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जब मुलायम सिंह यादव ने सुखोई-30 डील के लिए बाजपेयी को अपने दफ्तर बुला लिया था...

पूर्व रक्षामंत्री जसवंत सिंह ने बाद में कहा था, कि सुखोई डील पूरी तरह से साफ सुथरा है और देश हित के लिए इस डील को फाइनल करना चाहिए।

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Mulayam Singh Yadav demise: समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव का निधन हो गया है और उनके निधन के बाद उनसे जुड़ी कई कहानियां भी याद आ रही हैं, जो देश के लिए काफी मायने रखते हैं। मुलायम सिंह यादव भारत के रक्षा मंत्री भी रह चुके हैं और अगर उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की मदद नहीं की होती, तो भारत में सुखोई-30 फाइटर जेट कभी नहीं आ पाता। आईये जानते हैं, सत्ता के गलियारों से निकलने वाली वो कहानी, जिसके लिए मुलायम सिंह यादव हमेशा याद किए जाएंगे।

बीमार चल रहे थे मुलायम सिंह यादव

बीमार चल रहे थे मुलायम सिंह यादव

मुलायम सिंह यादव पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे और उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। जिसके बाद उन्हें गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मुलायम सिंह से मिलने के लिए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, शरद यादव समेत कई दिग्गज नेता मेदांता अस्पताल पहुंचे थे। मेदांता के आईसीयू में मुलायम सिंह यादव का इलाज चल रहा था, लेकिन उन्हें कुछ खास स्वास्थ्य लाभ नहीं मिल रहा था। अस्पताल की ओर से जो हेल्थ अपडेट दी जा रही थी, उसमे लगातार कहा जा रहा था कि मुलायम सिंह यादव की हालत बेहतर नहीं हो रही थी और फिर आज अस्पताल की तरफ से मुलायम सिंह के निधन की खबर दी गई।

1996 की है कहानी

1996 की है कहानी

मुलायम सिंह यादव की ये दिलचस्प कहानी साल 1996 की है, जब भारत में नरसिम्हा राव की सरकार थी और देश में कुछ महीने बाद ही लोकसभा के चुनाव होने वाले थे। प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव राव उस वक्त रूस के साथ भारतीय एयरफोर्स के लिए सुखोई-30 फाइटर जेट डील करना चाहते थे, लेकिन संसद में बीजेपी रूस के साथ होने वाली इस डील का जबरदस्त विरोध कर रहे थे। सुखोई-30 फाइटर जेट डील का विरोध जिस नेता के नेतृत्व में हो रहा था, वो थे भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता अटल बिहारी बाजपेयी। बाजपेयी का कहना था, कि उसे सुखोई-30 फाइटर जेट से कोई आपत्ति नहीं है, बल्कि नरसिम्हा राव की सरकार जिस जल्दबाजी में ये फैसला कर रही है, उससे उसे आपत्ति है, क्योंकि ये डील देशहित में नहीं है। आखिरकार नरसिम्हा राव की सरकार सुखोई-30 फाइटर जेट के लिए रूस से डील नहीं कर पाई और फिर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस चुनाव हार गई। देश में जो अगली सरकार बनी, उसके प्रधानमंत्री बने अटल बिहारी बाजपेयी।

विरोध करने से पीछे हट गई बीजेपी

विरोध करने से पीछे हट गई बीजेपी

द प्रिंट में लिखे अपने एक लेख में वरिष्ठ पत्रकार शेखर गुप्ता ने इस डील को लेकर हैरान करने वाली कहानी लिखी है और उन्होंने लिखा है, कि जब आम चुनाव चुनाव होने के बाद जब 13 दिनों के लिए पहली बार बीजेपी की सरकार बनी, तो एक दिन तत्कालीन रक्षा मंत्री जसवंत सिन्हा का फोन उनके पास आया और उन्होंन कहा कि, सरकार बनने के बाद उन्होंने सुखाई की फाइल देखी है, जो पूरी तरह से साफ है। यानि, सुखाई सौदा के लिए नरसिम्हा राव की सरकार में कोई घपला या घोटाला नहीं हो रहा है। जसवंत सिन्हा ने आगे कहा कि, अगर कोई बड़े राष्ट्रीय हित के बारे में सोचता है, तो उसे पुरानी बातों को भुलाकर इस डील को लेकर सरकार की मदद करनी चाहिए। शेखर गुप्ता ने लिखा है, कि जसवंत सिन्हा ने उन्हें ये नहीं बताया, 'बड़ा राष्ट्रीय हित' क्या है। हालांकि, बाद में 13 दिनों की बीजेपी की सरकार गिर गई और देश के नये प्रधानमंत्री बने एचडी देवेगौड़ा और उन्होंने रक्षा मंत्री बनाया मुलायम सिंह यादव को।

मुलायम से जब पूछा गया सुखोई पर सवाल

मुलायम से जब पूछा गया सुखोई पर सवाल

शेखर गुप्ता ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है, कि रक्षा मंत्री बनने के बाद एक दिन मुलायम सिंह यादव ने रक्षा मंत्री बनने के बाद पत्रकारों के लिए रात्रिभोज का आयोजन किया, जिसमें देश के अलग अलग हिस्से से कई वरिष्ठ पत्रकार शामिल हुए थे। शेखर गुप्ता के मुताबिक, उन्होंने रात्रिभोज के दौरान मुलायम सिंह यादव से सुखोई डील के बारे में सवाल पूछ लिया, कि क्या उन्हें इस डील के बारे में कुछ पता है। इस पर मुलायम सिंह ने कहा कि, उन्होंने कहा, "मुझे पता है, मुझे पता है, जसवंतजी और अटलजी मेरे पास इसे लेकर आए थे।" फिर उन्होंने विस्तार से वर्णन करते हुए कहा कि, डील पर फाइनल साइन करने से पहले उन्होंने अटल बिहारी बाजपेयी और जसवंत सिंह को साउथ ब्लॉक बुलाया, ताकि उस डील के बारे में बात की जा सके, जिसकी फाइल उन्हें सौंपी गई थी।

मुलायम ने दिया था आश्वासन

मुलायम ने दिया था आश्वासन

प्रजेंटेशन के दौरान बाजपेयी ने डील को लेकर मुलायम सिंह यादव को कुछ सुझाव दिए, जिसमें संप्रभु गारंटी का प्रावधान भी शामिल था। मुलायम सिंह ने कहा कि, बाजपेयी ने उनसे इस बात का आश्वासन लिया था, कि इस डील में कोई रिश्वत नहीं ली गई है और अगर भविष्य में कुछ भी सामने आता है, तो फिर भारत सरकार को उसकी भरपाई की जाएगी। मुलायम सिंह ने इसका आश्वासन दे दिया और फिर इसके बाद जाकर भारत और रूस के बीच सुखाई को लेकर बड़ी डील फाइनल हो गई। इस डील को लेकर बाद में मुलायम सिंह यादव ने शेखर गुप्ता को बताया कि, उस दिन जब बाजपेयी जी उनके दफ्तर आए थे, तो सुखोई डील को लेकर सारी बातों पर उनके बीच समझौता हो गया और मुलायम सिंह ने चुटकी लेते हुए शेखर गुप्ता को कहा, 'आप लोगों को इस डील को लेकर कुछ भी गलत नहीं मिल पाएगा।'

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English summary
When Mulayam Singh Yadav called Atal Bihari Bajpayee to his office for the Sukhoi-30 deal.
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