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India-China: उइगर मुसलमानों पर दुश्मन चीन को भारत ने क्यों बचाया? बताई वजह

चीन में उइगर मुसलमानों के खिलाफ हो रहे जुर्म को लेकर UNHRC में अमेरिका की ओर से लाए गए प्रस्ताव पर भारत ने वोटिंग से परहेज कर पूरी दुनिया को चौंका दिया है। भारत ने इसका कारण भी बताया है।

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भारत ने पहली बार चीन के शिनजियांग (Xinjiang) क्षेत्र की स्थिति को लेकर औपचारिक रूप से टिप्पणी की है। चीन में उइगर (Uyghurs) मुसलमानों के खिलाफ हो रहे जुर्म को लेकर UNHRC में अमेरिका की ओर से लाए गए प्रस्ताव पर भारत ने वोटिंग से परहेज कर पूरी दुनिया को चौंका दिया है। वोटिंग से परहेज करने को लेकर प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि UNHRC में भारत का वोट लंबे समय से चली आ रही स्थिति-देश-विशिष्ट प्रस्तावों के अनुरूप कभी मददगार नहीं होता। भारत ऐसे मुद्दों से निपटने के लिए बातचीत का पक्षधर है।

भारत ने बताया वोटिंग से दूर रहने का कारण

भारत ने बताया वोटिंग से दूर रहने का कारण

विदेश मंत्रालय की शुक्रवार को हुई नियमित मीटिंग में अरविंद बागची ने कहा कि भारत सभी मानवाधिकारों के लिए प्रतिबद्ध है। बागची ने उम्मीद जताई कि संबंधित पक्ष स्थिति को निष्पक्ष और ठीक से संबोधित करेंगे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची की यह टिप्पणी भारत द्वारा संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) में एक मसौदा प्रस्ताव पर शिनजियांग क्षेत्र में मानवाधिकार की स्थिति पर बहस की मांग के एक दिन बाद आई है। बतादें कि UNHRC में मानवाधिकार उल्लंघन मामले में अमेरिका की ओर से लाए गए चीन के खिलाफ गुरुवार को प्रस्ताव पर भारत ने वोटिंग नहीं की। इससे चीन की राह आसान हो गई और यह प्रस्ताव महज दो वोटों से खारिज हो गया।

भारत के फैसले ने अमेरिका-चीन दोनों को चौंकाया

भारत के फैसले ने अमेरिका-चीन दोनों को चौंकाया

भारत के इस फैसले से न सिर्फ अमेरिका बल्कि चीन भी हैरान रह गया। हाल के वर्षों में भारत ने चीन के घेरने के लिए अमेरिका सहित कई देशों के साथ गठजोड़ किया है। ऐसे वक्त में जब भारत और अमेरिका के बीच अब तक के इतिहास सबसे गहरा संबंध बन चुका है, भारत का यूं अंकल सैम के खिलाफ जाना सभी को चौंका रहा है। न सिर्फ अमेरिका बल्कि ड्रैगन भी भारत के इस कदम से एकबारगी हैरान रह गया होगा। गुरुवार को अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशों ने UNHRC में चीन में उइगर मुसलमानों के खिलाफ उत्पीड़न को लेकर एक प्रस्ताव रखा था। इस पर 47 देशों की ओर से वोटिंग की जानी थी। इस वोटिंग में भारत भी शामिल था।

चीन के खिलाफ खारिज हुआ प्रस्ताव

चीन के खिलाफ खारिज हुआ प्रस्ताव

भारत के अब तक के चीन के खिलाफ रवैये को देखते हुए अमेरिका समेत अन्य कई देशों को यह उम्मीद थी कि मोदी सरकार इस प्रस्ताव पर पश्चिमी देशों के साथ खड़ी रहेगी लेकिन ऐसा हो न सका। सबको चौंकाते हुए भारत ने इस मामले पर वोटिंग से परहेज किया। इससे चीन की राह आसान हो गई। महज दो वोटों से चीन के खिलाफ यह प्रस्ताव खारिज हो गया। इसे अमेरिका की चीन को घेरने की कोशिशों को बहुत गहरा झटका लगा है। ऐसा माना जा रहा है कि मोदी सरकार के इस फैसले से भारत और अमेरिका के रिश्ते पर भी प्रभाव पड़ सकता है।

भारत के अलावा यूक्रेन ने भी वोटिंग से किया परहेज

भारत के अलावा यूक्रेन ने भी वोटिंग से किया परहेज

मानावधिकार उल्लंघन मामले में चीन के खिलाफ वोट करने वाले देशों में अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा समेत कुल 17 देश थे। जबकि पाकिस्तान, यूएई, उजबेकिस्तान, सूडान, इंडोनेशिया, कतर और सेनेगल समेत 19 देशों ने चीन के पक्ष में मतदान किया। यानि अमेरिका और पश्चिमी देशों के इस प्रस्ताव का विरोध किया। वहीं 11 देशों ने वोटिंग करने से परहेज किया। भारत के साथ यूक्रेन ने भी अमेरिका को चौंकाते हुए इस वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। अमेरिका ने यह प्रस्ताव ब्रिटेन और कनाडा की मदद से पेश किया था। मगर भारत और यूक्रेन के साथ नहीं देने पर चीन के खिलाफ यह प्रस्ताव खारिज हो गया। अगर यह प्रस्ताव पारित हो जाता तो चीन पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए जा सकते थे। मगर ऐसा हो नहीं सकता और पश्चिमी देशों का प्रयास व्यर्थ चला गया।

भविष्य को लेकर चौकन्ना है भारत

भविष्य को लेकर चौकन्ना है भारत

भले ही आज की प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारत का पक्ष रखते हुए अरिंदम बागची ने यूएनएचआरसी में किसी देश के खिलाफ वोटिंग नहीं करने का तर्क दिया। लेकिन असल में इसके अलग मायने निकाले जा रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि जैसा प्रस्ताव चीन के खिलाफ पश्चिमी देशों ने पेश किया है, भविष्य में कश्मीर मुद्दे को लेकर भारत के खिलाफ भी कुछ देश एकजुट हो सकते हैं और ऐसा ही प्रस्ताव ला सकते हैं। इसलिए भारत ने भविष्य को ध्यान में रखते हुए अप्रत्यक्ष रूप से चीन का साथ दिया है।

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English summary
India formally commented on the situation in China’s Xinjiang region for the first time, saying the human rights of the people of the area “should be respected and guaranteed”.
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