चीन से बाहर निकलने पर विचार कर रही है Apple कंपनी, क्या भारत उठा पाएगा फायदा?
अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते झगड़ों के बीच कई कंपनियां धीरे-धीरे चीन से बाहर आ रही हैं और वो वियतनाम या भारत की तरफ देख रही है। लेकिन, सवाल ये उठ रहे हैं, कि क्या भारत इन कंपनियों के लिए एक पसंदीदा जगह बन पाएगा?
China Apple: चीन में पिछले डेढ़ साल से बार बार लगाए जा रहे लॉकडाउन और पिछले 10 दिनों से चल रहे भारी प्रदर्शन के बीच दुनिया की सबसे बड़ी आईफोन फैक्ट्री बंद हो सकती है। एपल कंपनी अपना प्लांट चीन से बाहर निकालने पर विचार कर रही है और जानकारी के मुताबिक, एपल कंपनी ये काम जल्द से जल्द पूरा करना चाहती है। पिछले महीने एपल फैक्ट्री के अंदर भारी झड़प हुआ था और उसके बाद से कामकाज में भारी व्यवधान आया है। वहीं, अब दावा किया गया है, कि एपल के सीईओ टॉम कुक अपनी कंपनी को चीन से बाहर निकालने पर विचार कर रहे हैं।
दुनिया की सबसे बड़ी एपल फैक्ट्री होगी बंद
चीन पिछले डेढ़ सालों से लगातार लॉकडाउन से गुजर रहा है और काउंटरपॉइंट रिसर्च के अनुसार, एपल के प्रोडक्शन में इस वजह से भारी गिरवाट आई है। एपल ने पिछले दिनों ही एपल-14 प्रो लंचा किया था, लेकिन फैक्ट्री में मजदूीरों ने ही प्रदर्शन शुरू किया गया, जिसकी वजह से एपल-14 लांच होने के बाद लोगों को 37 दिनों तक फोन लेने के लिए इंतजार करना पड़ा और हाल ही में ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि, झेंग्झौ में हंगामे की वजह से इस साल 60 लाख एपल फोन के उत्पादन में कमी आ जाएगी। आपको बता दें कि, झेंग्झौ में दुनिया की सबसे बड़ी आईफोन फैक्ट्री है, जहां पिछले दिनों हिंसक प्रदर्शन हुआ था। इस फैक्ट्री में कोरोना वायरस के कारण लागू प्रतिबंधों की वजह से कर्मचारियों ने हिंसक प्रदर्शन किया था, जिसमें कई श्रमिक घायल हो गये थे।
चीन से बाहर आने की तैयारी
द वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रोडक्शन में लगातार आ रहे व्यवधान की वजह से क्यूपर्टिनो स्थित टेक दिग्गज Apple ने अगले कुछ हफ्तों में चीन के बाहर अपने कुछ उत्पादन को ट्रांसफर करने की योजना बनाई है। रिपोर्ट के मुताबिक, एपल कंपनी के अंदर चीन से बाहर निकलने की करीब करीब तैयारी पूरी कर ली गई है और माना जा रहा है, कि एशिया के ही किसी देश में एपल अपना प्रोडक्शन शुरू करेगा। द वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट में भारत और वियतनाम का जिक्र किया गया है, कि भारत या फिर वियतनाम में एपल अपना प्लांट शिफ्ट कर सकता है। रिपोर्ट ये भी है, कि एपल कंपनी ताइवान की फॉक्सकॉन टेक्नोलॉजी ग्रुप के नेतृत्व वाले ताइवानी असेंबलरों पर अपनी निर्भरता कम करना चाह रही है।
चीन में 85 प्रतिशत उत्पादन
काउंटरपॉइंट रिसर्च के अनुसार, चीन स्थिति अपनी झेंग्झौ फैक्ट्री पर एपल कंपनी अपने आईफोन प्रोडक्शन का 85 प्रतिशत उत्पादन के लिए निर्भर है, लेकिन हालिया समय में चीन के खिलाफ पश्चिमी देशों के कड़े रूख और चीन में उथल-पुथल ने Apple के नए विकल्पों की तलाश करने के लिए मजबूर किया है। वहीं, फॉक्सकॉन ग्रुप के एक पूर्व अमेरिकी अधिकारी एलन येउंग ने डब्ल्यूएसजे को बताया कि, 'पहले लोग कई तरह के जोखिमों पर ध्यान नहीं देते थे और पहले फ्री ट्रेड ही नियम था और चीजें काफी अनुमानित तरीके से आगे बढ़तीं थीं, लेकिन अब हम नई दुनिया में प्रवेश कर चुके हैं।"
क्या भारत उठा पाएगा फायदा?
काफी ताजा अपडेट के मुताबिक, आईफोन बनाने वाली कंपनी एपल ने अपने मैन्यूफैक्चर पार्टनर्स से कहा है, कि वो अब चीन से बाहर ज्यादा से ज्यादा काम करने के विकल्पों की तलाश करें। वहीं, सप्लाई चेन एक्सपर्ट्स का कहना है कि, जब तक भारत और वियतनाम जैसे देशों को न्यू प्रोडक्ट इंट्रोडक्शन (NPI) नहीं मिल जाता, तब तक कुछ नहीं कहा जा सकता। आपको बता दें कि, एनपीआई उस स्थिति को कहते हैं, जब कोई कंपनी अपने प्रोडक्ट के प्रोडक्शन के लिए ब्लूप्रिंट और प्रोटोटाइप को एक डिटेल्ड मैन्यूफैक्चरिंग प्लान के साथ ठेकेदार को सौप दे और एपल ने अभी तक भारत में ऐसा नहीं किया है। इसके अलावा, चीन से उत्पादन को ट्रांसफर करना और करीब 40 से 45 प्रतिशत प्रोडक्शन भारत से करने का फैसला, चीन के दीर्घकालिक प्लान का हिस्सा है। वहीं, सप्लाई चेन में काम कर रहे टीएफ इंटरनेशनल सिक्योरिटीज के एक विश्लेषक मिंग-ची कुओ के अनुसार, भारत में अभी तक आईफोन का प्रोडक्शन सिंगल डिजिट प्रतिशत में ही हो रहा है, लिहाजा ये देखना दिलचस्प होगा, कि क्या एपल कंपनी भारत को अपना मैन्यूफैक्चरिंग हब के लिए चुनती है, या फिर फायदा वियतनाम उठाएगा।
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