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घटती जन्मदर से परेशान हुआ जापान, पीएम बोले- देश को बचाने के लिए 'अभी नहीं तो कभी नहीं' वाला हाल

जापानी PM फुमियो किशिदा ने घटती जन्म दर से निपटने के लिए तत्काल बड़े फैसले लेने की बात कही। उन्होंने कहा कि दुनिया के सबसे पुरानी सभ्यता के लिए फिलहाल ‘अभी नहीं तो कभी नहीं’ वाली स्थिति बन चुकी है।

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Japan Birth Rate

Image: File

जापान कई सालों से लगातार जनसांख्यिकीय संकट का सामना कर रहा है। देश में जन्मदर में लगातार गिरावट होती जा रही है। परेशानी की बात ये भी है कि जापानी युवाओं का बच्चे पैदा करने से ही मोह भंग हो चुका है, ऐसे में सरकार के लिए जनसंख्या वृद्धि दर को बढ़ाना काफी मुश्किल हो चुका है। इस बीच जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने देश की घटती जन्मदर से निपटने के लिए तत्काल बड़े कदम उठाने का संकल्प लिया है।

सरकार को लेने होंगे बड़े फैसले

सरकार को लेने होंगे बड़े फैसले


जापानी पीएम फुमियो किशिदा ने सोमवार को देश की घटती जन्म दर से निपटने के लिए तत्काल बड़े फैसले लेने की बात कही। उन्होंने कहा कि दुनिया के सबसे पुरानी सभ्यता के लिए फिलहाल ‘अभी नहीं तो कभी नहीं' वाली स्थिति बन चुकी है। किशिदा ने इस साल के संसदीय सत्र के उद्घाटन के अवसर पर एक नीतिगत भाषण में कहा, "हमारा देश इस कगार पर आ चुका है जहां हमें अब यह तय करना होगा कि वह अपने सामाजिक कार्यों को बरकरार रख सकता है।"

बच्चों से जुड़ी नीतियों को करेंगे दोगुना

बच्चों से जुड़ी नीतियों को करेंगे दोगुना

जापानी पीएम ने कहा, "जब जन्म और बच्चों के पालन-पोषण से संबंधित नीतियों की बात आती है तो यह अभी नहीं तो कभी नहीं वाला मुद्दा बन जाता है। सचमुच अब यह एक ऐसा मुद्दा बन चुका है जिसके लिए और इंतजार नहीं किया जा सकता।" किशिदा ने कहा कि वह जून तक बच्चों से संबंधित नीतियों पर बजट को दोगुना करने की योजना प्रस्तुत करेंगे। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे से निपटने के लिए अप्रैल महीने में एक नई सरकारी एजेंसी की स्थापना की जाएगी। आपको बता दें कि जापान में प्रजनन दर दुनिया में सबसे कम है। युवाओं की आबादी कम होने के कारण यहां कार्यबल सिकुड़ रहा है।

दुनिया में सबसे कम प्रजनन दर

दुनिया में सबसे कम प्रजनन दर

जापान को 'सुपर-एज्ड' देश कहा जाता है। इसका मतलब है कि जापान की 20% से अधिक आबादी 65 साल से अधिक उम्र की है। देश की कुल आबादी 2018 में 12.40 करोड़ थी। विशेषज्ञों का कहना है कि 2065 तक आबादी घटकर करीब 8.8 करोड़ हो सकती है। जापान में आबादी घटने के पीछे कई कारण बताए जाते हैं। जापान में बच्चों के जन्म और पालन-पोषण का खर्च बेहद अधिक है इसलिए अभिवावक अधिक बच्चे पैदा करने की चाहत नहीं रखते। इसके साथ ही वहां कामकाजी महिलाओं की तादाद भी काफी है। ऐसे में वे बच्चे को वरीयता नहीं देती हैं। अधिक उम्र में शादी और अविवाहितों की बढ़ती आबादी भी जापान की जनसंख्या के लगातार कम होते जाने में जिम्मेदार हैं।

सरकार की योजनाएं हुईं फेल

सरकार की योजनाएं हुईं फेल

जापानी सरकार ने प्रजनन क्षमता में आई भारी गिरावट की समस्या से निजात पाने के लिए 1990 के दशक के मध्य में कम प्रजनन क्षमता (शौशिका-ताइसाकु) को संबोधित करने वाले कार्यक्रमों की एक शृंखला शुरू की। इस योजना के तहत जापानी सरकार ने चाइल केयर संस्थानों की सेवाओं में विस्तार करना शुरू किया और वर्क-लाइफ बैलेंस बनाने के लिए भी कई योजनाएं शुरू कीं। लेकिन, इसका असर नहीं दिख रहा है। ऐसे में पिछले कुछ सालों से जापानी सरकारों ने जन्म से लेकर युवावस्था तक दीर्घकालीन नीति सहायता बनाने की वकालत की है। ताकि, बच्चों के जन्म होने के बाद से लेकर युवावस्था तक उसकी पूरी देखभाल सरकार करे।

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English summary
Japan To Set Up New Agency To Tackle Falling Birth Rate
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