कंप्यूटर चिप की तरह 3000 साल में इंसानों का दिमाग भी हो गया छोटा, भगवान की टेक्नोलॉजी भी गजब है!
किसी कंप्यूटर चिप की तरह ही इंसानी दिमाग का आकार भी लगातार छोटा होता गया है। रिसर्च में वैज्ञानिकों ने दिलचस्प बातों का पता लगाया है।
नई दिल्ली, अक्टूबर 23: आपने देखा होगा, वक्त के साथ कंप्यूटर के आकार भी छोटा होता गया और यही हाल हमारे दिमाग का भी हुआ है। मानव मस्तिष्क का आकार पूरे मानव इतिहास में कई बार बदल गया है, लेकिन इंसानी दिमाग में सबसे महत्वपूर्ण परिवर्तन करीब 3 हजार साल पहले हुआ है। आज हम आपको बताते हैं कि, जब रिसर्चर्स ने इंसानी दिमाग के ऊपर रिसर्च किया, तो उन्हें कितनी दिलचस्प जानकारियां हाथ लगी। खासकर इंसनी दिमाग के आकार में आए परिवर्तन ने वैज्ञानिकों को स्तब्ध कर दिया है।
अमेरिका में हुआ शोध
अमेरिकी शोधकर्ताओं ने 985 जीवाश्म और आधुनिक मानव मस्तिष्क का विश्लेषण किया है। इस दौरान अलग अलग कालखंड में मिले जीवाश्म के दिमाग का अध्ययन किया गया है। वैज्ञानिकों ने 21 लाख साल पहले मिले दिमाग, 15 लाख साल पहले मिले दिमाग और 12,000 साल पहले मिले दिमागों को लेकर विश्लेषण किया है। जिसके आधार पर कुदरत के करिश्मे को समझने में वैज्ञानिकों को काफी मदद मिली है। इस दौरान वैज्ञानिकों ने पाया कि, जैसे जैसे मानव सभ्यता का विकास होता गया है और इंसानों ने विशेषता हासिल करनी शुरू की है, उसी तरह से इंसानी दिमाग का आकार भी घटता गया है।
Recommended Video
इंसानी दिमाग का विकास
रिसर्च में पाया गया है कि, प्राचीन काल के मनुष्यों को सूचनाओं को संग्रहीत करने के लिए कम मस्तिष्क ऊर्जा की आवश्यकता होती है, जिसके परिणामस्वरूप उनका दिमाग सिकुड़ जाता है, जिससे पता चलता है कि आधुनिक मानव का दिमाग और भी छोटा हो सकता है, क्योंकि तकनीकों को हमें जानने की जरूरत है। बोस्टन विश्वविद्यालय के रिसर्चर डॉ जेम्स ट्रैनिएलो वे कहा कि, 'हम मानते हैं कि, इंसानी दिमाग के आकार में यह कमी इंसानों के एक बड़ी आबादी के बुद्धि में आई विकास के साथ जुड़ी हुई है।
दिमाग का घटता-बढ़ता आकार
वैज्ञानिकों ने पाया है कि, भले ही अभी इंसानी दिमाग का आकार छोटा हो गया है, लेकिन आज से 60 लाख साल पहले इंसानों का दिमाग आज की तुलना में एक चौथाई था। यानि, आज का दिमाग चौगुना बड़ा है। इसके पीछे वैज्ञानिकों की सोच ये है कि, ''उस वक्त इंसानों के पूर्वज चिंपाजी जैसे थे और हिमयुग के अंत के बाद जाकर इंसानों के दिमाग का आकार में कमी आनी शुरू हो गई।'' आपको बता दें कि, फ्रंटियर्स इन इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन में इस रिसर्च रिपोर्ट को प्रकाशित किया गया है। मस्तिष्क में परिवर्तन के कारणों को जानने के लिए शोधकर्ताओं ने एक परिवर्तन-बिंदु विश्लेषण का उपयोग किया और पाया कि लाखों साल पहले हुई आकार में वृद्धि होमो के शुरुआती विकास और तकनीकी प्रगति के साथ हुई थी।
इंसानी दिमाग में परिवर्तन
डार्टमाउथ कॉलेज के प्रोफेसर और रिसर्च के सह-लेखक डॉ. जेरेमी डिसिल्वा ने एक बयान में कहा कि, 'आज इंसानों के बारे में एक आश्चर्यजनक तथ्य यह है, कि हमारे दिमाग हमारे प्लीस्टोसिन पूर्वजों के दिमाग की तुलना में छोटे हैं।' उन्होंने कहा कि, 'हमारे दिमाग का आकार छोटा क्यों हो गया है, यह मानवविज्ञानियों के लिए एक बड़ा रहस्य रहा है।' इस बड़े रहस्य को सुलझाने के लिए टीम ने मानव मस्तिष्क के विकास के ऐतिहासिक पैटर्न का विश्लेषण किया। और उनके निष्कर्षों की तुलना चींटियों के दिमाग को लेकर की गई। रिसर्चर ट्रैनिलो ने कहा कि, 'मनुष्यों और चींटियों पर ब्रिजिंग शोध से यह पता लगाने में मदद मिल सकती है कि प्रकृति में क्या संभव है।'
चींटिंयों के साथ तुलना
रिसर्चर ट्रैनिलो ने कहा कि, 'चींटी और मानव समाज बहुत अलग हैं और उन्होंने सामाजिक विकास में अलग-अलग रास्ते अपनाए हैं।' उन्होंने कहा कि, 'फिर भी चींटियां मनुष्यों के साथ सामाजिक जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं जैसे सामूहित फैसला करने और श्रम विभाजन के साथ-साथ अपने स्वयं के भोजन (कृषि) का उत्पादन भी साझा करती हैं। ये समानताएं हमें उन कारकों के बारे में व्यापक रूप से बता सकती हैं, जो मानव मस्तिष्क के आकार में परिवर्तन को प्रभावित कर सकते हैं।' शोधकर्ता बताते हैं कि, छोटे दिमाग कम ऊर्जा का उपयोग करते हैं और क्योंकि प्राचीन मनुष्यों ने 3,000 साल पहले ज्ञान साझा करना शुरू किया था, लिहाजा उनके दिमाग को जानकारी के भार को संग्रहीत करने के लिए कम ऊर्जा की आवश्यकता थी और धीरे धीरे दिमाग के आकार में कमी आना शुरू हो गया'