हरी आंखों वाली वो अफगान लड़की...जो अफगानिस्तान की दुर्दशा की 'निशानी' बनी थी, मिल गई
1985 में अमेरिकन फोटोग्राफर ने शरबत गुला की तस्वीर खींची थी और शरबत गुला की ये तस्वीर अफगानिस्तान के भयावह हालात की निशानी बन गई।
रोम, नवंबर 26: हरी आंखों वाली वो अफगान लड़की, जो अफगानिस्तान की विभीषिका की 'निशानी' बन गई थी, उसका पता मिल गया है और पता चला है कि, इटली ने उस लड़की को 'आश्रय' दिया था। 1985 में नेशनल ज्योग्राफिक चैनल पर आई अफगानिस्तान की रहने वाली शरबत गुला की तस्वीर ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया था।
इटली में है अफगान गर्ल
इटली ने हरी आंखों वाली "अफगान गर्ल" शरबत गुला को सुरक्षित आश्रय दिया है, जिसकी नेशनल ज्योग्राफिक में 1985 की तस्वीर अफगानिस्तान युद्ध का प्रतीक बन गई। इटली के प्रधानमंत्री मारियो ड्रैगी के कार्यालय ने गुरुवार को इस बात की जानकारी दी है। इटली के प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि, अगस्त में तालिबान के देश में अधिग्रहण के बाद शरबत गुला ने अफगानिस्तान छोड़ने के लिए मदद मांगी थी, जिसके बाद इटली की सरकार ने हस्तक्षेप किया। इटली की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया है कि, अफगानिस्तान से आम नागरिकों को निकालने के अभियान के तहत की शरबत गुला को भी अफगानिस्तान से सुरक्षित निकाला गया।
1985 में खिंची गई तस्वीर
अमेरिकी फोटोग्राफर स्टीव मैककरी ने पाकिस्तान-अफगान सीमा पर एक शरणार्थी शिविर में रहने वाली गुला की तस्वीर तब ली थी, जब वह छोटी थी। ये तस्वीर 1985 में खिंची गई थी। शरबत गुला की चौंका देने वाली हरी आंखें, एक सर पर बंधा हेडस्कार्फ और आंखों में भरा दर्द, उस वक्त अफगानों के दर्द का प्रतीक बन गई थी। शरबत गुला की तस्वीर अंतर्राष्ट्रीय पहचान बन गई थी। 2002 में जब फोटोग्राफटर स्टीव मककरी वापस अफगानिस्तान पहुंचे थे, तो उन्होंने शरबत गुला को फिर से खोजा था और एक बार फिर से उनकी तस्वीर ने काफी सुर्खियां बटोरी थीं। नेशनल ज्योग्राफिक ने उस वक्त कहा था कि, एफबीआई विश्लेषक और फॉरेंसिक एक्सपर्ट ने अफगानिस्तान की इस लड़की की पहचान की पुष्टि की थी।
पाकिस्तान ने किया था गिरफ्तार
साल 2019 में पाकिस्तान में रहने के दौरान राष्ट्रीय पहचान पत्र खो जाने के बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया था। लेकिन, बाद में वो वापस अफगानिस्तान लौट आई थी। जिसके बाद तत्कालीन राष्ट्रपति अशरफ गनी ने अफगानिस्तान में उसका स्वागत किया था और उसे एक अपार्टमेंट गिफ्ट किया था, ताकि वो सुरक्षित अपना जीवन बिता सके। अपार्टमेंट में ''अपनी मातृभूमि में सम्मान और सुरक्षा के साथ वो अफगानिस्तान में रहती थी"। लेकिन, अगस्त महीने में एक बार फिर से पाकिस्तान की मदद से तालिबानी आतंकवादियों ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है, जिसके बाद एक बार फिर से आम अफगानों की जिंदगी मुसीबत में पड़ चुकी है, खासकर महिलाओं की।
महिलाओं पर जुल्म-ओ-सितम
अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा करने के बाद तालिबान नेताओं ने कहा है कि वे सख्त शरिया या इस्लामी कानून के अनुसार महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करेंगे। लेकिन 1996 से 2001 तक तालिबान के शासन में महिलाएं काम नहीं कर सकती थीं और लड़कियों के स्कूल जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। घर से निकलने पर महिलाओं को अपना चेहरा ढंकना पड़ता था और एक पुरुष रिश्तेदार के साथ जाना पड़ता था। इस बार भी कमोबेश अफगानिस्तान में वैसे ही हालात हैं।
शरबत गुला का संघर्ष
1979 में अफगानिस्तान पर सोवियत संघ द्वारा आक्रमण के करीब पांच सालों के बाद शरबत गुला उन लाखों अफगानों में से एक थी, जो अपनी जान बचाने के लिए पाकिस्तान पहुंची थी। शरबत गुला अनाथ हो चुकी थी और पाकिस्तान सरकार ने उसे गिरफ्तार करने के बाद 2019 में उसे अफगानिस्तान भेज दिया था। वहीं, सितंबर की शुरुआत में रोम ने कहा कि उसने अगस्त में तालिबान द्वारा सत्ता पर कब्जा करने के बाद अफगानिस्तान से लगभग 5,000 अफगानों को बाहर निकाला था।
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