Global Warming: महासागरों के साथ हो रही है विचित्र घटना, 'Memory loss' पर बड़ी चेतावनी
कैलिफोर्निया, 10 मई: महासागर और समुद्र अपनी 'चेतना' बहुत ही तेजी के साथ खोते जा रहे हैं। सुनने में अजीब लगता है, लेकिन वैज्ञानिकों की एक बड़ी टीम ने काफी समय लगाकर इसपर शोध किया है और इस नतीजे पर पहुंचे हैं, जिसका कारण मानवीय गतिविधियां हैं। अगर यह सबकुछ ऐसे ही चलता रहा तो समुद्री पारिस्थितिक तंत्र बिगड़ सकता है और आखिरकार पूरी मानवता संकट में पड़ सकती है। चिंता की बात ये है कि इंसानों की वजह से प्रकृति अपना स्वभाव तेजी से बदलती जा रही है, जो आखिरकार हमें तबाही की ओर ही ले जाने वाला है।
महासागरों की तेजी से खत्म होने लगी है 'चेतना'
ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से दुनिया भर में महासागर साल-दर-साल अपनी 'चेतना' खोते जा रहे हैं। इसको लेकर कुछ शोधकर्ताओं ने इंसानों को सख्त चेतावनी दी है। मानवीय वजहों से यह स्थिति हर तरह के पर्यावरण मॉडल में पाई गई है, जिसका कारण तापमान में तेजी से बढ़ोतरी है। शोधकर्ताओं का कहना है कि जैसे-जैसे ग्रीनहाउस गैसों का प्रभाव बढ़ेगा, महासागरों की 'चेतना' में आ रही यह गिरावट और बढ़ती जाएगी। यह शोध एक साइंस जर्नल में प्रकाशित हुआ है। इसमें वातावरण में होने वाले मौसम में तेजी से बदलाव की तुलना में पाया गया है कि धीरे-धीरे महासागरों का तापमान बहुत हद तक ऐक ही जैसा
महासागर में भूलने की बीमारी विकसित हो रही है- रिसर्च
कैलिफोर्निया में पेटलुमा के फैरलॉन इंस्टीट्यूट की रिसर्चर और इस रिसर्च की लीड ऑथर हुई शी ने कहा है, 'हमने समुद्र की सतह के तापमान में एक साल के मुकाबले अगले साल की समानता की जांच करके इस घटना की खोज की है, जो महासागर की यादाश्त के लिए एक साधारण मीट्रिक के रूप में थी।' उन्होंने कहा, 'यह लगभग ऐसा ही है कि महासागर में भूलने की बीमारी विकसित हो रही है।'
भविष्य के लिए बहुत ही खतरनाक ट्रेंड
यहां महासागर की चेतना या स्मृति से मतलब उसके ऊपरी सतह की मोटाई से संबंधित है, जिसे मिश्रित परत के रूप में जाना जाता है। गहरे मिश्रित परत में ऊष्मा की मात्रा ज्यादा होती है, जो कि आखिरकार इसकी चेतना खोने का कारण बन जाता है। शोध के अनुसार मानवीय वजहों से तापमान में इजाफा होते रहने के कारण अधिकतर महासागरों की मिश्रित सतह उथली होती चली जाएगी, जिससे महासागर की चेतना में और गिरावट आएगी।
समुद्री पारिस्थितिक तंत्र प्रभावित होने की आशंका
कुल मिलाकर इस शोध का अर्थ यह है कि भविष्य में महासागरों में ज्यादा परिवर्तन नजर नहीं आएगा। हवाई यूनिवर्सिटी के वायुमंडलीय विज्ञान के प्रोफेसर फेयी-फेयी जिन ने कहा है, 'महासागर की यादाश्त में गिरावट के साथ कभी-कभार होने वाले उतार-चढ़ाव में बढ़ोतरी प्रणाली में आंतरिक परिवर्तन की ओर इशार करती हैं और वॉर्मिंग को लेकर नई चुनौतियों की भविष्यवाणी है।' महासागर की चेतना में गिरावट न केवल इसकी भौतिकता को प्रभावित करने की ओर इशारा है, बल्कि इससे समुद्री पारिस्थितिक तंत्र भी प्रभावित हो सकती है; और इसके प्रबंधन का हमारी तरीका भी बदलना पड़ सकता है।
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मौसम की भविष्यवाणी करना भी हो जाएगा मुश्किल
शोधकर्ताओं के अनुसार इसके चलते समुद्र से संबंधी अनुमान लगाने पर तो असर पड़ेगा ही, इसके तापमान के धरती पर प्रभाव और मौसम की चरम घटनाओं का पूर्वानुमान लगा पाना भी प्रभावित होगा। क्योंकि, मौसम की भविष्यवाणी समुद्र की सतह के तापमान पर बहुत कुछ निर्भर करता रहा है और यह इसका बहुत बड़ा स्रोत रहा है।