पहली बार तालिबान और भारत के बीच 'समझौता', अफगानिस्तान के लिए ये कदम उठाएगा भारत
अफगानिस्तान को लेकर मॉस्को में भारत और तालिबान के बीच काफी अहम 'समझौता' हुआ है।
मॉस्को, अक्टूबर 21: तालिबान को अफगानिस्तान में सरकार बनाए अब दो महीने से ज्यादा का वक्त हो चुका है और अभी तक तालिबान की सरकार को किसी भी देश ने मान्यता नहीं दी है। इस बीच रूस में 'मॉस्को फॉर्मेट डायलॉग' के दौरान भारत और तालिबान के प्रतिनिधियों के बीच बातचीत हुई है। अफगानिस्तान की मौजूदा स्थिति को लेकर मास्को प्रारूप की तीसरी बैठक के मौके पर तालिबान के प्रतिनिधियों ने बुधवार को विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव जेपी सिंह के नेतृत्व में एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की है, जिसमें कई अहम समझौते हुए हैं।
भारत-तालिबान बातचीत
इससे पहले कतर में भारतीय दूत दीपक मित्तल की एक महीने पहले दोहा में तालिबान के उप विदेश मंत्री शेर मोहम्मद अब्बास स्टानिकजई के साथ बैठक हुई थी, और अब उसके बाद भारत और तालिबान के बीच यह दूसरी ऐसी द्विपक्षीय बैठक थी। विदेश मंत्रालय के पाकिस्तान-अफगानिस्तान-ईरान डिवीजन के संयुक्त सचिव जेपी सिंह के नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधिमंडल रूस के निमंत्रण पर मास्को प्रारूप बैठक में भाग लेने के लिए मास्को में था। भारत-तालिबान बैठक के बारे में बोलते हुए तालिबान शासित इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान के एक आधिकारिक प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने कहा कि, "इस्लामिक अमीरात के प्रतिनिधिमंडल ने ईरान, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के लिए भारत के विशेष प्रतिनिधि के साथ मुलाकात की।"
बैठक से क्या निकला?
तालिबान ने अफगानिस्तानी न्यूज चैनल टोलो न्यूज से बात करते हुए कहा कि, भारतीय पक्ष ने अफगानिस्तान को व्यापक मानवीय सहायता प्रदान करने की इच्छा जताई है। तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा कि दोनों पक्षों ने एक-दूसरे की चिंताओं को ध्यान में रखने और राजनयिक और आर्थिक संबंधों में सुधार करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। इस बीच, बुधवार को मास्को वार्ता में अपनी प्रारंभिक टिप्पणी के दौरान, रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि, "एक स्थिर सरकार बनाने के लिए न केवल सभी जातीय समूहों बल्कि देश की सभी राजनीतिक ताकतों के हितों को पूरी तरह से प्रतिबिंबित करने वाली एक समावेशी सरकार बनाना" आवश्यक है, ताकि अफगानिस्तान में शांति बहाली हो सके''।
मीटिंग में शामिल थे 10 देश
अफगानिस्तान मुद्दे पर हुई इस बैठक में भारत, चीन, पाकिस्तान और कुछ अन्य मध्य एशियाई देशों सहित 10 देशों ने भाग लिया। तालिबान के अलावा, बैठक में अन्य गुटों के प्रतिनिधि भी थे। रूस के विदेश मंत्री लावरोव ने सम्मेलन में अपने उद्घाटन भाषण में देश में स्थिति को स्थिर करने और राज्य संरचनाओं के संचालन को सुनिश्चित करने के लिए तालिबान के प्रयासों की सराहना की। पिछले हफ्ते, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा था कि, तालिबान को अफगानिस्तान के नए शासकों के रूप में आधिकारिक तौर पर मान्यता देने में कोई जल्दबाजी नहीं होनी चाहिए, लेकिन उनके साथ बातचीत में शामिल होने की आवश्यकता पर बल दिया। आपको बता दें कि, कई अन्य देशों के विपरीत, रूस ने काबुल में अपना दूतावास खाली नहीं किया है और अगस्त में अफगान राजधानी पर कब्जा करने के बाद उसके राजदूत ने तालिबान के साथ नियमित संपर्क बनाए रखा है।
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