ब्रिटेन की नई पीएम Liz Truss की जब भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने लगाई थी क्लास, देखिए वीडियो
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लंदन, 05 सितंबरः लिज ट्रस ब्रिटेन की नई प्रधानमंत्री होंगी। उन्होंने ऋषि सुनक को काफी पीछे छोड़ते हुए जीत हासिल कर ली है। आखिरी चरण में लिज ट्रस को 81 हजार 326 वोट हासिल हुए हैं। वहीं ऋषि सुनक को 60 हजार 399 वोट प्राप्त हुए। मतदान से पहेल हुए तमाम सर्वे में भी बताया जा रहा था कि लिज ट्रस की बोरिस जॉनसन की गद्दी संभालेंगी। लिज ट्रस ब्रिटेन की विदेश मंत्री रह चुकी हैं और एक कार्यक्रम में भारत भी आ चुकी हैं। इस दौरान उसकी एस जयशंकर से तीखी नोकझोंक हुई थी जिसकी चर्चा भारत और ब्रिटेन में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में हुई। क्या था वो मामला वह हम आपको बताने जा रहे हैं।
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यूक्रेन मुद्दे पर दिखा मदभेद
इसी साल अप्रैल के पहले सप्ताह में ब्रिटेन की तत्कालीन विदेश मंत्री भारत दौरे पर आई हुई थीं। दोनों नेता 'इंडिया-यूके स्ट्रैटिजिक फ्यूचर्स फोरम' में बोल रहे थे जिसे 'इंडियन काउंसिल ऑफ वर्ल्ड अफेयर्स एंड पॉलिसी एक्सचेंज' ने आयोजित किया था। इस सम्मेलन के बाद दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय बैठक भी हुई। इस दौरान ब्रिटिश विदेश मंत्री लिज ट्रस के रूस पर प्रतिबंधों को लेकर भारत और ब्रिटेन के बीच मतभेद खुलकर सामने आए।
ट्रस ने भारत पर दबाव बनाने का किया प्रयास
दरअसल रूस और यूक्रेन के बीच जंग के डेढ़ महीने से भी अधिक वक्त हो चुका था। अमेरिका सहित पश्चिमी देश रूस के आक्रमणकारी रवैये के खिलाफ उस पर लगातार प्रतिबंध ठोके जे रहे थे मगर भारत इस सबसे अलग रूस से तेल खरीदे जा रहा था। पश्चिमी देश भारत के इस रुख से निराश थे और इसकी झलग लिज ट्रस के बयान में भी दिख रही थी। श्रोताओं ने जब ट्रस से भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने पर प्रतिक्रिया चाही तो उन्होंने कहा, "मैंने प्रतिबंधों पर ब्रिटेन का रुख बता दिया है। तथ्य यह है कि हम इस साल के आखिर तक रूसी तेल पर अपनी निर्भरता खत्म कर रहे हैं। भारत एक संप्रभु देश है। मैं भारत को नहीं बताऊंगी कि उसे क्या करना चाहिए।"
एस जयशंकर ने की थी बोलती बंद
ट्रस ने आगे अपनी बात रखते हुए कहा, "मैंने जो बात कही है, यूके सरकार की सदस्य होने के नाते कही है जिसने बुडापेस्ट समझौते पर दस्तखत किए हैं। यूके की तरफ से मैं अपनी जिम्मेदारी समझती हूं कि यूक्रेन के लोगों का समर्थन करने के लिए जो भी संभव हो करें। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि मैं अन्य देशों को बताऊं कि वे क्या करें।" लिज ट्रस की बात सुनकर भारत के विदेश मंत्री ब्रिटिश विदेश मंत्री के इस जवाब पर प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि पहले वो अपनी गिरहेबां में झांककर देखे, कि रूस के साथ ब्रिटेन के व्यापारिक रिश्ते क्या हैं, यूं ही भारत के सामने 'चौधरी' बनने की कोशिश न करें।
एस जयशंकर ने दिया यूरोप का उदाहरण
एस जयशंकर ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा कि मार्च में यूरोप ने रूस से एक महीने पहले की तुलना में 15 प्रतिशत अधिक तेल और गैस खरीदा है।' भारतीय विदेश मंत्री ने आगे कहा कि, "यदि आप रूस से तेल और गैस के प्रमुख खरीदारों को देखते हैं, तो मुझे लगता है कि आप पाएंगे कि उनमें से ज्यादातर यूरोपीय देश हैं। हम स्वयं मध्य पूर्व से अपनी ऊर्जा आपूर्ति का बड़ा हिस्सा प्राप्त करते हैं, हमारे तेल का लगभग 7.5-8 प्रतिशत अतीत में अमेरिका से आता था, जो शायद रूस के मुकाबले काफी कम था।
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जयशंकर ने लिज ट्रस की बोलती बंद की
भारतीय विदेश मंत्री ने ब्रिटिश विदेश मंत्री को आईना दिखाते हुए कहा था कि, भारत की खरीदारी आर्थिक अनिवार्यता पर आधारित है। जब तेल की कीमतें बढ़ती हैं, तो मुझे लगता है कि हर देश के लिए बाजार में जाना और उनके लिए अच्छे सौदों की तलाश करना स्वाभाविक है। लेकिन मुझे पूरा यकीन है कि, अगर हम दो या तीन महीने प्रतीक्षा करें और वास्तव में देखें कि रूसी गैस और तेल के बड़े खरीदार कौन हैं, तो मुझे संदेह है कि ये सूची पहले की तुलना में बहुत अलग नहीं होगी।' भारतीय विदेश मंत्री ने आगे कहा कि, 'मुझे नहीं लगता है, कि हम उस सूची के शीर्ष 10 में भी शामिल होंगे'।
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