इराक: कर्ज और वेतन के चक्रव्यूह में बुरी तरह फंसी भारतीय नर्सें
इराक
का
'खूनी'
संघर्ष
इराक़
के
अस्पताल
प्रबंधन
ने
भारतीय
नर्सों
को
ये
आश्वासन
तो
दिया
है
कि
वे
सुरक्षित
हैं,
लेकिन
उन्होंने
नर्सों
का
बक़ाया
वेतन
के
भुगतान
करने
से
किनारा
कर
लिया
है।
यही
वो
वजह
है,
जिसके
कारण
वे
अब
हिंसाग्रस्त
जगहों
पर
रहने
को
मजबूर
हो
गई
हैं,
व
बचाव
के
लिए
सुरक्षित
स्थान
चाहते
हुए
भी
नहीं
तलाश
सकतीं।
तिकरीत के अस्पताल में फंसी 46 नर्सों को पिछले कुछ महीनों से वेतन नहीं मिला है। इराक़ में सेना के साथ संघर्ष के बीच सुन्नी चरमपंथियों के संगठन आईएसआईएस ने अस्पताल को अपने कब्जे में ले रखा है।
अस्पताल में फंसी सभी 46 नर्सें दक्षिणी केरल की रहने वाली हैं व अब वे वेतन व कर्जे की मजबूरी के चलते विस्थापित ना हो पाने पर मजबूर हैं। अस्पताल में काम करने वाली नर्सों के दो महीने से चार महीने तक का वेतन बक़ाया है। वेतन के रूप में उन्हें 600 अमरीकी डॉलर से लेकर 850 अमरीकी डॉलर के बीच में भुगतान किया जाता है। इसी बीच खबर यह भी है कि जिन एजेंटों ने नर्सों को नौकरी तक पहुंचाया था, अब तक उनका कर्ज भी अदा नहीं किया गया है।