विश्व में पहली बार बाघिन की आंख का ऑपरेशन, टाइगर रत्ना की रोशनी डॉक्टरों ने बचाई
बाघिन की आंख का ऑपरेशन करने से पहले उसपर लगातार दो महीने तक बेहद सावधानी से नजर रखी गई थी।
लंदन, मई 16: विश्व में पहली बार ऐसा हुआ है जब एक बाघिन की आंख का ऑपरेशन कर उसकी आंख को बचाई जा सकी है। 17 साल का बाघिन, जो कैम्ब्रीज के पास शेपरेथ चिड़ियाघर में रहती है, उसकी आंख का पहले मोतियाबिंद ऑपरेशन किया गया था लेकिन बाघिन ने अपनी आंख में चोट लगा लिया था। जिसके बाद बाघिन को देखने में काफी परेशान हो रही थी, उसकी अब उसकी आंख का बड़ा ऑपरेशन किया गया है। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक टाइगर रत्ना की आंख की कॉर्नियल सर्जरी की गई है। किसी पालतू जानवर की आंख का कॉर्नियल सर्जरी करना कतई आसान नहीं है, खासकर बाघिन जैसे जानवर को लेकर ये काफी ज्यादा मुश्किल हो जाता है। लेकिन रत्ना की आंख का सफल ऑपरेशन किया गया है और उसकी आंखों की रोशनी खत्म होने से बचाई जा सकी है।
बाघिन की आंख का ऑपरेशन
क्वीन्स वेटरनिटी हॉस्पिटल के सर्जन डॉ. डेविल विलियम के मुताबिक बाघिन की आंख का ऑपरेशन करने से पहले उसपर लगातार दो महीने तक बेहद सावधानी से नजर रखी गई और अब उन्हें बेहद खुशी महसूस हो रही है कि वो बाघिन की आखों का सफल ऑपरेशन करने में कामयाब रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में ही रत्ना को उसके बच्चे के साथ पार्क से बाहर ले आया गया था क्योंकि उसकी आंखों में हर दिन आंखों की दवा दिया जाना था। उसकी बायीं आंख में दिक्कतें थी, लिहाजा उसकी लगातार चेकअप की जा रही थी।
फरवरी में किया गया छोटा ऑपरेशन
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक इससे पहले फरवरी महीने में टाइगर रत्ना की आंख का डिसकलरेशन को ठीक करने के लिए छोटा ऑपरेशन किया गया था लेकिन उस ऑपरेशन से उसकी आंखों पर कोई फर्क नहीं पड़ा और लगातार बाघिन रत्ना की आंख खराब होती चली गई। बाघिन रत्ना की आंखों का इलाज करने वाले डॉ. विलियम्स के मुताबिक शायद बाघिन ने जंगल में रहने के दौरान अपनी आंख को किसी बांस से किसी दूसरी चीज से रकड़ लिया होगा, जिसकी वजह से उसकी आंखों को काफी चोट लगा था। जिसके बाद फौरन उसकी आंख का ऑपरेशन करने का फैसला लिया गया। डॉ. विलियम्स कहते हैं कि शायद यह अपने आप में किसी बड़े जानवर की आंखों का होने वाला विश्व का पहला ऑपरेशन था। डॉ विलियम्स ने कहा कि 'हुड ग्राफ्ट' प्रक्रिया में "कंजंक्टिवा का एक फ्लैप-आंख का गुलाबी-कॉर्निया पर सुरक्षित होता है, जो कॉर्निया को खुद को ठीक करने की अनुमति देता है"।
30 मिनट चला ऑपरेशन
डॉ. विलियम्स के मुताबिक किसी बाघिन को बेहोश करना काफी मुश्लिक होता है। बाघिन रत्ना का वजन 93 किलो था और उसकी आंखों का ऑपरेशन करने में आधे घंटे का वक्त लगा। उन्होंने कहा कि 'यह ऑपरेशन वैसा ही था जैसे हम किसी कुत्ते या किसी बिल्ली की आंखों का ऑपरेशन करते हैं लेकिन बाघिन को बेहोश करना काफी मुश्किल होता है। लेकिन मुझे नहीं लगता है कि इससे पहले किसी ने किसी बाघ का शेर का ऑपरेशन किया है।' पार्क के डायरेक्टर के मुताबिक ऑपरेशन से पहले बाघिन अपने बाड़े में एक ऊंचे स्थान पर बैठी थी और ऐसा लग रहा था जैसे वो ऑपरेशन से पहले थोड़ा डरी हुई हो और नीचे उतरने से कतरा रही थी। उन्होंने कहा कि 'ऑपरेशन के बाद अब बाघिन रत्ना को ऑखों में ड्रॉप देने की जरूरत नहीं होगी और रत्ना को पहले भी आंखों में आई ड्रॉप लेना पसंद नहीं था।'
एक आंख से ज्यादा देखेगी रत्ना
डॉ. विलियम्स के मुताबिक रत्ना के लिए थोड़ी मुश्किल बात ये है कि उसकी बांयी आंख से अब काफी ज्यादा दिखाई देगा, जिसे समझना एक बाघिन के लिए थोड़ा मुश्किल होगा। लेकिन, हमें इस बात की संतुष्टि है कि हम रत्ना की आंख को बचाने में कामयाब रहे हैं। उन्होंने कहा कि 'मुझे लगता है कि मोतियाबिंद सर्जरी के बाद उस आंख की स्थिति उतनी अच्छी नहीं थी खासकर चोट लगने के बाद आंखों की स्थिति और ज्यादा खराब हो गई थी। डॉक्टर विलियम्स ने कहा कि अब रत्ना काफी अच्छा महसूस कर रही है और अगर आप उसे देखेंगे तो बिल्कुल नहीं कह सकते हैं कि उसकी आंखों का ऑपरेशन किया गया है।