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दक्षिण कोरिया की नई सरकार और उत्तर कोरियाई शासक किम जोंग-उन में टकराव की आशंका

उत्तर कोरिया के ख़िलाफ़ सख़्त रुख़ अपनाने के समर्थक यून सुक-योल मंगलवार को दक्षिण कोरिया के नए राष्ट्रपति बन जाएंगे. उन्होंने उत्तर कोरिया की सैन्य ताक़त बढ़ाने की कोशिशों पर अंकुश लगाने का वादा किया है.

By BBC News हिन्दी
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उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग-उन और दक्षिण कोरिया के नए राष्ट्रपति यून सुक-योल
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उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग-उन और दक्षिण कोरिया के नए राष्ट्रपति यून सुक-योल

कोरिया प्रायद्वीप के बदले हालात में उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग-उन अपने हथियारों को नई धार देने में जुट गए हैं.

उनके चिर प्रतिद्वंद्वी देश दक्षिण कोरिया में सख़्त क़दम अपनाने का वादा करने वाले यून सुक-योल मंगलवार को राष्ट्रपति का पदभार संभालने जा रहे हैं.

सालों तक दोनों देशों के बीच तनाव पर विराम लगने और परमाणु हथियारों को लेकर होने वाली बातचीत के विफल होने के बाद इस इलाक़े का माहौल फिर से गरमाने लगा है.

दक्षिण कोरिया की राजधानी सोल के एक कॉकटेल बार में बैठीं जेन वहाँ से निकलने की अपनी योजना तैयार करके बैठी हैं. वो बताती हैं कि यदि उत्तर कोरिया ने उनके देश पर हमला किया तो उन्हें पता है कि क्या करना है. उनके अनुसार यदि हमला हुआ तो वो अपने दो मोटरसाइकिल से सोल की नदी को तेज़ी से पार कर जाएंगी.

वो बताती हैं कि एक बाइक पर वो बैठेंगी और दूसरी पर उनका भाई. उन दोनों के पिता उनके माता-पिता बैठ जाएंगे. इससे पहले कि उत्तर कोरिया की मिसाइलें पुलों को ध्वस्त करें वो नदी पार करके पोर्ट तक पहुँच जाएंगे. एक दिन अपने भाई के साथ बैठकर उन्होंने वहाँ से निकलने की अपनी योजना बनाई थी.

पाँच साल पहले उत्तर कोरिया अमेरिका को निशाना बना सकने वाली एक के बाद एक कई मिसाइलों का परीक्षण कर रहा था.

उसका कहना था कि उन मिसाइलों के ज़रिए अमेरिका पर बमबारी की जा सकती है. लेकिन उन मिसाइल परीक्षणों को लेकर अमेरिका के तब के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उत्तर कोरिया को कड़ी चेतावनी दी और गंभीर नतीज़े भुगतने के लिए तैयार रहने को कहा.

जेन मानती हैं कि वो दूसरों से ज़्यादा चिंतित थीं. हालांकि दक्षिण कोरिया के ज़्यादातर लोगों का मानना है कि क़रीब 70 साल पहले दोनों देशों के बीच हुई लड़ाई के बाद से ही वे युद्ध के ख़तरों से जूझ रहे हैं.

उत्तर कोरिया और अमेरिका के बीच कहासुनी चल ही रही थी कि तब दक्षिण कोरिया के नए बने राष्ट्रपति मून जे इन ने डोनाल्ड ट्रंप को सहमत किया कि वे किम जोंग उन से मुलाक़ात करें. और तब पहली बार किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने उत्तर कोरिया के नेता से मुलाक़ात की.

उसके बाद दोनों नेताओं के बीच कई दौर की बातचीत हुई. उससे उम्मीद जगी कि उत्तर कोरिया शायद परमाणु हथियारों को छोड़ने पर सहमत हो जाए, जिससे कोरिया प्रायद्वीप में शांति बहाल हो जाए.

अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग-उन
Getty Images
अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग-उन

उसके बाद दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे इन उत्तर कोरिया की राजधानी प्योंगयांग पहुँचे. वहाँ लोगों से खचाखच भरे स्टेडियम में अपने विरोधी नेता किम जोंग उन का हाथ पकड़कर लोगों के सामने आए.

तत्कालीन राष्ट्रपति के सलाहकार प्रो मून चुंग इन उस घटना को याद करके कहते हैं कि वहाँ मौजूद लोगों को समझ में नहीं आ रहा था कि ये हो क्या रहा है. उन्हें तो बताया गया था कि ये आदमी उनका दुश्मन है और अब वो उनकी ज़मीन पर खड़े होकर शांति का प्रस्ताव दे रहा है.

अचानक ही वहाँ मौजूद क़रीब 1.5 लाख दर्शक ख़ुशी से ज़ोरदार तालियां बजा रहे थे. प्रो चुंग इन कहते हैं, 'वो बहुत ही सुखद दृश्य था. मेरे लिए वो नज़ारा काफ़ी प्रेरणादायी था.'

किम जोंग-उन के साथ उत्तर कोरिया की जनता को संबोधित करते दक्षिण कोरिया के निवर्तमान राष्ट्रपति मून जे-इन
Getty Images
किम जोंग-उन के साथ उत्तर कोरिया की जनता को संबोधित करते दक्षिण कोरिया के निवर्तमान राष्ट्रपति मून जे-इन

लेकिन राष्ट्रपति मून जे इन के पद से हटते ही वे उम्मीदें मानो ध्वस्त हो गई हैं. 2019 में अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच जब परमाणु समझौता टूटा, उसी वक़्त दोनों कोरियाई देशों के बीच की बातचीत भी टूट गई. और तब से बातचीत ठप हो गई.

इस बीच उत्तर कोरिया अपने जनसंहार के हथियारों के विकास में जुटा रहा और इससे उन देशों के धैर्य की एक बार फिर परीक्षा लेने लग गया है. इससे पहले, कोरोना महामारी और यूक्रेन युद्ध के चलते दुनिया की निगाहें कोरिया प्रायद्वीप से हटकर कहीं और चली गई है.

यह पूछने पर कि क्या सरकार विफल रही, प्रो मून चुंग-इन ऐसा नहीं मानते. वे कहते हैं कि उन्हें ऐसा नहीं लगता. उन्होंने कहा कि दोनों देशों के संबंधों का इतिहास देखते हुए मून सरकार ने पिछले पाँच साल तक शांति बनाए रखी. सरकार ने यह भी दिखाया कि बातचीत की टेबल पर उत्तर कोरिया को कौन से प्रोत्साहन मिल सकते हैं.

प्रो मून का मानना ​​​​है कि समस्या ये है कि उत्तर कोरिया के वार्ताकार खाली हाथ लौट गए, जो उसके शासन के लिए बहुत बड़ी शर्मिंदगी और एक दंडनीय अपराध भी था.

राष्ट्रपति मून ने उत्तर कोरिया को बातचीत की टेबल पर लौटाने की हरसंभव कोशिश की, पर ऐसा करने के चक्कर में उन पर वहाँ के तानाशाह शासक को ख़ुश करने का आरोप लगा.

2018 में मून जे इन और किम जोंग उन के बीच तीन बार मुलाक़ात हुई.
Getty Images
2018 में मून जे इन और किम जोंग उन के बीच तीन बार मुलाक़ात हुई.

सोल के अपने दफ़्तर से हैना सोंग बताती हैं, 'मैंने जब तस्वीरों में एक दूसरे की बाहों में बाहें डाले उन्हें हंसते देखा, तो इससे मेरी पीठ में सिहरन हो गई.'

उनका संगठन 'डेटाबेस सेंटर फॉर नॉर्थ कोरियन ह्यूमन राइट्स' पिछले दो दशक से उत्तर कोरिया में मानवाधिकारों के उल्लंघन पर नज़र रख रहा है.

वो बताती हैं कि किम जोंग-उन मानवाधिकारों को बिल्कुल महत्व नहीं देते. वो कहती हैं कि उत्तर कोरिया के नेता को असहज महसूस न कराने के चक्कर में राष्ट्रपति मून ने काफ़ी कोशिशें कीं.

हन्ना सोंग की संस्था ने उत्तर कोरिया से पलायन करने वालों का हैनेवॉन के पुनर्वास केंद्र में इंटरव्यू किया. उस जगह पर लोग दक्षिण कोरिया आने पर शुरू के तीन महीने रहते हैं. मानवाधिकारों के हनन के रिकॉर्ड तैयार करने में उनके बयान अहम भूमिका निभाते हैं.

हालांकि दो साल पहले दक्षिण कोरिया की सरकार ने इस केंद्र तक उनका आना बंद करा दिया. उसके बाद पलायन करने वालों से उन्होंने सुना कि उन पर उत्तर कोरिया के अनुभवों को सार्वजनिक रूप से न बोलने का दबाव डाला जा रहा है.

पलायन करने वालों की मदद करने वाले पुलिसकर्मियों ने उन्हें फ़ोन कर कहा, "क्या आप सुनिश्चित हैं कि ऐसा करना बुद्धिमानी है?"

हन्ना ने ग़ायब लोगों के बारे में सरकार की जानकारी को चैलेंज करने की कोशिश की. वो कहती हैं, 'यूक्रेन में जो हो रहा है वो भयानक है लेकिन कम से कम हम जानते तो हैं."

उत्तर कोरिया के मौजूदा हालात के बारे में लोग बहुत कम जानते हैं. कोरोना महामारी के दौरान सीमा के बंद किए जाने से उस बारे में जानकारी बाहर नहीं जा पाई. यह स्पष्ट है कि तमाम अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के बावजूद किम जोंग-उन ने परमाणु हथियारों का विकास करना जारी रखा है.

उत्तर कोरिया के हथियार पहले से कहीं अधिक उन्नत और ख़तरनाक होते जा रहे हैं. 2018 के शिखर सम्मेलन शुरू होने के बाद इस साल मार्च में उत्तर कोरिया ने अपनी इंटर बैलिस्टिक मिसाइल का पहली बार परीक्षण किया. इसकी मारक क्षमता पहले की क्षमता से कहीं अधिक थी.

हालांकि नेताओं का गले और हाथ मिलाना अब ख़त्म हो गया है. बातचीत को लेकर दक्षिण कोरिया के नए नेता का रुख़ बड़ा सख़्त है. पेशे से वकील यून सुक योल का कोई राजनीतिक अनुभव नहीं है.

हाल में एक साक्षात्कार में उन्होंने उत्तर कोरिया को अपना 'मुख्य दुश्मन' बताया और कठोर नज़रिया अपनाने का वादा किया.

उन्होंने कहा कि वो अपने पड़ोसी से तभी बात करेंगे, जब वो परमाणु निरस्त्रीकरण को लेकर गंभीर दिखेगा. हालांकि ज़्यादातर जानकारों का मानना है कि परमाणु हथियार छोड़ने का उत्तर कोरिया का कोई इरादा नहीं है.

यूक्रेन में युद्ध शुरू होने से भी बहुत पहले उसने निष्कर्ष निकाल लिया था कि परमाणु हथियारों को छोड़ने के बहुत से ख़तरे हैं. युद्ध रोकने के लिए काम करने वाली संस्था 'इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप' के सलाहकार क्रिस ग्रीन का मानना है कि यह बात दक्षिण कोरिया के नए नेता यून की रणनीति को काम करने का कोई मौक़ा नहीं देगी.

अपने चुनाव प्रचार के दौरान यून ने कहा कि यदि उन्हें संकेत मिला कि उत्तर कोरिया उनके देश पर हमला करने वाला है, तो उससे पहले उत्तर कोरिया पर हमला करेंगे, ताकि उसके हथियारों को नष्ट किया जा सके.

ये लंबे समय से दक्षिण कोरिया की रणनीति का हिस्सा रहा, लेकिन इस बारे में शायद ही कभी ज़ोर से बोला गया. शायद इसलिए कि इससे उत्तर कोरिया नाराज़ हो जाएगा और वो इससे हुआ भी.

पिछले महीने उत्तर कोरिया ने अपनी ताक़त का प्रदर्शन करते हुए सड़कों पर अपनी मिसाइलों का प्रदर्शन किया.

सेना की वर्दी पहने किम जोंग-उन ने उस दौरान एक कड़ी चेतावनी दी. उन्होंने कहा कि उत्तर कोरिया को धमकी देने वाली किसी भी शत्रु का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा. इसकी व्याख्या दक्षिण कोरिया के नए राष्ट्रपति के लिए एक चेतावनी के रूप में भी की गई.

उत्तर कोरिया कम दूरी की मिसाइलों की एक पूरी सिरीज़ तैयार कर रहा है. पिछले महीने उसने पहली बार संकेत दिया कि इसका इस्तेमाल परमाणु हथियार ले जाने के लिए किया जा सकता है और इसका इस्तेमाल दक्षिण कोरिया के ख़िलाफ़ किया जा सकता है. अब संकेत हैं कि वो उन परमाणु बमों में से एक का परीक्षण करने वाला है.

हालांकि क्रिस ग्रीन अब भी मानते हैं कि उत्तर कोरिया का मुख्य लक्ष्य अपने आप को बचाना है. उनका मानना है कि उत्तर कोरिया जानता है कि यदि कभी ऐसा हुआ तो उसके शासक का अंत होना तय है और वो यह जानता भी है.

क्रिस ग्रीन इसके बजाय मानते हैं कि अब उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच हथियारों की दौड़ शुरू हो जाएगी. वो कहते हैं कि फिलहाल यही सबसे बड़ा ख़तरा है.

दक्षिण कोरिया के लोग आम तौर पर उत्तर कोरिया पर अधिक ध्यान नहीं देते. वे मानते हैं कि उनका वास्तविक लक्ष्य तो अमेरिका है. लेकिन कई लोग कोरिया के दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने से चिंतित हैं. कई लोगों को चिंता है कि दक्षिण कोरिया की सरकार जो नई सख़्त नीति अपना रही है, उससे दोनों देशों के बीच संघर्ष भड़क सकता है.

कई लोग कहते हैं कि यूक्रेन युद्ध ने उन्हें सोचने पर मजबूर कर दिया है कि कोरिया प्रायद्वीप में ऐसा ही हो सकता है. एक शख़्स ने अपनी सरकार का समर्थन करते हुए कहा कि हमें उन्हें दृढ़ता से जवाब देने की ज़रूरत है.

प्रो. मून चुंग-इन, किम जोंग उन की बहन के साथ दोनों देशों के एक सम्मेलन में ड्रिंक्स का आनंद लेते हुए.
Moon Chung-in
प्रो. मून चुंग-इन, किम जोंग उन की बहन के साथ दोनों देशों के एक सम्मेलन में ड्रिंक्स का आनंद लेते हुए.

उधर प्रो मून चुंग-इन कहते हैं, 'भविष्य अंधकारमय है. मैं इस जीवन में कोई सफलता नहीं देख सकता. हमने अपना मौक़ा गंवा दिया."

आने वाले समय कैसा रहेगा, इसे लेकर राजधानी सोल में बेचैनी है, क्योंकि उत्तर कोरिया नई सरकार की सीमाओं का ज़रूर परीक्षा कर रहा है. दक्षिण कोरिया के पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल ने कहा, 'मैं ख़ुद को मजबूत कर रहा हूं.'

दुनिया भले कोरिया के बजाय कहीं और देख रही हो, लेकिन उत्तर कोरिया की अनदेखी करना अब कठिन होता जा रहा है.

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English summary
may confrontation between the new government of South Korea and the North Korean ruler Kim Jong-un
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