भारत पर मलेशिया ने कहा- हम राय रखने के लिए स्वतंत्र
मलेशिया के विदेश मंत्री दतुक सैफ़ुद्दीन अब्दुल्ला ने कहा है कि प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद की टिप्पणी से उपजे विवाद के बावजूद भारत के साथ अच्छे संबंध हैं. अब्दुल्ला ने कहा कि भारत की ओर मलेशियाई उच्चायुक्त को समन सामान्य राजनयिक प्रक्रिया का हिस्सा था. उन्होंने कहा कि भारत पीएम महातिर की टिप्पणी पर स्पष्टीकरण चाहता था.
मलेशिया के विदेश मंत्री दतुक सैफ़ुद्दीन अब्दुल्ला ने कहा है कि प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद की टिप्पणी से उपजे विवाद के बावजूद भारत के साथ अच्छे संबंध हैं.
अब्दुल्ला ने कहा कि भारत की ओर मलेशियाई उच्चायुक्त को समन सामान्य राजनयिक प्रक्रिया का हिस्सा था. उन्होंने कहा कि भारत पीएम महातिर की टिप्पणी पर स्पष्टीकरण चाहता था.
महातिर मोहम्मद ने 20 दिसंबर को भारत के नागरिकता संशोधन क़ानून पर टिप्पणी करते हुए इसे मुसलमान विरोधी बताया था.
अब्दुल्ला ने कहा, ''उच्चायुक्त को समन भेजना सामान्य सी बात है. जब कोई देश किसी आयोजन या टिप्पणी से असंतुष्ट होता है तो वो उच्चायुक्त को बुलाकर स्पष्टीकरण मांगता है. हमारे उच्चायुक्त दतुक हिदायत अब्दुल हामिद ने इस मामले में स्पष्ट रूप से अपनी बात रखी है.''
मलेशियाई विदेश मंत्री ने कहा, ''दोनों देशों के बीच सब कुछ ठीक है. ऐसा कोई भी मुद्दा नहीं है जिससे संबंधों में कड़वाहट आए. हमारा रुख़ साफ़ है. हम सभी देशों से अच्छे संबंध रखना चाहते हैं, चाहे उसकी पृष्ठभूमि और विचारधारा कुछ भी हो. हम किसी देश के आंतरिक मामले में हस्तक्षेप नहीं करते हैं लेकिन जब मुद्दा लोकतंत्र, मानवाधिकार और क़ानून का होता है तो अपनी राय रखते हैं.''
अब्दुल्ला ने कहा कि दुनिया भर की सरकारें आम तौर पर किसी देश के नेता के राजनीतिक बयान और आर्थिक-कारोबारी संबंधों में अंतर करना जानती हैं.
उन्होंने कहा, ''सभी देशों का किसी ख़ास मुद्दे पर अपना रुख़ होता है, इसलिए एक या दो राजनीतिक बयान असहमति के कारण हो सकते हैं लेकिन इससे समस्त द्विपक्षीय संबंध ख़त्म नहीं हो जाते.''
मलेशियाई विदेश मंत्री ने कहा, ''मिसाल के तौर पर रोहिंग्या समुदाय के मुद्दे पर हमारा अपना रुख़ है लेकिन म्यांमार के साथ हमारा द्विपक्षीय संबंध बिल्कुल अच्छा है. म्यांमार से हमारा कारोबार बिल्कुल सामान्य है और राजनीतिक मुद्दों का इन पर कोई प्रभाव नहीं है. हमारी कंपनियां आज भी वहां पहले की तरह ही काम कर रही हैं.''
मलेशियाई प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने भारत के नागरिकता संशोधन क़ानून को दुखद और मुसलमानों के प्रति भेदभावपूर्ण बताया था.
पीएम महातिर की इस टिप्पणी पर भारत ने कहा था कि मलेशियाई पीएम ने इस क़ानून को बिना ठीक से समझे ही टिप्पणी की थी. भारत की संसद ने हाल ही में एक बिल पास किया था जिसमें पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान में धार्मिक रूप से प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है.
दोनों देशों में इस तनातनी के बीच मलेशिया ने चीन और भारत के पर्यटकों को पहले से बिना पर्यटक वीज़ा के मलेशिया आने की छूट दी है.
यह छूट जनवरी 2020 से भारतीय पर्यटकों को पूरे साल मिलेगी. मलेशिया ने इसके लिेए सरकारी आदेश जारी किया है. इसके तहत भारत और चीन के पर्यटकों को बिना वीज़ा के 15 दिन मलेशिया में घूमने की सुविधा दी गई है.
इस सरकारी आदेश पर मलेशिया के पीएम ने 26 दिसंबर को हस्ताक्षर किया था. इसके लिए दोनों देशों के पर्यटकों को इलेक्ट्रॉनिक ट्रैवेल रजिस्ट्रेशन कराना ज़रूरी होगा. इस रजिस्ट्रेशन के बाद तीन महीने के भीतर मलेशिया घूमा जा सकता है. इस सुविधा के तहत कोई भारतीय 15 दिनों तक मलेशिया घूम सकता है.
नागरिकता संशोधन क़ानून पर टिप्पणी से पहले मलेशियाई प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने इसी साल सितंबर महीने में न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का मुद्दा उठाया था.
महातिर ने कहा था कि भारत ने कश्मीर पर हमला कर अपने क़ब्ज़े में रखा है.
भारत ने इसे लेकर भी कड़ी आपत्ति जताई थी और कहा था कि मलेशिया उसके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप कर रहा है. इससे पहले इस्लामिक धर्म उपदेश ज़ाकिर नाइक के प्रत्यर्पण को लेकर भी दोनों देशों में विवाद रहा है.
ज़ाकिर नाइक 2016 से भारत से जाकर मलेशिया में रह रहे हैं. ज़ाकिर नाइक पर भारत में नफ़रत फैलाने वाला भाषण देने का आरोप है. मलेशिया मुस्लिम बहुल देश है और ज़ाकिर नाइक को स्थायी निवास यहां मिला हुआ है.
मलेशिया और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से अच्छे रिश्ते रहे हैं. 1957 में मलेशिया की आज़ादी के बाद पाकिस्तान उन देशों में शामिल था जिसने सबसे पहले संप्रभु देश के रूप में मान्यता दी थी.
भारत में खाने में इस्तेमाल किए जाने वाले तेलों में पाम तेल का हिस्सा दो तिहाई है. भारत हर साल 90 लाख टन पाम तेल आयात करता है और मुख्य रूप से मलेशिया और इंडोनेशिया से होता है.
2019 के पहले नौ महीनों में भारत ने मलेशिया से 30.9 लाख टन पाम तेल का आयात किया था. मलेशियाई पाम ऑइल बोर्ड के डेटा के अनुसार भारत का मलेशिया से मासिक आयात चार लाख 33 हज़ार टन है. इंडोनेशिया के बाद मलेशिया दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा पाम तेल उत्पादक और निर्यातक देश है और भारत मलेशिया के लिए तीसरा सबसे बड़ा पाम तेल आयातक देश है.