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वैज्ञानिकों ने बताया, कैसे मिलेगा एलियंस का पहला संकेत

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जेम्स वेब टेलीस्कोप से दिख सकते हैं एलियंस

वॉशिंगटन, 30 मार्च। धरती पर रहने वाली प्रजातियों का पहला सामना जब परग्रही प्राणियों से होगा तो ऐसा होने की संभावना कम ही है कि एक विशाल उड़नतश्तरी एफिल टावर के ऊपर तैरने लगेगी और उसमें से नीले-पीले जीव निकलेंगे. ज्यादा संभावना इस बात की है कि परग्रही प्राणियों का पता किसी दूरबीन के जरिए चलेगा जो किसी सुदूर ग्रह पर जैविक गतिविधियों की तस्वीर खींचकर भेजेगा. और इसमें अहम भूमिका मीथेन गैस की होगी.

सोमवार को शोधकर्ताओं ने कहा कि किसी दूसरे ग्रह पर जीवन का पता लगने की संभावना में सबसे पहले मीथेन के बारे में जानकारी मिलने की संभावना ज्यादा है. यानी कहीं जीवन होगा, तो हो सकता है सबसे पहले वहां मीथेन होने का पता चले.

वैज्ञानिक ऐसे संकेतों को समझने की कोशिश कर रहे हैं जो किसी दूसरे ग्रह पर जीवन का पता देंगे. ये एग्जोप्लेनेट आदि ग्रहों पर मिल सकते हैं. जैसे-जैसे मनुष्य के पास उपलब्ध टेलीस्कोप ज्यादा शक्तिशाली होते जा रहे हैं, ऐसा होने की संभावना भी बढ़ती जा रही है.

मीथेन मतलब जीवन

'प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल अकैडमी ऑफ साइंसेज' नामक पत्रिका में छपे एक अध्ययन में इस बारे में कुछ दिलचस्प जानकारियां दी गई हैं. यह अध्ययन बताता है कि किसी ग्रह पर जीवन का पहला संकेत वहां मीथेन गैस की मौजूदगी के रूप में मिल सकता है. मीथेन पृथ्वी के वायुमंडल में मौजूद एक महत्वपूर्ण गैस है.

जीवन के अन्य संकेतों जैसे कि ऑक्सीजन के उलट मीथेन उन चंद गैसों में से एक है जिसका पता तुंरत चल सकता है. नासा ने दिसंबर में जो बेहद शक्तिशादी जेम्स वेब टेलीस्कोप अंतरिक्ष में भेजा है, वह इस काम में अहम भूमिका निभा सकता है. इस टेलीस्कोप के कुछ ही महीनों में अपना काम शुरू कर देने की उम्मीद की जा रही है.

मलेशिया के गांव में दिखा UFO

अध्ययन की मुख्य लेखक, सांता क्रूज स्थित कैलिफॉर्निया यूनिवर्सटी में खगोलविज्ञानी मैगी थॉमसन बताती हैं, "पृथ्वी पर मौजूद मीथेन की ज्यादा मात्रा प्राणियों द्वारा पैदा की जाती है. वेटलैंड में माइक्रोब, धान के खेतों या बड़े जानवरों के पेट से यह गैस सबसे ज्यादा निकलती है. मनुष्य की गतिविधियों जैसे कि जीवाश्म ईंधन के जलाने से भी मीथेन पैदा होती है. जीवाश्म ईंधन भी तो कभी जीवित रहे जीवों के मृत अवशेष से ही बनते हैं."

मीथेन ही क्यों?

किसी अन्य ग्रह पर जीवन के प्रथम संकेत के रूप में मीथेन के मिलने के बारे में वैज्ञानिक तीन तर्क देते हैं. कैलिफॉर्निया यूनिवर्सिटी में नासा सेगन फेलो और अध्ययन के सह-लेखक जोशुआ क्रिसान्सेन-टोटन कहते हैं, "सबसे पहली बात तो यह है कि किसी अन्य ग्रह पर मौजूद जीवित प्राणियों द्वारा मीथेन पैदा किया जाना हैरतअंगेज नहीं होगा. अगर एलियंस की बायोलॉजी हमसे एकदम अलग भी हो, तो भी चट्टानों से बने एग्जोप्लेनेट पर चूंकि मीथेन प्रचुर होती है इसलिए कार्बन-आधारित जीवन के लिए मीथेन का ऊर्जा प्राप्ति स्रोत के रूप में इस्तेमाल बहुत संभव है."

दूसरी बात यह कही जाती है कि किसी भी चट्टान आधारित ग्रह पर मीथेन लंबे समय तक नहीं बनी रह सकती, यदि उसकी बार-बार सप्लाई ना होती रहे, और संभावना है कि यह सप्लाई जीवों द्वारा ही की जाएगी. पृथ्वी पर भी मीथेन अस्थिर गैस है और प्रकाश के रसायनिक प्रभाव से नष्ट हो जाती है. लेकिन जीव इसका लगातार उत्पादन करते रहते हैं.

तीसरा तर्क यह है कि अ-जैविक प्रक्रियाओं जैसे कि ज्वालामुखियों की गतिविधियां या फिर समुद्रों में होने वाली रसायनिक प्रक्रियाओं में जीवों द्वारा पैदा की गई मीथेन का प्रयोग होगा तो यह जीवन का संकेत ही होगा.

हमारे बीच ही रहते हैं एलियंस!

वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि जेम्स वेब और ऐसे ही नए व शक्तिशाली टेलीस्कोप एग्जोप्लेनेट पर जारी गतिविधियों के बारे में और ज्यादा जानकारी उपलब्ध करवाएंगे. इस जानकारी का अध्ययन कर वैज्ञानिक उन ग्रहों की परिस्थितियों का और गहराई से अध्ययन कर पाएंगे और इसी तरह कहीं जीवन का पता चलेगा.

वीके/सीके (रॉयटर्स)

Source: DW

English summary
in detecting alien life on a faraway planet methane may be the key
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