भारत और जापान को सफाई देनी चाहिए: चीन
चीन ने कहा है कि उसके और भारत के बीच जो सीमा विवाद है उसमें जापान को दूर रहना चाहिए.
जपानी प्रधानमंत्री शिंज़ो अबे की भारत यात्रा पर चीन की भी प्रतिक्रिया आई है. चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुअ चुनयिंग ने अपनी नियमित प्रेस कॉन्फ्रेंस में जापान और भारत के प्रधानमंत्रियों के संयुक्त बयान के जुड़े सवालों को भी लिया.
एक पत्रकार ने चुनयिंग से शिंज़ों अबे के भारत दौरे को लेकर सवाल पूछा, ''जापान के प्रधानमंत्री शिंज़ो अबे भारत यात्रा में पूरी तरह से तल्लीन दिखे. दोनों देशों के राष्ट्र प्रमुखों की बैठक के बाद संयुक्त रूप से एक विस्तृत बयान जारी किया गया. इस बयान में हिंद-प्रशांत क्षेत्र के साथ दक्षिण चीन सागर में विवादों का भी ज़िक्र किया गया. बयान में कहा गया है कि इन विवादों का निपटारा शांतिपूर्ण तरीक़े से संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन के तहत होना चाहिए.''
उस पत्रकार ने आगे पूछा, ''इन दोनों नेताओं के बयानों में वन बेल्ट वन रोड का भी ज़िक्र है और कहा गया है कि इससे जुड़े सभी देशों को अंतरराष्ट्रीय मानकों और समग्रता की भावना का ख़्याल रखना चाहिए. दोनों देशों ने कहा है कि वे 'इंडिया-जापान ऐक्ट ईस्ट फोरम' का निर्माण करेंगे. इसके साथ ही जापान ने भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में निवेश बढ़ाने की भी घोषणा की है. मेरा सवाल पर्याप्त रूप से बड़ा है. मैं जानना चाहूंगा कि जापान और भारत के संयुक्त बयान पर चीन का क्या रुख है?''
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दोनों नेताओं के संयुक्त बयान में चीन शब्द नहीं
इस सवाल के जवाब में चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने कहा , ''हम लोगों ने भी जापानी प्रधानमंत्री के भारत दौरे को नोटिस किया है. आपने दोनों देशों के जिस संयुक्त बयान का यहां ज़िक्र किया है उसे मैंने भी पढ़ा है. मैंने इस बयान में चीन शब्द कहीं नहीं पाया.''
चुनयिंग ने कहा, ''हालांकि इस मामले में भारतीय और जापानी मीडिया ने माहौल बनाने की कोशिश की कि संयुक्त बयान में चीन का ज़िक्र किया जाएगा. ऐसे में मैं हैरान हूं कि क्या यह महज़ मीडिया की तरफ़ के अटकलों के आधार पर जो बढ़ा-चढ़ाकर व्याख्या की जाती है, वो है या दोनों देशों का कोई गुप्त एजेंडा है. इस मामले में मेरा मानना है कि अच्छा होता कि इस बारे में भारत और जापान से ही पूछा जाता या फिर उन्हें इस मसले पर सफ़ाई देनी चाहिए.''
हुअ चुनयिंग ने आगे कहा, ''जहां तक नौवाहनों की स्वतंत्र आवाजाही और विवादों के शांतिपूर्ण निपटारे की बात है तो हम सभी जानते हैं कि चीन का हमेशा से यही रुख रहा है कि विवादों का समाधान संवाद के ज़रिए होना चाहिए. जिन विवादों में जो देश सीधे तौर पर प्रभावित होते हैं उनके साथ हम संवाद की राह ही अख्तियार करते हैं. नौवाहनों की स्वतंत्र आवाजाही और हवाई सीमाओं के उल्लंघन के मामले में सभी देशों को अंतरराष्ट्रीय नियमों के दायरे में आना चाहिए.''
चीन संवाद का पक्षधर
चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने कहा, ''हमें उम्मीद है कि सभी देश महासागरों में स्वतंत्र आवाजाही और हवाई क्षेत्रों के उल्लंघन को लेकर अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन करेंगे. इसके साथ ही जो विवाद हैं उनका निपटारा भी संवाद के ज़रिए किया जाना चाहिए.''
चीनी विदेश मंत्रालय ने इस सवाल के जवाब में आगे कहा, ''क्षेत्रीय संपर्कों को चीन हमेशा से प्रोत्साहन देता रहा है. इस मामले में चीन हमेशा से खुला रहा है. यहां तक कि वन बेल्ट वन रोड का भी मक़सद यही है. हम चाहते हैं कि आस-पास के सभी देश एक साथ जुड़ें और प्रगति के मुकाम में एक दूसरे की मदद करें. इसमें सभी देशों को एक दूसरे से फ़ायदा होना चाहिए जो कि साझी कोशिश से ही संभव है.''
दूर रहे जापान
हुअ चुनयिंग ने कहा, ''आपने इंडिया-जापान ऐक्ट ईस्ट फोरम का भी ज़िक्र किया है कि इसके तहत जापान भारत के पूर्वोत्तर में निवेश करेगा. आपको इस मामले में बिल्कुल स्पष्ट होना चाहिए कि भारत के पूर्वी हिस्से में चीन के साथ अब भी सीमांकन बाक़ी है. भारत के साथ सीमा के मोर्चे पर चीन का रुख स्पष्ट है. अभी चीन और भारत दोनों इस मुद्दे को सुलझाने में लगे हैं. ऐसी स्थिति में जब भारत और चीन सीमा विवाद को बातचीत के ज़रिए सुलझाने में लगे हैं तो किसी तीसरे देश को बीच में नहीं आना चाहिए.''
चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने आख़िर में कहा, ''एशिया में भारत और जापान दोनों महत्वपूर्ण देश हैं. हमें उम्मीद है कि जापान और भारत के बीच संबंधों में गहराई से क्षेत्रीय स्थिरता, शांति और प्रगति को बढ़ावा मिलेगा.''