क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

विवेचनाः ज़िया को सेनाध्यक्ष बनाना थी ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो की घातक भूल

ज़िया उल हक़ ने भुट्टो का तख़्ता पलटा और बाद में उन्हें फांसी पर चढ़वा दिया. रेहान फ़ज़ल की विवेचना.

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News

किस्सा मशहूर है कि जब ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो पाकिस्तान के विदेश मंत्री बने तो अपनी पहली अमरीका यात्रा के दौरान वो राष्ट्रपति कैनेडी से मिलने 'व्हाइट हाउस' गए.

भुट्टो कैनेडी को बहुत मानते थे और कैनेडी भी भुट्टो को बहुत पसंद करते थे. मुलाकात के बाद जब भुट्टो कैनेडी से विदा लेने लगे तो कैनेडी ने मुस्कराते हुए कहा, "अगर तुम अमरीकी नागरिक होते, तो मैं तुम्हें अपने कैबिनेट में ले लेता."

भुट्टो ने तपाक से जवाब दिया, "मिस्टर प्रेसिडेंट, अगर मैं अमरीकी होता तो मैं आपके मंत्रिमंडल में न हो कर आपकी जगह होता."

ब्लॉगः भुट्टो के नाम पर केक खाइए

भुट्टो बोले- 'दाढ़ी बनाने दो, मौलवी की तरह दुनिया से नहीं जाऊंगा'

पीलू मोदी के साथ ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो
BBC
पीलू मोदी के साथ ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो

पीलू मोदी थे भुट्टो के सबसे करीबी दोस्त

भुट्टो की इसी हाज़िरजवाबी का लोहा पूरी दुनिया मानती थी. लारकाना, सिंध में जन्मे ज़ुल्फ़ी भुट्टो की किशोरावस्था बंबई में बीती थी जहां उनके पिता शाहनवाज़ भुट्टो गवर्नर की काउंसिल के सदस्य हुआ करते थे. उस ज़माने में भुट्टो के सबसे नज़दीकी दोस्त होते थे एक ज़माने में स्वतंत्र पार्टी के नेता और जाने-माने सांसद पीलू मोदी.

हाल ही में भुट्टो की जीवनी लिखने वाली सैयदा सैयदेन हमीद बताती हैं, "जब भुट्टो और पीलू 14-15 साल के हुआ करते थे तो ये दोनों बंबई से मसूरी जाया करते थे. वहाँ ये दोनों 'शार्लेवेल होटल' में रुका करते थे. जब खाना सर्व होता था तो वो थोड़ी सी पुडिंग बचा लेते थे, ताकि जब बाद में उन्हें भूख लगे तो वो उसे खा सके. दोनों बंबई के मशहूर 'केथेडरल स्कूल' में पढ़ा करते थे."

पीलू मोदी भी अपनी किताब 'ज़ुल्फ़ी माई फ़्रेंड' में लिखते हैं, "छुट्टी के दिनों में हम दिनों सुबह साढ़े सात बजे टेनिस खेलते थे. उसके बाद बैडमिंटन और स्कवाश का सत्र होता था. रात के खाने के बाद ज़ुल्फ़ी मेरे घर के सामने से गुज़रता था और सीटी बजा कर मुझे बाहर बुलाता था और हम दोनों आधी रात तक मुंबई की सड़कों पर टहला करते थे."

1965: एक 'बेकार' युद्ध से क्या हासिल हुआ?

भारतीय क्रिकेटर मुश्ताक अली
Getty Images
भारतीय क्रिकेटर मुश्ताक अली

भुट्टो ने कैंची से मुश्ताक अली का प्लास्टर काटा

उस ज़माने में भुट्टो के नज़दीकी दोस्तों में मशहूर क्रिकेट कॉमेंटेटर ओमर कुरैशी और भारत के नामी टेस्ट क्रिकेटर रहे मुश्ताक अली भी हुआ करते थे.

इसका ज़िक्र करते हुए पीलू मोदी ने अपनी किताब में लिखा है, "मुश्ताक जब एक बार मैच खेलने बंबई आए तो ज़ुल्फ़ी के घर पर ही ठहरे. लेकिन अगले ही दिन शूते बनर्जी की एक तेज़ गेंद पर बुरी तरह से चोट खा बैठे. उनके हाथों पर प्लास्टर लगाया गया और उनसे कहा गया कि वो अगले कुछ दिन 'क्रिकेट क्लब ऑफ़ इंडिया' के गेस्ट हाउज़ में रहें. रात में वो इतने बेचैन हो गए कि उन्होंने आधी रात को भुट्टो को फ़ोन मिला कर उनसे तुरंत क्लब आने के लिए कहा. जब वो वहाँ पहुंचे तो उन्होंने उनसे कहा कि तुम मुझे वापस अपने घर ले चलो. रात को ही उन्होंने कैंची से अपने हाथ पर लगा प्लास्टर कटवाया और फिर तब जा कर वो चैन से पूरी रात सो पाए."

जब पीलू ने कहा, 'I am a CIA Agent'

ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो
Getty Images
ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो

नुसरत इस्फ़हानी से पहली मुलाकात

मुंबई में शुरुआती पढ़ाई के बाद भुट्टो अमरीका चले गए जहाँ बर्कले विश्वविद्यालय से उन्होंने राजनीति विज्ञान की डिग्री ली. 1953 में जब वो पाकिस्तान लौटे तो उनकी मुलाकात ईरान में जन्मी नुसरत इस्फ़हानी से हुई. भुट्टो को एक और जीवनीकार स्टेनली वोलपर्ट ने इस मुलाकात का बहुत दिलचस्प वर्णन अपनी किताब 'ज़ुल्फ़ी भुट्टो ऑफ़ पाकिस्तान' में किया है.

वोलपर्ट लिखते हैं, "बेगम नुसरत ने मुझे बताया था कि पहली बार उन्होंने भुट्टो को तब देखा था जब वो एक शादी में अपने ज़ेवर निकालने बैंक गई थीं. भुट्टो भी अपनी माँ के साथ ज़ेवर निकालने बैंक आए हुए थे. वहीं उनकी माँ ने मेरा परिचय भुट्टो से करवाया था. पहली नज़र में वो मुझे ज़रा भी आकर्षक नहीं लगे."

बेगम नुसरत ने आगे बताया, "उनकी बहन की शादी पर हमारी दोबारा मुलाकात हुई. वलीमे में वो मेरे साथ डांस करने लगे. उन्होंने मुझे कस कर पकड़ने की कोशिश की. मैंने उनसे फुसफुसा कर कहा, 'ये पाकिस्तान है जनाब, अमरीका नहीं'! ज़ुल्फ़ी ने ये सुन कर ज़ोर का ठहाका लगाया. उनकी हिम्मत देखिए कि खाना ख़त्म होने से पहले ही उन्होंने मुझे अपनी कार में मुझे मेरे घर छोड़ने की पेशकश कर डाली. मैंने कहा, मैं अपनी कार लाई हूँ. आप ये ज़हमत मत करिए. वो इतने ढीठ थे कि तब भी बोले, 'चलिए हमारे साथ आइसक्रीम ही खा लीजिए.' मैंने साफ़ इंकार कर दिया."

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ज़ुल्फिकार अली भुट्टो का ऐतिहासिक भाषण

ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो का परिवार
Getty Images
ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो का परिवार

भाषणों के जादूगर

इस शुरुआती ना के बाद नुसरत ने आख़िर हाँ कर दी और दोनों वैवाहिक बंधन में बंध गए. भुट्टो ने राजनीति में कदम रखा और अयूब ख़ाँ मंत्रिमंडल में कई पदों पर काम करने के बाद मात्र 34 साल की उम्र में विदेश मंत्री बन गए.

सैयदा सैयदेन हमीद बताती है, "विदेश मंत्री के रूप में भुट्टो ने ग़ज़ब का काम किया. उन्होंने 1965 और 1971 में संयुक्त राष्ट्र संघ में बेजोड़ भाषण दिए. उनके भाषणों में एक ख़ास लय और अल्फ़ाज़ों का समुंदर हुआ करता था जो बहता चला जाता था. उनके संवाद तर्कों से भरे होते थे. एक छोटे देश को जिसे दुनिया ने करीब करीब नकार दिया था, उन्होंने उसे इज़्ज़त प्रदान करवाई. उनके इस योगदान की बहुत कम जगह क़द्र की गई है."

हमीद कहती हैं, "पाकिस्तान का विदेश मंत्री सुरक्षा परिषद के मंच पर कागज़ फाड़ कर वॉक आउट करे और उसपर आरोप लगाए कि वो अपना कर्तव्य नहीं निभा रहा है, उनसे पहले किसी ने ये जुर्रत नहीं की थी. वो दरअसल वहाँ पूरी दुनिया को तो संबोधित कर ही रहे थे, वहाँ से अपने देश के लोगों से भी मुख़ातिब हो रहे थे."

याह्या खान
BBC
याह्या खान

याह्या के बाद राष्ट्रपति का पद संभाला

भारत में भुट्टो के इस 'वॉक आउट' को 'हूट' किया गया, लेकिन पाकिस्तान में वो इस नाटकीय भाषण से वो युद्ध हारने के बावजूद रातोंरात हीरो बन गए. न्यूयार्क से लौटते समय वो रोम में रुके, जहाँ पाकिस्तान वापस लाने के लिए 'पीआईए' का विमान भेजा.

एक ज़माने में भुट्टो मंत्रिमंडल के सदस्य और पंजाब के गवर्नर रहे ग़ुलाम मुस्तफ़ा खार बताते हैं, "उस रात पूरे पाकिस्तान में 'ब्लैक आउट' था. मैं दो घंटे कार चला कर इस्लामाबाद से पिंडी पहुंचा. याह्या खान एक कमरे में अकेले बैठे हुए थे. उनके सामने स्कॉच का एक गिलास रखा हुआ था. उन्होंने मुझसे कहा खार साहब आप कुछ भी हो ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो को वापस बुलाएं. वो भुट्टो को प्रधानमंत्री बनाना चाहते थे, लेकिन वो ये भी चाहते थे कि वो राष्ट्रपति बने रहें."

खार कहते हैं, "मैंने फिर भुट्टो साहब से रोम में संपर्क किया और उनसे फ़ोन पर कहा कि सर आप वापस आ जाइए. भुट्टो ने मुझसे पूछा भी कि कहीं मरवा तो नहीं दोगे? उन्होंने पूछा कि माजरा क्या है? मैंने कहा कि फ़ोन पर तो आपको पूरी तफ़्सील बता नहीं सकता क्योंकि यहाँ सारे फ़ोन टैप किए जा रहे हैं. मैं सिर्फ़ इतना कह सकता हूँ कि ये एक 'टर्न की' जॉब है. आप सिर्फ़ यहाँ तशरीफ़ ले आएं. सब कुछ ठीक हो जाएगा."

सीधे हवाई अड्डे से प्रेसिडेंट हाउ

भुट्टो को सीधे हवाई अड्डे से प्रेसिडेंट हाउस ले जा कर राष्ट्रपति और चीफ़ मार्शल लॉ एडमिनिसट्रेटर का पद सौंपा गया.

ग़ुलाम मुस्तफ़ा खार आगे बताते हैं, "मैं अपने दोस्त की 'मर्सिडीज़' कार ले कर भुट्टो को लेने हवाई अड्डे गया. वो मेरी कार पर बैठे और पूछा कि कहाँ चलना है? मैंने कहा सीधे 'प्रेसिडेंट हाउज़' चलना है. इंशा अल्लाह आज ही आपको पावर ट्रांसफ़र हो जाएगी. वहाँ याहिया ख़ाँ उनका इंतेज़ार कर रहे थे. उन्होंने कहा कि चूंकि आप पश्चिमी पाकिस्तान के चुने हुए नेता है, इसलिए मैंने आपको सत्ता हस्तांतरित करने का फ़ैसला किया है. अब सवाल ये उठा कि सत्ता का हस्तांतरण कैसे हो?"

ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो
BBC
ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो

खार कहते हैं, "आर्मी में एक होता है कर्नल. उसका नाम मुझे अब याद नहीं है लेकिन उसको जैक कह कर पुकारा जाता है. उसको बुलाया गया उसने सलाह दी कि एक ही दशा में भुट्टो साहब को सत्ता ट्रांसफ़र हो सकती है कि उन्हें चीफ़ मार्शल लॉ एडमिनिस्ट्रेटर की शक्ति हस्तांतरित कर दी जाए. उसी तरह का दस्तावेज़ तैयार किया गया जिस पर कैबिनेट सेक्रेट्री ग़ुलाम इसहाक़ ख़ाँ ने दस्तख़त किए."

वो कहते हैं, "भुट्टो साहब ने आख़िर में कहा कि इस समय सिर्फ़ तुम और हम मौजूद हैं. हमारी पार्टी के महा सचिव जे ए रहीम को भी बुलवा लो, नहीं तो बाद में जब उसे पता चलेगा तो वो बहुत बुरा मानेगा. जब भुट्टो राष्ट्रपति बने तो वहाँ सिर्फ़ तीन लोग मौजूद थे- मैं, जे ए रहीम और ग़ुलाम इसहाक़ ख़ाँ. लेकिन भुट्टो साहब ने याह्या खान की राष्ट्रपति बनने की ख़्वाहिश को नामंज़ूर कर दिया. उन्होंने कहा कि अगर मैं ऐसा करता हूँ तो राजनीतिक रूप से मुझे बहुत नुक्सान हो जाएगा और आप भी राष्ट्रपति नहीं रह पाएंगे. आपकी जगह भी कोई दूसरा आ जाएगा. याह्या खान को भुट्टो की बात माननी पड़ी."

नींद न आने की बीमारी थी भुट्टो को

भुट्टो ने इंदिरा गाँधी के गरीबी हटाओ की तर्ज़ पर 'रोटी कपड़ा और मकान' का नारा दिया. भारत से शिमला समझौता कर 93000 पाकिस्तानी युद्धबंदियों को छुड़ा कर वापस लाने को पाकिस्तानी जनता ने उनकी एक उपलब्धि के तौर पर लिया.

भुट्टो के 'एडीसी' रहे अरशद समी ख़ाँ अपनी किताब 'थ्री प्रैसिडेंट एंड एन एड' में लिखते हैं, "भुट्टो एक सुपर कंप्यूटर की तरह सोचते थे. उनकी याद्दाश्त का भी कोई सानी नहीं था. मुझे लगता है कि उन्हें रात में नींद न आने की बीमारी थी."

इंदिरा गांधी के साथ भुट्टो
Getty Images
इंदिरा गांधी के साथ भुट्टो

वो लिखते हैं, "एक बार उन्होंने मुझे आधी रात को फ़ोन कर अपने साथ खाना खाने के लिए बुलाया. खाना खाते समय ही उन्होंने उन लोगों के नाम पूछ लिए जो उनसे मिलना चाहते थे. खाने के बाद मैंने उनको उन लोगों की लिस्ट दिखा दी. उन्होंने पेंसिल उठा कर 14 लोगों के नाम के आगे निशान लगाए और कहा कि इन्हें 15-15 मिनट के अंतराल पर बुला लो. मैंने कहा कि आपके अगले कुछ दिन बहुत ही व्यस्त रहने वाले है और फिर आप कराची भी जाने वाले हैं. मैंने कहा कि कराची से लौटने के बाद मैं ये मुलाक़ाते 'फ़िक्स्ड' कर दूंगा."

वो लिखते हैं कि, "भुट्टो हंसते हुए बोले, समी इस समय क्या तुम बहुत नींद में हो? मेरा आशय है कि मैं इन लोगों से अभी इस वक्त से ले कर सुबह सवा चार बजे के बीच मिलना चाहता हूँ और आपको उसके बाद सुबह साढ़े चार बजे मेरे पहले मंत्रिमंडल की शपथ ग्रहण समारोह का इंतज़ाम भी करना है. मुझे ये इंतज़ाम करने में नाको चने चबाने पड़ गए. कइयों ने तो ये समझा कि उन्हें नकली फ़ोन कॉल किए जा रहे हैं. एक दो ने तो ये भी कहा कि वो इतनी देर रात फ़ोन करने के लिए पुलिस में मेरे ख़िलाफ़ शिकायत करेंगे."

जब कास्त्रो ने इंदिरा को छाती से लगा लिया

ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो
Getty Images
ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो

स्टायलिश कपड़ो के शौकीन थे भुट्टो

भुट्टो के बारे में मशहूर था कि वो दुनिया के सबसे स्टायलिश कपड़े पहनने वाले राजनेता थे. उनके सारे सूट कराची का उनका दर्ज़ी हामिद सिला करते थे. लेकिन जब वो प्रचार करने निकलते थे तो हमेशा सलवार कमीज़ का अवामी लिबास पहना करते थे 1971 में सत्ता में आने के बाद उन्होंने अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों के लिए एक ड्रेस कोड बनाया था, बंद गले का कोड और पतलून.

पत्रकारों के बीच उनके मंत्रियों की इस ड्रेस का 'बैंड मास्टर' कह कर मज़ाक भी उड़ाया जाता था. भुट्टों पागलों की हद तक नेपोलियन बोनापार्ट के मुरीद थे. उनके 70 क्लिफ़्टन वाले घर की लाएब्रेरी में किताबों के कम से कम सात शेल्फ़ नेपोलियन पर लिखी किताबों से भरे पड़े थे.

भुट्टो की जीवनी लिखने वाले सलमान तासीर लिखते हैं कि भुट्टो कभी सुबह का नाश्ता नहीं करते थे. वो 10 बजे के आसपास काफ़ी का एक प्याला पीते थे. उनका लंच भी बहुत हल्का होता था. शाम की चाय वो ढ़ंग से पीते थे और उनका रात का खाना भी अच्छा ख़ासा हुआ करता था.

ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो
BBC
ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो

5 फ़ीट 11 इंच लंबे भुट्टो हमेशा फिट दिखाई देते थे, हालांकि वो कोई कसरत या योग नहीं करते थे. हाँ कभी कभार तैरने का शौक उन्हें ज़रूर था. एक बार उन्होंने इटालियन पत्रकार ओरियाना फ़लाची के सामने शेख़ी बघारी थी कि वो इंदिरा गाँधी से पूरे 10 साल छोटे हैं और उनसे ज़्यादा जिएंगे. पाकिस्तान की गरीबी के बावजूद उन्हें राष्ट्रपति के लिए 'फ़ॉल्कन जेट' खरीदने के लिए लाखों डॉलर ख़र्च करने में कोई गुरेज़ नहीं था.

उनकी सिल्क की कमीज़े लंदन की मशहूर 'टर्नबुल अंड एसेर' कंपनी से ख़रीदी जाती थीं. उनकी सिल्क टाइएं 'वाईएसएल' और 'क्रिश्चियन डेओर' की होती थीं और उनके जूते या तो 'गुची' के होते थे या 'बाली' के. रात के खाने के बाद वो 'डेविडौफ़' का एक सिगार पिया करते थे. उनकी एक ख़ास अदा थी कि सिगार सुलगाने से पहले वो उसे 'रेमी मार्टिन' ब्रांडी मे डुबोया करते थे.

वो सुरंग जिसका सपना नेपोलियन ने देखा था

ज़िया उल हक़
BBC
ज़िया उल हक़

ज़िया को सेनाध्यक्ष बनाना सबसे बड़ी चूक

ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो से सबसे बड़ी चूक तब हुई जब उन्होंने एक जूनियर सैनिक अफ़सर ज़िया उल हक़ को पाकिस्तान का सेनाध्यक्ष बना दिया. गुलाम मुस्तफ़ा खार का कहना हैं कि उन्होंने इस के लिए बाकायदा भुट्टो को आगाह किया था.

खार बताते हैं, "जब मैंने भुट्टो से कहा कि ज़िया इस पद के लायक नहीं हैं तो भुट्टो ने कहा कि तुम ऐसा कैसे कह सकते हो? फिर उन्होंने कहा कि तुम मेरे कुछ सवालों के जवाब दो. क्या ज़िया देखने में प्रभावशाली है? मैंने कहा नहीं, फिर उन्होंने पूछा क्या वो यहाँ पैदा हुआ है? मैंने कहा नहीं. फिर उन्होंने सवाल किया क्या वो अच्छी अंग्रेज़ी बोल सकता है? मैंने कहा वो भी नहीं. फिर उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की सेना उन्हीं जनरलों को स्वीकार करती है जो अच्छी अंग्रेज़ी बोलते हों या फिर वो सैंडहर्स्ट में पढ़े हों. ये तो बाहर से आया हुआ शख़्स है जो इतना प्रभावहीन है कि मुझे इससे ज़्यादा कोई नहीं सूट करेगा."

ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो की जीवनी लिखने वाली सैयदा सैयदेन हमीद बीबीसी स्टूडियो में रेहान फ़ज़ल के साथ
BBC
ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो की जीवनी लिखने वाली सैयदा सैयदेन हमीद बीबीसी स्टूडियो में रेहान फ़ज़ल के साथ

भुट्टो का ज़िया के बारे में आकलन पूरी तरह ग़लत साबित हुआ. यही ज़िया उल हक़ बाद में भुट्टो की मौत का कारण बने. उन्होंने न सिर्फ़ भुट्टो का तख़्ता पलटा बल्कि एक विवादास्पद मुक़दमे के बाद उन्हें फांसी पर चढ़वा दिया.

विडंबना ये थी कि भुट्टो ने ज़िया के पूरे परिवार को उनकी मानसिक रूप से विक्षिप्त लड़की का इलाज करवाने अमरीका भेजा था. जिस दिन भुट्टो को नज़रबंद किया गया, उस दिन ज़िया का पूरा परिवार अमरीका में ही था.

आम की पेटियों में धमाके से हुई ज़िया उल हक़ की मौत?

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Explanation Zia was made the army chief a fatal mistake of Zulfikar Ali Bhutto
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X