रूसी हथियारों के बिना भारतीय सेना में 'दम' नहीं, नहीं छोड़ पाएंगे प्रभाव, सीआरएस रिपोर्ट से सनसनी
सीआरएस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि, रूसी हथियार के बिना भारतीय सेना प्रभावी ढंग से काम नहीं कर सकती है।
वॉशिंगटन, अक्टूबर 27: भारतीय सेना और भारतीय हथियारों को लेकर एक अमेरिकी रिपोर्ट में चौंकाने वाले दावे किए गये हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि, भारत ने हालांकि रूसी हथियारों की खरीदारी काफी कम कर दी है, फिर भी रूसी हथियारों के बिना भारतीय सेना काफी कमजोर हो जाएगी। दरअसल, रूस से भारत को इस साल के अंत तक एस-400 मिसाइल सिस्टम मिलने जा रहा है और उसको लेकर अमेरिका को भारी ऐतराज है और इन सबके बीच अमेरिकी रिपोर्ट में चौंकाने वाले दावे किए गये हैं।
अमेरिकी रिपोर्ट में चौंकाने वाले दावे
अमेरिकी रिपोर्ट में कहा गया है कि, रूस से हथियारों और उपकरणों पर भारत की निर्भरता में काफी गिरावट आई है, लेकिन भारतीय सेना रूसी आपूर्ति वाले उपकरणों के बिना प्रभावी ढंग से काम नहीं कर सकती है, लिहाजा अभी भारत, हथियार प्रणालियों के लिए निकट भविष्य में या मध्य भविष्य में रूस पर ही भरोसा जताता रहेगा। ये रिपोर्च अमेरिका की कांग्रेस अनुसंधान सेवा (सीआरएस) ने तैयार की है और भारतीय सेना को इसमें कई तरह के दावे किए गये हैं।
भारत पर प्रतिबंध लगाएगा अमेरिका?
यह रिपोर्ट ऐसे वक्त में आई है, जब अमेरिका का बाइडेन प्रशासन चाहता है कि भारत रूस से हथियारों की खरीदारी बंद कर दे, इसके साथ ही बाइडेन प्रशासन को यह फैसला भी करना है, कि रूस से एस-400 मिसाइल सिस्टम खरीदने के लिए क्या अमेरिका को भारत के ऊपर प्रतिबंध लगाना चाहिए या नहीं। अमेरिका ने पिछले साल तुर्की पर इसीलिए प्रतिबंध लगा दिया था, क्योंकि तुर्की ने भी रूस से एस-400 मिसाइल सिस्टम ही खरीदा था, लिहाजा अमेरिका के ऊपर भारत पर प्रतिबंध लगाने का नैतिक दबाव पड़ रहा है।
अमेरिकी रिपोर्ट में क्या सब दावे?
अमेरिका की कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस यानि सीआरएस की ताजा रिपोर्ट 'रसियन सेल्स एंड डिफेंस इंडस्ट्री' को लेकर है, जिसमें भारतीय सेना को लेकर भी विश्लेषण किया गया है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि, बिना रूसी हथियार और उपकरण के भारतीय सेना प्रभावी ढंग से ऑपरेशन को अंजाम नहीं दे पाती है, लिहाजा आने वाले वक्त में भी भारत की निर्भरता रूस पर ही जारी रहने वाली है। इस रिपोर्ट में एक अमेरिकी ऑब्जर्वर ने कहा है कि, ''मॉस्को से हथियार खरीदने की वजह से अभी भी मॉस्को का नई दिल्ली पर और नई दिल्ली का मॉस्को पर प्रभाव रहता है।'' रिपोर्ट में कहा गया है कि, नई दिल्ली पर मॉस्को का ज्यादातर प्रभाव हथियार प्रणालियों और हथिया टेक्नोलॉजी की उपलब्धता करवाने को लेकर ही रहती है, लेकिन ये हथियार भारत से कोई और देश नहीं खरीदते हैं। इसके साथ ही रिपोर्ट में कहा गया जब हथियार बेचने की बात आती है, तो रूस दूसरे देशों के मुकाबले भारत को आकर्षक दर पर हाई टेक्नोलॉजी हथियार उपलब्ध करवाता है।
भारत ने हथियार खरीदना किया कम
सीआरएस स्वतंत्र विषय और अलग अलग विशेषज्ञों के हवाले से अकसर विभिन्न मुद्दों पर रिपोर्ट तैयार करता है। इसकी रिपोर्टें कांग्रेस की आधिकारिक रिपोर्ट नहीं हैं, लेकिन अमेरिकी सांसद इस रिपोर्ट को अपनी रिपोर्ट तैयार करने के लिए मदद लेते हैं। इस रिपोर्ट में एक ग्राफ के जरिए दिखाया गया है कि 2015 के बाद से मोदी सरकार ने रूस से रक्षा उपकरणों की खरीदारी लगातार कम की है। सीआरएस ने कहा कि, 2016 से चल रही रूस निर्मित एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम को खरीदने की भारत की योजना से अमेरिकी कानून सीएएटीएसए की धारा 231 के तहत अमेरिकी प्रतिबंध लग सकते हैं। हालांकि, इसके बाद भी भारत ने 2019 के अंत में एस-400 मिसाइल सिस्टम के लिए रूस के साथ तय 5.4 अरब डॉलर में से 800 मिलियन अमरीकी डालर बतौर एडवांस दिए।
रूस से एस-400 मिसाइल सौदा
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि, अमेरिकी प्रतिबंधों की परवाह किए बगैर भारत रूस से इस साल के अंत तक एस-400 मिसाइल सिस्टम खरीद लेगा। रिपोर्ट के मुताबिक, इसी साल सर्दी के महीने तक रूस से एस-400 मिसाइल सिस्टम की डिलीवरी भारत में शुरू हो जाएगी और 2023 तक रूस से भारत को सभी एस-400 मिसाइल सिस्टम मिल जाएंगे। आपको बता दें कि, दो अमेरिकी सीनेटर्स ने जो बाइडेन को चिट्ठी लिखकर आग्रह किया है कि, बाइडेन सरकार भारत पर प्रतिबंध नहीं लगाए, क्योंकि ऐसा करने से भारत और अमेरिका के संबंध खराब हो सकते हैं, जो अमेरिका के हित के लिए सही नहीं होगा।
भारत-रूस रक्षा संबंध
सीआरएस रिपोर्ट में कहा गया है कि, 2010 के बाद से भारत अपने हथियार खरीदी का करीब 62 प्रतिशत हिस्सा रूस से ही खरीदता है और रूस का सबसे बड़ा हथियार आयातक देश भारत है। रूस जितना हथियार निर्यात करता है, उसका 32 प्रतिशत हिस्सा अकेले भारत खरीदता है। हालांकि, 2014 में भारत में सरकार परिवर्तन के बाद धीरे-धीरे भारत ने हथियारों को लेकर रूस पर निर्भरता कम करनी शुरू कर दी और 2016 से 2020 के बीच भारत ने रूस के कुल हथियारों के निर्यात का लगभग एक-चौथाई (23 प्रतिशत) हिस्सा खरीदा है। वहीं, भारत ने रूस से 62 प्रतिशत हथियार खरीदने की जगह उसे घटाकर 49 प्रतिशत तक ला दिया है। सीआरएस की रिपोर्ट में कहा गया है कि, द मिलिट्री बैलेंस 2021 के अनुसार, भारत के वर्तमान सैन्य शस्त्रागार में रूसी-निर्मित या रूसी-डिज़ाइन किए गए उपकरणों का भारी भंडार है। भारतीय सेना का मुख्य युद्धक टैंक बल मुख्य रूप से रूसी T-72M1 (66 प्रतिशत) और T-90S (30 प्रतिशत) से बना है।
भारतीय नौ-सेना में भी रूस का दबदबा
सीआरएस ने कहा कि, भारतीय नौसेना का एकमात्र ऑपरेशनल एयरक्राफ्ट कैरियर, जिसे हालिया समय में अरडेट किया गया है, लो भी सोवियत युग का है। और इस एयरक्राफ्ट कैरिय पर जितने भी लड़ाकू विमान तैनात हैं, वो या तो रूस में बने हुए हैं या फिर उन्हें रूसी लाइसेंस पर भारत में बना है। नौसेना के लड़ाकू बेड़े में 43 मिग-29के/केयूबी शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि, "नौसेना के 10 गाइडेड- मिसाइल विध्वंसक में से चार रूसी काशीन वर्ग के हैं, और इसके 17 युद्धपोतों में से छह रूसी तलवार वर्ग के हैं। इसके साथ ही भारतीय नौसेना की एकमात्र परमाणु-संचालित पनडुब्बी भी रूस से लीज पर ली गई है, जबकि भारतीय सेना में शामिल अन्य 14 पनडुब्बियों में से आठ रूसी हैं।''
भारतीय वायुसेना में भी रूस का प्रभाव
रिपोर्ट में कहा गया है कि, ''भारतीय वायुसेना में शामिल 667 विमानों में से 71 प्रतिशत रूसी मूल के हैं, जिनमें से 39 प्रतिशत में एसयू-30, 22 प्रतिशत मिग-21, 9 प्रतिशत मिग 29एस हैं। इसके साथ ही भारतीय वायुसेना में शामिल सभी 6 एयर टैंकर भी रूस से बने हुए हैं
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