Special Report: क्या भारत और पाकिस्तान 'दोस्ती' का ऐलान कर दुनिया को बड़ा सरप्राइज देने वाले हैं?
क्या भारत और पाकिस्तान 'दोस्ती' का ऐलान कर दुनिया को बड़ा सरप्राइज देने वाले हैं?
नई दिल्ली/इस्लामाबाद: 26 फरवरी को अचानक भारत और पाकिस्तान की तरफ से सीजफायर को फिर से लागू करने का बयान आता है और दोनों देशों के साथ पूरी दुनिया आश्चर्य में पड़ जाती है, कि भला दो दुश्मन देश अचानकर सीजफायर पर कैसे राजी हो गये? बाद में पता चलता है कि संयुक्त अरब अमीरात के टॉप डिप्लोमेट दिल्ली दौरे पर आए थे और फिर दोनों देश सीजफायर को मानने के लिए राजी हो गये। अब ताजा रिपोर्ट ये है कि भारत और पाकिस्तान के बीच में यूएई शांति समझौता करवाने जा रहा है और इसकी शुरूआत भी हो चुकी है। 26 फरवरी को यूएई के विदेश मंत्री शेख अब्दुल्लाह बिन जाएग भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात के बाद संकेत देते हैं कि उन्होंने भारत के साथ क्षेत्रीय शांति और अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं के ऊपर बातचीत की है। लेकिन, अब खबर आ रही है कि भारत और पाकिस्तान के बीच शांति दूत की भूमिका में यूएई है और बहुत जल्द भारत और पाकिस्तान शांति समझौते के लिए राजी हो सकते हैं।
शांति का पहला कदम
भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म करने के बाद ही सभी रास्तों से बातचीत बंद हैं लेकिन बताया जा रहा है कि भारत और पाकिस्तान के बीच गुप्त बातचीत शुरू हो चुकी है और उसी बातचीत का पहला नतीजा दोनों देशों का सीजफायर के लिए तैयार होना था। एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार के उच्च अधिकारी ने नाम ना जाहिर करने की शर्त पर दावा किया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर असल में पहला ही कदम था, दोनों देशों आगे कई और सरप्राइज दुनिया को देने वाले हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारी ने कहा है कि शांति के रास्ते पर दोनों देश द्वारा बढ़ाया गया ये पहला ही कदम है और दोनों पड़ोसियों के बीच शांति की स्थापना हो सकती है। दोनों देश न्यूक्लियर शक्ति हैं और कश्मीर ही दोनों देशों के बीच झगड़े की एकमात्र वजह है।
शांति का दूसरा कदम
रिपोर्ट के मुताबिक अगर सीजफायर को दोनों देशों के द्वारा उठाया गया पहला कदम माना जाए तो दोनों देशों के द्वारा उठाया जाने वाला दूसरा कदम बातचीत और व्यापार संबंधों की बहाली होगी। उच्च-अधिकारी के मुताबिक दोनों देश इस प्रक्रिया में शामिल हैं, जिसे 2019 में कश्मीर में अनुच्छेद 370 खत्म करने के बाद रोक दिया गया था। लेकिन, शांति समझौता का तीसरा कदम क्या होगा? सबसे महत्वपूर्ण और जटिल सवाल यही है कि क्या कश्मीर को लेकर दोनों देशों के बीच समझौता हो पाएगा? ये सवाल ही असल में सभी सवालों से महत्वपूर्ण है क्योंकि दोनों देश कश्मीर के मुद्दे पर कई जंग लड़ चुके हैं और उसका नतीजा सबके सामने है।
दोनों देशों की अपनी समस्याएं
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले कई सालों से भारत और पाकिस्तान के अधिकारियों के बीच समझौते के लिए बातचीच होती रही है। लिहाजा इस बार भी इस बात की उम्मीद बेहद कम है कि सबकुछ ठीक हो जाएगा। अधिकारी के मुताबिक पहले भी इस बात की उम्मीदें बेहद कम थीं कि दूतों की बहाली और पंजाब के रास्ते व्यापार शुरू कर देने भर से दोनों देशों के बीच की समस्याएं खत्म हो जाएंगी। लेकिन इस बार जो कदम उठाए गये हैं वैसा ठोस कदम सालों के बाद उठाया जा रहा है। अमेरिका को अफगानिस्तान में शांति के लिए दोनों देशों की जरूरत है, क्योंकि अफगानिस्तान में भारत और पाकिस्तान दोनों का काफी ज्यादा प्रभाव रहा है। वहीं, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भारत की सामरिक शक्ति को चीन की सीमा पर डिप्लॉय करना चाहते हैं, वहीं पाकिस्तान के साथ समस्या आर्थिक स्थिति है। पिछले कुछ सालों में पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति काफी ज्यादा खराब हो चुकी है और देश में महंगाई हर सीमा रेखा को पार कर चुकी है। लिहाजा पाकिस्तानी नेता अब अमेरिका के सामने पाकिस्तान की अच्छी छवि पेश करना चाहते हैं।
बातचीत से पहले के संकेत
रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान की विदेश मंत्रालय ने भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाली किसी भी बातचीत में संयुक्त अरब अमीरात की भूमिका पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है वहीं भारत और यूएई की तरफ से भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है। लेकिन, इन सबके बीच कुछ बड़े संकेत भी मिले हैं। पिछले हफ्ते पाकिस्तान आर्मी के चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा ने कहा था कि भारत और पाकिस्तान को पुराने जख्मों को भुला देना चाहिए और नये सिरे से आगे बढ़ना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान की आर्मी हर समस्याओं के समाधान के लिए मदद करने के लिए तैयार है। पाकिस्तान आर्मी चीफ का बयान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के उस बयान के बाद आया था जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद का मसला सिर्फ कश्मीर है। वहीं जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान कोरोना वायरस पॉजिटिव पाए गये तो भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्वीट कर उनके जल्द ठीक होने की कामना की, जो एक और संकेत है कि भारत और पाकिस्तान के बीच के संबंधों में सुधार आ रहे हैं।
यूएई की मध्यस्थता
यूएई और भारत के बीच ऐतिहासिक स्तर व्यापारिक और डिप्लोमेटिक रिश्ते हैं। वहीं, पाकिस्तान के साथ भी यूएई के संबंध अच्छे ही हैं। और माना जा रहा है कि यूएई के किंग शेख मोहम्मद बिन जाएद अल नाहयान भारत और पाकिस्तान के बीच समझौते के लिए मध्यस्थ की भूमिका में हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव उस वक्त से है जब कश्मीर में एक हमले में भारत के 40 जवान शहीद हो गये थे और भारत ने पाकिस्तान पर जवाबी कार्रवाई करते हुए एयरस्ट्राइक कर सैकड़ों आतंकियों को मार दिया था। जिसके दो साल बात पिछले महीने दोनों देशों ने संयुक्त बयान जारी करते हुए कहा था कि दोनों देश मूल मुद्दे को संबोधित करने के लिए राजी हो गये हैं। इसके साथ ही कश्मीर और आतंकवाद पर दोनों देश विस्तृत बातचीत के लिए भी तैयार होने के भी सिग्नल दिए थे।
संयुक्त अरब अमीरात की भूमिका?
भारत
और
पाकिस्तान
के
बीच
रिश्ते
सामान्य
कराने
में
संयुक्त
अरब
अमीरात
की
भूमिका
है,
इसके
कई
संकेत
और
मिले
हैं।
पिछले
साल
नवंबर
में
भारतीय
विदेश
मंत्री
एस.
जयशंकर
और
संयुक्त
अरब
अमीरात
के
क्राउन
प्रिंस
की
मुलाकात
हुई
थी
तो
ठीक
उसके
एक
महीने
बात
पाकिस्तान
के
विदेश
मंत्री
शाम
महमूद
कुरैशी
ने
भी
संयुक्त
अरब
अमीरात
का
दौरा
किया
था।
वहीं,
25
फरवरी
को
जब
भारत
और
पाकिस्तान
की
तरफ
से
सीजफायर
के
लिए
बयान
जारी
किया
गया
था
ठीक
उसके
दो
हफ्ते
पहले
संयुक्त
अरब
अमीरात
प्रिंस
ने
पाकिस्तान
के
प्रधानमंत्री
से
फोन
पर
बात
की
थी।
और
उसी
बातचीत
के
एक
दिन
बात
भारत
सरकार
ने
श्रीलंका
दौरे
पर
जा
रहे
पाकिस्तानी
प्रधानमंत्री
इमरान
खान
के
प्लेन
को
भारतीय
वायु
क्षेत्र
से
गुजरने
की
इजाजत
दे
दी
थी,
जिसे
2019
से
ही
भारत
ने
बंद
कर
रख
था।
इतने
सारे
संकेतों
के
बीच
माना
जा
रहा
है
कि
भारत
और
पाकिस्तान
फिर
से
दुनिया
को
नये
समझौते
के
साथ
चौंका
सकते
हैं
जिसमें
संयुक्त
अरब
की
बड़ी
भूमिका
रहने
वाली
है।
कम
से
कम
संकेतों
के
आधार
पर
तो
यही
कहा
जा
रहा
है
कि
भारत
और
पाकिस्तान
के
बीच
जमी
दुश्मनी
की
बर्फ
ने
पिघलना
शुरू
कर
दिया
है।