सुलेमानी को अमरीका ने कैसे निशाना बनाया?
अमरीका ने 3 जनवरी को बगद़ाद हवाई अड्डे के पास ड्रोन से एक हवाई हमला कर ईरान के अल-क़ुद्स फ़ोर्स के प्रमुख क़ासिम सुलेमानी को मार गिराया. ख़ुफ़िया सूत्रों ने अमरीका मीडिया को बताया है कि ये ऑपरेशन सीधे-सीधे राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के आदेश पर हुआ और इसकी पूरी तैयारी की गई थी. रिपोर्ट्स बताती हैं कि सुलेमानी कुछ वक़्त पहले ही इराक़ पहुंचे थे
अमरीका ने 3 जनवरी को बगद़ाद हवाई अड्डे के पास ड्रोन से एक हवाई हमला कर ईरान के अल-क़ुद्स फ़ोर्स के प्रमुख क़ासिम सुलेमानी को मार गिराया.
ख़ुफ़िया सूत्रों ने अमरीका मीडिया को बताया है कि ये ऑपरेशन सीधे-सीधे राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के आदेश पर हुआ और इसकी पूरी तैयारी की गई थी.
रिपोर्ट्स बताती हैं कि सुलेमानी कुछ वक़्त पहले ही इराक़ पहुंचे थे और दो गाड़ियों के काफ़िले में चल रहे थे जिसमें ईरान समर्थित इराक़ी सेना के लोग भी सवार थे.
बीबीसी की मीडिया मॉनिटरिंग सर्विस, बीबीसी मॉनिटरिंग के मुताबिक शुरुआत में ईरानी टीवी चैनलों ने ख़बर चलाई कि अमरीकी सेना के हेलिकॉप्टर्स के ज़रिए इराक़ में इस हमले को अंज़ाम दिया गया है.
ड्रोन से किया गया हमला
हालांकि अमरीकी मीडिया का कहना है कि ये हमला मानवरहित एयरक्राफ्ट एमक्यू-9 रीपर के जरिए हुआ. यह एक ड्रोन है जो अधिकतम 480 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से उड़ान भर सकता है.
अमरीका ने अब तक इंटरनेशनल एयरपोर्ट के क़रीब इस डिवाइस के इस्तेमाल और इससे इलाक़े के एयर ट्रैफ़िक पर संभावित ख़तरों को लेकर कुछ नहीं कहा है.
द न्यूयॉर्क टाइम्स ने सरकारी सूत्रों के हवाले से लिखा है कि ड्रोन ने दो कारों पर दो मिसाइलें दाग़ीं. ये मिसाइलें अपने लक्ष्य पर एयरपोर्ट के कार्गो टर्मिनल के निकट दाग़ी गईं.
अरबी टेलीविजन अल अरेबिया ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि ये हेलफायर आर9एक्स मिसाइल थीं जिन्हें निन्जा भी कहा जाता है. हवा से धरती पर मार करने वाली इस मिसाइल को युद्ध टैंक नष्ट करने के लिए बनाया गया है जिसे हेलिकॉप्टर या हवाई जहाज के ज़रिए छोड़ा जा सकता है.
रिपोर्टों के मुताबिक, मध्य पूर्व में किसी ऑपरेशन में अमरीका ने नौवीं बार इस तरह की मिसाइल का इस्तेमाल किया है.
इराक़ में अमरीकी ठिकाने से हुआ हमला
हमले के कुछ देर बाद इसे इराक़ में एक अमरीकी ठिकाने से कोऑर्डिनेट किया गया था.
शिया मिलिशिया समूहों की ओर से शेयर किए जा रहे एक वीडियो में कार के अवशेष जलते हुए दिखाए गए जिसमें सुलेमानी सफ़र कर रहे थे.
एक अन्य तस्वीर में खून से लथपथ सुलेमानी का हाथ दिखाई दिया जिसमें उन्होंने अपनी पसंदीदा लाल अंगूठी पहन रखी थी.
इराक़ी आर्मी ज्वाइंट ऑपरेशन फोर्सेज के मीडिया ऑफिस ने अपने आधिकारिक फेसबुक पेज पर कुछ तस्वीरें जारी कीं जिनमें बग़दाद एयरपोर्ट के निकास गेट के पास सड़क पर जलती हुई कार दिखाई दे रही है.
मरने वालों के बारे में क्या पता है?
हमले के कई घंटों बाद तक इसका शिकार बने लोगों की पहचान और उनकी संख्या को लेकर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई. अमरीका और अरब मीडिया ने ख़ुफ़िया सूत्रों के हवाले से दावा किया कि घटना में छह से सात लोगों को नुकसान पहुंचा है.
जनरल सुलेमानी के साथ ही ईरान ने इराक़ के सैन्य कमांडर अबू महदी अल महांदिस की मौत की भी पुष्टि की है. वो ईरान समर्थित मोबिलाइजेशन फोर्सेस ऑफ इराक़ के डिप्टी हेड थे.
ईरान के सरकारी टीवी चैनल के मुताबिक हमले में मारे गए तीन सैनिक रेवोल्यूशनरी गार्ड का हिस्सा थे जबकि द न्यूयॉर्क टाइम्स का कहना है कि ईरानी सैनिकों के साथ सुरक्षा के लिए इराक़ी सेना के सदस्य भी थे.
अल अरबिया का दावा है कि सुलेमानी के साथ लेबनानी हिज़बुल्लाह के अधिकारी भी थे.
सुलेमानी और अन्य लोगों की गैरन्यायिक हत्या को लेकर संयुक्त राष्ट्र के दूत एग्नेस कल्लामार्ड ने सवाल उठाए हैं.
उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ''क़ासिम सुलेमानी और अबू महदी अल महांदिस की हत्या गैरकानूनी है और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों का उल्लंघन है. किसी को चुनकर मारने के लिए इस तरह ड्रोन या दूसरी चीज़ों का इस्तेमाल करना कभी भी वैध नहीं हो सकता.''
'' पेंटागन के बयान में इस बात का ज़िक्र नहीं है कि सुलेमानी के अलावा और कौन लोग मारे गए हैं. शायद. ग़ैरकानूनी. बिल्कुल.''
अमरीकी सरकार का कहना है कि ये ऑपरेशन उन साजिशों का जवाब है जिनमें ईरान ''सक्रिय रूप से इराक़ में अमरीकी राजनयिकों और इस क्षेत्र में दूसरे सदस्यों पर हमले की योजना बना रहा था.'' हालांकि उन्होंने इसके लिए कोई सबूत नहीं दिए.
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हमले की वजह क्या है?
इराक़ में अमरीका का यह हमला हाल ही में अमरीका और ईरान के बीच बढ़े तनाव के बाद हुआ है.
बीते सप्ताह इराक़ के किरकुक में हुए हमले में एक अमरीकी ठेकेदार की मौत हो गई गई थी और सेना के चार लोग जख़्मी हुए थे, जिसके लिए अमरीका ने ईरान और सुलेमानी को ज़िम्मेदार ठहराया था.
द वाशिंगटन पोस्ट के मुताबिक, यह घटना भी हमले की एक वजह है लेकिन कुछ दिन बाद 31 दिसंबर की शाम ईरान समर्थित सेना के सदस्यों ने बग़दाद में अमरीकी दूतावास को घेर लिया था.
अमरीकी मीडिया का कहना है कि इस घटना से अमरीका न सिर्फ़ इस क्षेत्र में सैनिकों की संख्या बढ़ाने को लेकर गंभीर हुआ बल्कि पलटवार की भी योजना बनाई.
साल 2018 में जब डोनल्ड ट्रंप ने ईरान से परमाणु समझौता ख़त्म किया और उस पर कई प्रतिबंध लगा दिए जिससे ईरान की अर्थव्यवस्था में हलचल मच गई, तब से दोनों देशों के संबंध बिगड़ते गए.
बीते साल जून में ईरान ने अमरीकी ड्रोन को मार गिराने का दावा किया था जिसके बाद डोनल्ड ट्रंप ने हवाई हमले की तैयारी की लेकिन बाद में इसे टाल दिया.
हार्मूज़ जलडमरूमध्य में कई जहाजों पर हुए धमाकों के बाद दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया. इसके बाद सऊदी अरब की तेल कंपनी अरामको के ठिकानों पर हुए हमलों के आरोप भी ईरान पर लगे.
सुलेमानी की मौत ईरान के लिए कितना बड़ा झटका?
जनरल क़ासिम सुलेमानी न सिर्फ़ ईरान का सबसे ताक़तवर सैन्य चेहरा थे बल्कि देश के सबसे प्रभावशाली लोगों में से एक थे. वो आयतोल्लाह ख़ामनेई के बाद दूसरे स्थान पर थे, जिन्हें वो सीधे तौर पर रिपोर्ट करते थे.
मध्य पूर्व में ईरान की सैन्य ताकत और रणनीति के लिए ही नहीं वो युद्ध और शांति के मुद्दों पर ईरान के सच्चे चांसलर भी थे.
द न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, सुलेमानी इतने अहम थे कि उनकी मौत के लिए बराक़ ओबामा और जॉर्ज डब्ल्यू बुश की सरकारों में भी विचार किया गया था लेकिन ईरान से युद्ध ना चाहते हुए इस विचार को टाल दिया गया था.
62 साल के सुलेमानी 1980 के दशक में इराक़ के साथ हुए युद्ध में हिस्सा लेने के बाद ईरान की राजनीति में आए. वो इस्लामिक स्टेट के ख़िलाफ़ लड़ाई और दूसरे असरदार नेटवर्क बनाने के रणनीतिकार रहे.
जनरल सुलेमानी को वो रणनीति तैयार करने का श्रेय दिया जाता है जिसने राष्ट्रपति बशर अल-असद को सीरिया में विद्रोही ताकतों के ख़िलाफ़ युद्ध के तरीके बदलने, इराक़ में शिया मिलिशिया को नियंत्रण में लेने के दौरान ईरान से समर्थन और प्रशिक्षण मिला.
हालांकि बीबीसी में रक्षा और कूटनीतिक मामलों के संवाददाता के मुताबिक यह कहना असंभव है कि ईरान की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया नहीं दी गई, भले ही यह तत्काल ना आई हो.
मार्कस के मुताबिक, इराक़ में अमरीका के 5000 से अधिक सैनिक तैनात हैं. साथ ही मध्य पूर्व में कई राजनयिक प्रतिनिधित्व भी हैं जो विद्रोहियों के लिए लक्ष्य बन सकते हैं.
उन्होंने कहा, ''ईरान की प्रतिक्रिया इस क्षेत्र में अमरीका सेना के हितों के ख़िलाफ़ हो सकती है लेकिन यह अमरीका से जुड़े किसी दूसरे मकसद के साथ भी हो सकती है जिसे ईरान चपेट में ले सकता है.''