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आ रही है आर्थिक मंदी, अगले 12 महीने में जमीन पर धूल फांकेंगे बड़े-बड़े देश, भारत का क्या होगा?

नोमुरा के मुताबिक आने वाले समय में दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका के साथ-साथ यूरोपीय यूनियन के देश, ब्रिटेन, जापान, दक्षिण कोरिया और कनाडा जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाएं आर्थिक मंदी की चपेट में आ सकती हैंछ।

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नई दिल्ली, 04 जुलाईः 2008 के बाद एक बार फिर से दुनिया पर मंदी का संकट गहराने लगा है। श्रीलंका, पाकिस्तान, बांग्लादेश समेत दुनिया के कई देश मंदी से भारी परेशान हैं। दुनिया पहले से ही कोरोना से जूझ रही है, जो ढाई वर्षों से खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। उधर यूरोप में युद्ध से हालात और खराब हुए हैं। यूक्रेन पर रूस के हमले से सप्लाई चेन की बाधाएं पैदा हुई हैं। इन समस्याओं से ग्लोबल इकोनॉमी के ऊपर मंदी का खतरा पहले से ही अधिक हो चुका है। अब ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म नोमुरा होल्डिंग्स ने भी इस खतरे को लेकर दुनिया को चेतावनी दी है।

कई देश आएंगे चपेट में

कई देश आएंगे चपेट में

नोमुरा होल्डिंग्स इंक के मुताबिक आने वाले एक साल में दुनिया भर की कई अर्थव्यवस्थाएं सरकारी नीतियों और बढ़ती जीवन लागत के बीच आर्थिक मंदी में प्रवेश करने वाली हैं। नोमुरा के मुताबिक आने वाले समय में दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका के साथ-साथ यूरोपीय यूनियन के देश, ब्रिटेन, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाएं आर्थिक मंदी की चपेट में आ सकती हैं।

केंद्रीय बैंकों के नीति सख्त करने से नुकसान

केंद्रीय बैंकों के नीति सख्त करने से नुकसान

नोमुरा ने एक ताजी रिपोर्ट में कहा है कि दुनिया भर के सेंट्रल बैंक्स महंगाई को काबू करने के लिए ब्याज दरें बढ़ा रहे हैं। ग्लोबल ग्रोथ की परवाह किए बिना सेंट्रल बैंक्स अपनी नीतियों को काफी सख्त किए जा रहे हैं। नोमुरा की रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक इस बात के संकेत बढ़ रहे हैं कि दुनिया की इकोनॉमी ग्रोथ की रफ्तार सुस्त पड़ने की दिशा में बढ़ रही है। इसका आशय यह है कि ग्रोथ के लिए अर्थव्यवस्थाएं अब निर्यात में सुधार आने की बात पर निश्चिंत नहीं रह सकती हैं।

अमेरिका भी चपेट में आएगा

अमेरिका भी चपेट में आएगा


रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले समय में महंगाई की दर ऊंची रहने वाली है, क्योंकि कीमतों का दबाव अब कमॉडिटीज तक सीमित नहीं रहा है, बल्कि सर्विस सेक्टर, रेंटल और वेतन भी इसकी मार झेल रहे हैं। इसके साथ ही नोमुरा ने ये भी कहा है कि दुनिया के अलग-अलग देशों के लिए अलग-अलग प्रकार की मंदी होने वाली है। नोमुरा के मुताबिक अमेरिका इस साल के अंत में मंदी की चपेट में आ सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक यह मंदी पांच तिमाही तक रह सकती है।

यूरोप में भी संकट गहराएगा

यूरोप में भी संकट गहराएगा

नोमूरा के अनुसार अगर रूस ने यूरोप में गैस स्पलाई पूरी तरह से रोक दिया तो यूरोपीय देशों में मंदी की मार और गहरी हो सकती है। रिपोर्ट के अनुसार यूरोप की इकॉनोमी में एक फीसदी का नुकसान हो सकता है। वहीं, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और दक्षिण कोरिया जैसे देश भी मंदी के गंभीर खतरे से जूझ रहे हैं। अगर यहां हाउसिंग सेक्टर टूटा तो यहां मंदी की मार और खतरनाक हो सकती है। इस मंदी में सबसे अधिक नुकसान दक्षिण कोरिया को हो सकता है।

जापान पर भी खतरा

जापान पर भी खतरा

एशियाई अर्थव्यस्थाओं की बात करें तो एशिया की दूसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी जापान के ऊपर भी मंदी का खतरा है। हालांकि यहां पर मंदी की मार तुलनात्मक रूप से कम रह सकती है। जापान को पॉलिसी सपोर्ट और इकोनॉमिक रीओपनिंग में देरी से मदद मिल सकती है।

भारत-चीन लहराएंगे परचम

भारत-चीन लहराएंगे परचम

वहीं एशिया की सबसे बड़ी और दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी चीन को लेकर नोमुरा का अनुमान है कि अनुकूल नीतियों के कारण यह देश मंदी की मार से बच सकता है। हालांकि चीन के ऊपर जीरो-कोविड स्ट्रेटजी के चलते कड़े लॉकडाउन का खतरा है। प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज ग्रोथ रेट वाला देश भारत भी मंदी की मार से अछूता रह सकता है। हालांकि ग्लोबल इकोनॉमी की मंदी के सीमित असर की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है।

अभी और गिरेंगे शेयर मार्केट

अभी और गिरेंगे शेयर मार्केट

नोमुरा ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि शेयर मार्केट के गिरावट का दौर अभी थमने वाला नहीं है। नोमुरा ने कहा है कि आर्थिक मंदी के कारण दुनिया भर के बाजारों में और गिरावट होने वाली है। रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका की अर्थव्यवस्था में इस मंदी के कारण 1.5 फीसदी गिरावट आने वाली है। बता दें कि कोरोना महामारी के समय यह 10 फीसदी और 1929 में आई महान आर्थिक मंदी के समय यह 4 फीसदी था।

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English summary
Many Major Economies to Hit Recession in Next 12 months, Nomura Says
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