालों के लिए मौत की सजा का प्रावधान कर दिया है। यानि, म्यांमार में प्रदर्शन को सेना ने देशद्रोह करार दे दिया है। क्योडो न्यूज के मुताबिक सेना ने लोगों से प्रदर्शन करने का अधिकार छीन लिया है और उसे देश के खिलाफ विद्रोह करार दे दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यंगून कोर्ट से सेना अब देश का शासन चलाएगी और विद्रोहियों को इसी कोर्ट से मौत की सजा दी जाएगी। माना जा रहा है कि म्यांमार में सेना के खिलाफ खतरनाक स्तर पर विद्रोह भड़क चुका है और उसे किसी भी तरह से सेना कुचल देना चाहती है लेकिन सेना के खिलाफ भारी तादाद में अब भी लोग सड़कों पर आ रहे हैं।
मौत की सजा का ऐलान
म्यांमार की सेना प्रदर्शनकारियों को खतरनाक स्तर पर टॉर्चर कर रही है। यूनाइटेड नेशंस के रिपोर्टर ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि लोगों को सामने से गोलियां मारी जा रही हैं और म्यांमार में अब अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को जल्द से जल्द दखल देना चाहिए। वहीं, सेना ने लोगों से बोलने का अधिकार छीन लिया है और सेना ने कहा है कि प्रदर्शन करने वालों को कठोर सजा मिलेगी जिसमें फांसी की सजा भी शामिल है। सेना की तरफ से प्रदर्शनकारियों के लिए 23 कैटोगिरी में अपराधों की व्याख्या की गई है। वहीं, प्रदर्शनकारियों से कोर्ट में अपील का अधिकार भी छीन लिया गया है। यानि, सेना का आदेश ही आखिरी आदेश होगा। सजा मिलने के बाद नागरिक कोर्ट में सजा के खिलाफ अपील नहीं कर सकते हैं।
15 दिनों के अंदर फांसी
म्यांमार का सेनाध्यक्ष सीनियर जनरल मिन ऑन्ग लाइंग ने कहा है कि प्रदर्शनकारियों को फांसी की सजा मिलने के 15 दिनों के अंदर सजा पर अमल होगा। यानि, अगर किसी शख्स को सेना फांसी की सजा देती है, तो उसे 15 दिनों के अंदर मार दिया जाएगा। इस दौरान वो कोर्ट में अपनी फांसी की सजा के खिलाफ अपील नहीं कर सकता है। क्योडो न्यूज के मुताबिक सेना का ये फैसला विद्रोह कुचलने के लिए है। म्यांमार सेना के इस फैसले के बाद अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और आक्रोषित हो सकता है, लेकिन सेना को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है।
149 की मौत, हिरासत में मर्डर
यूनाइटेड नेशंस के मानवाधिकार प्रवक्ता रवीना समदासानी ने कहा है कि म्यांमार में सेना की गोलीबारी में अबतक 149 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। मंगलवार को भी सेना की गोली लगने से 11 लोगों की मौत हुई है और शुक्रवार से रविवार के बीच म्यांमार सेना ने 57 लोगों को मौत के घाट उतार डाला। यूनाइटेड नेशंस की रिपोर्ट के मुताबिक 2084 लोगों को म्यांमार की सेना अब तक या तो गिरफ्तार कर चुकी है या फिर उन्हें हिरासत में रखा गया है। वहीं कस्टडी में सेना अब तक पांच लोगों को मार चुकी है। हिरासत में मारे गये 2 प्रदर्शनकारियों के शरीर पर गहरे जख्म और मारपीट के निशान मिले हैं। रिपोर्ट के मुताबिक हिरासत में रखे गये लोगों को सेना बुरी तरह से टॉर्चर कर रही है।
UN ने की निंदा
वहीं, म्यांमार की निरंकुश सेना को लेकर यूनाइटेड नेशंस का बड़ा बयान आया है। यूएन ने कहा है कि म्यांमार की सेना मानवाधिकारों का खुलेआम उल्लंघन कर रही है। प्रदर्शनकारियों पर थर्ड डिग्री इस्तेमाल करना, उन्हें टॉर्चर करना, हिरासत में उनकी हत्या कर देगा, मानवाधिकार का सरेआम उल्लंघन है। यूएन चीफ एंटोनियो गुटेरस ने कहा है कि म्यांमार सेना को शांति बरतनी चाहिए और उसकी कार्रवाई बेहद निंदनीय और चिंताजनक है।
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