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क्या मिट्टी की वजह से भी शुरू हो चुका है जलवायु परिवर्तन ? रिसर्च में मिली चौंकाने वाली जानकारी

वायु प्रदूषण की वजह से मिट्टी की कार्बन पर से पकड़ ढीली पड़ रही है, जिसके चलते यह ग्रीन हाउस गैस की तरह काम कर सकता है। यह एक शोध के आधार पर दावा किया गया है कि यह जलवायु परिवर्तन का कारण हो सकता है।

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जलवायु परिवर्तन की चिंता में पूरी दुनिया परेशान हो रही है। ग्रीन हाउस गैसों की वजह से हालात नियंत्रण से बाहर हैं। ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के लिए पूरे विश्व के नेता माथापच्ची कर रहे हैं। कई तरह के समाधान पर बात हुई है और अमल करने का प्रयास भी हो रहा है। लेकिन, अब शोधकर्ताओं ने पाया है कि मिट्टी से भी कार्बन मुक्त हो रहा है, जो कि जलवायु परिवर्तन में अपनी भूमिका निभा रहा है। इसकी एक पूरी प्रक्रिया है और इसके पीछे नाइट्रोजन का बहुत बड़ा रोल माना जा रहा है। ऊपर से मिट्टी में कार्बन की मात्रा घटने से उसकी उर्वरता अलग प्रभावित हो रही है।

नाइट्रोजन की वजह से मिट्टी से मुक्त हो रहा है कार्बन

नाइट्रोजन की वजह से मिट्टी से मुक्त हो रहा है कार्बन

उद्योगों में होने वाले निर्माण, खेती से जुड़ी गतिविधियां, वाहनों में जलने वाले जीवाश्म ईंधनों की वजह से हवा में नाइट्रोजन घुलता रहता है। इसकी वजह से पृथ्वी के वातावरण में नाइट्रोजन का स्तर 1850 के बाद से तीन गुना हो चुका है। अब यह पता लगाने के लिए एक शोध किया गया है कि क्या हवा में मौजूद इस अतिरिक्त नाइट्रोजन की वजह से कार्बन को रोके रखने की मिट्टी की क्षमता भी प्रभावित हुई है, जिससे कि यह ग्रीन हाउस गैस में परिवर्तित हो सकता है। 'इफेक्ट्स ऑफ एक्सपेरिमेंटल नाइट्रोजन डिपोजिशन ऑन सॉयल ऑर्गेनेकि कार्बन स्टोरेज इन सदर्न कैलिफोर्निया ड्राईलैंड्स' नाम से यह शोध पत्र ग्लोबल चेंज बायोलॉजी जर्नल में प्रकाशित हुआ है। इसमें शोधकर्ताओ ने पाया है कि नाइट्रोजन की वजह से शुष्क मिट्टी से कार्बन मुक्त होकर वापस वातावरण में लौट रहा है, जिससे यह जलवायु परिवर्तन में योगदान दे सकता है।

रिसर्च टीम को क्या पता चला ?

रिसर्च टीम को क्या पता चला ?

यूसी रिवरसाइड में पर्यावरण विज्ञान विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर और रिसर्च पेपर के को-ऑथर पीटर होम्यक ने कहा है, 'क्योंकि पौधों के लिए नाइट्रोजन फर्टिलाइजर के रूप में इस्तेमाल होता है, हमें उम्मीद थी कि अतिरिक्त नाइट्रोजन से पौधों के विकास के साथ-साथ माइक्रोबियल गतिविधि भी बढ़ेगी और इसके चलते मिट्टी में कार्बन की मात्रा बढ़ेगी।' यह दक्षिण कैलिफोर्निया के ज्यादातर हिस्सों में उन्होंने जो शुष्क भूमि की मिट्टी में जो कुछ देखा था, उससे अलग है। इसके उलट टीम ने पाया कि कुछ खास परिस्थितियों में शुष्क भूमि की मिट्टी को ज्यादा नाइट्रोजन अम्लीकृत और कैल्शियम से मुक्त करती है। कैल्शियम कार्बन को बांधे रखता है और दोनों जमीन को एकजुट रखती हैं।

मिट्टी की जैविक प्रक्रिया को नाइट्रोजन कैसे प्रभावित कर सकता है ?

मिट्टी की जैविक प्रक्रिया को नाइट्रोजन कैसे प्रभावित कर सकता है ?

किसी नतीजे पर पहुंचने के लिए शोधकर्ताओं ने उन मिट्टियों के सैंपल जुटाए जहां फर्टिलाइजर के तौर पर नाइट्रोजन का लंबे समय तक इस्तेमाल किया गया था। इससे उन्हें यह देखने को मिला कि इस्तेमाल होने वाले नाइट्रोजन की मात्रा कैसे असर डालती है। कई मामलों में नाइट्रोजन जैविक प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है, जिसके चलते कार्बन को रोके रखने की मिट्टी की क्षमता प्रभावित हो सकती है। इससे पौधों के विकास की प्रक्रिया पर असर पड़ सकता है और मृत चीजों के मिट्टी में विघटित करने में मदद करने वाले सूक्ष्म जीवों की क्षमता भी घट सकती है।

अजैविक प्रक्रिया के बारे में क्या पता चला ?

अजैविक प्रक्रिया के बारे में क्या पता चला ?

शोधकर्ताओं ने उम्मीद नहीं की थी कि मिट्टी में कार्बन स्टोरेज पर अजैविक प्रक्रिया का भी कोई खास असर पड़ सकता है। लेकिन, नतीजे चौंकाने वाले रहे हैं। कई जगहों पर देखा गया है कि इसकी वजह से भी मिट्टी की कार्बन को रोकने रखने की क्षमता पर असर पड़ा है, क्योंकि अजैविक प्रक्रिया में कैल्शियम की उसपर पकड़ ढीली पड़ी है। इस शोध के पहले लेखक और यूसीआर के पर्यावरण विज्ञान के छात्र Johann Püspök ने इस पर टिप्पणी की है, 'यह हैरान करने वाला नतीजा है, क्योंकि मुख्य प्रभाव अजैविक मालूम होता है...' उनके मुताबिक, 'इसका अर्थ ये हुआ कि बिना किसी पौधे वाले और कम माइक्रोबियल गतिविधि वाली मिट्टी के खुले क्षेत्र, जिन्हें मैंने हमेशा उन इलाकों की तरह सोचा था कि यहां कुछ भी खास नहीं है, वह नाइट्रोजन प्रदूषण से भी प्रभावित होते हैं...' जबकि, शुष्क जमीन वाली मिट्टी, जिसमें नमी नहीं रह पाती और कार्बनिक पदार्थ का स्तर भी कम होता है, मोटे तौर पर पृथ्वी के 45% इलाके को कवर करते हैं। दुनिया में बड़ी मात्रा में कार्बन इसी में होने चाहिए।

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कार्बन उत्सर्जन कम करना ही भविष्य

कार्बन उत्सर्जन कम करना ही भविष्य

वैज्ञानिकों का कहना है कि इसके लिए और शोध की आवश्यकता है कि दुनिया में शुष्क भूमि की मिट्टी नाइट्रोजन प्रदूषण से किस हद तक प्रभावित हो चुकी है। Püspök के मुताबिक, 'हमें इस बारे में ज्यादा जानकारी चाहिए कि इस तरह के अम्लीकरण के प्रभाव कितने व्यापक हैं और वे गैर-प्रायोगिक परिस्थितियों में नाइट्रोजन जमाव में कैसे काम करते हैं।' हालांकि, शोधकर्ताओं के भी फिलहाल यह समझ के बाहर है कि इन हालातों को कैसे रोका जा सकता है। इसलिए वह जितना संभव है उत्सर्जन घटाने पर जोर दे रहे हैं ताकि मिट्टी की कार्बन बची रहे। होम्यक कहते हैं, 'जीवाश्म ईंधन के जलने से पैदा होने वाले वायु प्रदूषण की वजह से अस्थमा के कारण मानवीय स्वास्थ्य समेत कई चीजों पर प्रभाव पड़ता है। यह कार्बन की उस मात्रा को भी प्रभावित कर सकते हैं, जो शुष्क जमीन में हमारे लिए जमा करके रख सकते हैं। इसलिए कई कारणों से हमें वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने की जरूरत है।'

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English summary
The increasing amount of nitrogen in the soil is also contributing to the climate change situation. This has been revealed in a research done in America
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