कैसे बच गये सलमान रूश्दी, सोचकर हैरान है हमलावर... पहली बार आरोपी हादी मतार ने दिया इंटरव्यू
सलमान रूश्दी की किताब "द सैटेनिक वर्सेज" के 1988 में प्रकाशित होने के बाद से ही उन्हें मौत की धमकियां मिलने लगीं थीं और कई मुसलमानों ने किताब को ईशनिंदा बताया।
न्यूयॉर्क, अगस्त 18: पश्चिमी न्यूयॉर्क में एक कार्यक्रम के दौरान प्रख्यात लेखक सलमान रूश्दी पर हमला करने वाला हमलावर हादी मतार हैरान है, कि आखिर उसके हमले में सलमान रूश्दी कैसे बच गये? पहली बार हमलावर हादी मतार ने सलमान रूश्दी पर हमले को लेकर एक इंटरव्यू में तमाम राज खोले हैं और बताया है, कि आखिर कैसे उसने समलान रूश्दी पर हमले की पूरी प्लानिंग की और वो क्यों उन्हें मारना चाहता था। लेकिन, इंटरव्यू के दौरान हमलावर सबसे ज्यादा हैरान इस बात को लेकर है, कि आखिर उसके इतने खतरनाक हमले के बाद भी सलमान रूश्दी की जान कैसे बच गई?
कैसे बनाया हमले का प्लान?
जेल में बंद हमलावर हमलावर हादी मतार का ये इंटरव्यू न्यूयॉर्क पोस्ट ने लिया है और इस दौरान हमलावर ने हमले को लेकर कई राज की बातें बताई हैं और उसने कहा है, पिछली सर्दी में उसने सलमान रूश्दी का एक ट्वीट देखा था, जिसमें उसे इस कार्यक्रम के बारे में पता चला था और फिर उसने हमला करने की पूरी प्लानिंग तैयार की। हमलावर हादी मतार ने बताया कि, "मुझे वह व्यक्ति पसंद नहीं है। मुझे नहीं लगता कि वह बहुत अच्छा इंसान है।" मतार ने अखबार को बताया कि, "वह वो शख्स है, जिसने इस्लाम पर हमला किया है। उसने इस्लाम की मान्यताओं, विश्वास प्रणालियों पर हमला किया।" 24 साल के हमलावर हादी मतार ने बताया कि, वो दिवंगत ईरानी नेता अयातुल्ला रूहोल्लाह खुमैनी को एक महान व्यक्ति मानता है। हालांकि, उसने ये भी कहा, कि ऐसा नहीं है, कि वो ईरानी नेता के किसी फतवे का पालन कर रहा था। आपको बता दें कि, ईरानी नेता ने साल 1989 में सलमान रूश्दी का सिर कलम करने वाले को भारी भरकम इनाम देने की बात कही थी। हालांकि, ईरान ने सलमान रूश्दी पर हमले में हाथ होने से इनकार किया है।
क्या आरोपी ने पढ़ी थी विवादित किताब?
आरोपी हादी मतार अमेरिका के न्यूजर्सी के फेयरव्यू का रहने वाला है, हालांकि मूल रूप से वो लेबनान का रहने वाला है और उसके पिता अमेरिका आकर बस गये थे। वहीं, इंटरव्यू के दौरान आरोपी ने कहा कि, उसका ईरान की सेना, जिसे रिवोल्यूशनरी गार्ड कहा जाता है, उसके संपर्क में वो नहीं था। इसके साथ ही आरोपी ने न्यूयॉर्क पोस्ट को बताया, कि उन्होंने 'द सैटेनिक वर्सेज' के केवल "एक दो पृष्ठ" ही पढ़े थे। उनके एजेंट के मुताबिक, शुक्रवार को हुए हमले में रुश्दी का लीवर खराब हो गया था और एक हाथ और एक आंख में चोटें आई हैं। उनके एजेंट, एंड्रयू वायली ने कहा कि, उनकी हालत में सुधार हुआ है और वह ठीक होने की राह पर हैं। वहीं, आरोपी हादी मतार ने बताया कि, वो हमले से एक दिन पहले न्यूयॉर्क आया था। और फिर वो चौटाउक्वा इंस्टीट्यूशन ग्राउंड के लिए एक पास खरीदा और फिर रुश्दी की नियोजित बातचीत से एक रात पहले घास पर सो गया था।
"द सैटेनिक वर्सेज" पर विवाद
सलमान रूश्दी की किताब "द सैटेनिक वर्सेज" के 1988 में प्रकाशित होने के बाद से ही उन्हें मौत की धमकियां मिलने लगीं थीं और कई मुसलमानों ने किताब को ईशनिंदा बताया। साल 1989 में ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला रूहोल्लाह खुमैनी ने उनकी मौत का फतवा जारी किया था, लेकिन उससे पहले से ही रुश्दी की किताब को भारत, पाकिस्तान और अन्य जगहों पर प्रतिबंधित किया जा चुका था और जला दिया गया था। हालांकि, उसी साल ईरानी नेता खुमैनी की मृत्यु हो गई, लेकिन उनका फतवा प्रभावी रहा। ईरान के वर्तमान सर्वोच्च नेता, खामेनेई ने कभी भी अपने स्वयं के फतवे को वापस लेने का फतवा जारी नहीं किया, हालांकि हाल के वर्षों में ईरान ने सलमान रूश्दी के बारे में बात करनी बंद कर दी थी।
अयातुल्लाह खुमैनी ने फतवा जारी किया
ईरान के कट्टरपंथी नेता खुमैनी ने इस विवादित पुस्तक को लेकर दुनिया भर के मुसलमानों से इस पर बैन लगाने की मांग की और सबसे बड़ी बात उन्होंने 'द सैटेनिक वर्सेज' के लेखक को जान से मारने के लिए इनाम का भी ऐलान कर दिया ताकि कोई भी इस्लाम के पवित्र मूल्यों को ठोस पहुंचाने की हिम्मत ना करें। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह खुमैनी ने सलमान रुश्दी को मारने वाले के लिए 2.8 मिलियन अमेरिकी डॉलर के इनाम का घोषणा कर दी। इस फतवे का असर कई देशों में साफ देखने को मिल रहा था, इसके बाद सलमान रुश्दी को आए दिन मौत की धमकियों का सामना करना पड़ा। इसके बाद ब्रिटिश सरकार ने रुश्दी को कड़ी सुरक्षा प्रदान कर दी। साल 1989 में आए इस फतवे के बाद सलमान रुश्दी को 9 साल तक छिपकर रहना पड़ा।
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