क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

ना अमेरिका को छोड़ सकते ना रूस को, क्या यूक्रेन संकट पर चीन के खेल में फंस गया है भारत?

यूक्रेन पर रूस साल 2014 में भी सैन्य हमला कर चुका है और यूक्रेन के क्रीमिया पर अपना अधिकार जमा चुका है और मार्च 2014 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार ने खुलकर रूस का पक्ष लिया था।

Google Oneindia News

नई दिल्ली, जनवरी 28: यूक्रेन पर हमला करने के लिए रूस के सैनिक राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के ऑर्डर का इंतजार कर रहे हैं और किस भी क्षण खबर आ सकती है, कि रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया है। यूक्रेन पर अगर रूस हमला करता है, तो भारत का रूख क्या होगा, भारत पर यूक्रेन संकट का असर क्या पड़ेगा और भारत के लिए एक साथ अमेरिका और रूस, दोनों के साथ अच्छे संबंध को मैनेज करना कैसे मुश्किल हो गया है और इन सबके बीच चीन ने भारत को कैसे फंसा दिया है, ये हम जानने की कोशिश करते हैं।

चीन ने भारत को फंसाया!

चीन ने भारत को फंसाया!

यूक्रेन पर रूसी हमले का खतरा काफी ज्यादा बढ़ा हुआ है और जिस तरह से अमेरिका समेत पश्चिमी देश प्रतिक्रिया दे रहे हैं, उससे साफ जाहिर होता है, कि रूस कभी भी यूक्रेन पर हमला कर सकता है। लेकिन, इन सबके बीच अमेरिका के एक और 'दुश्मन' चीन ने खुलकर रूस का साथ दे दिया है। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने खुलेतौर पर रूस का समर्थन कर दिया है, जिसकी जरूरत रूस को थी और जिसके लिए रूस पिछले लंबे अर्से से चीन के साथ अपने संबंधों को मजबूत कर रहा था। 4 फरवरी से बीजिंग में ओलंपिक खेलों का आयोजन होना है, जिसका अमेरिका समेत कई यूरोपीय देशों में डिप्लोमेटिक बहिष्कार कर रखा है, लेकिन ओलंपिक में शामिल होने के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जा रहे हैं। यानि, साफ है...यूक्रेन को लेकर दुनिया दो हिस्सों में बंट चुकी है। लेकिन, भारत कहां खड़ा है और भारत का आधिकारिक रूख क्या है, ये अभी तक साफ नहीं हो पाया है। विशेषज्ञों का मानना है कि, चीन ने रूस को सीधा समर्थन दे दिया है, जिसका मतलब ये हुआ, कि अब भारत के लिए बैलेंस बनाना काफी मुश्किल हो चुका है।

रूस को चीन का खुला समर्थन

रूस को चीन का खुला समर्थन

चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने साफ तौर पर रूस को समर्थन देने का ऐलान करते हुए कहा कि, 'अमेरिका को रूस की वैधानिक सुरक्षा चिंताओं को गंभीरता से लेना चाहिए', यानि, चीन ने अपना पक्ष साफ कर दिया है और यही चीन से उम्मीद भी थी। चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने अमेरिका और नाटो गठबंधन पर निशाना साधते हुए कहा कि, 'सैन्य गठबंधन को मजबूत करके या फिर सैन्य गठबंधन का विस्तार कर क्षेत्रीय सुरक्षा की गारंटी नहीं दी जा सकती है'। विशेषज्ञों का मानना है कि, चीन ने एक तीर से दो निशाने साधे हैं। एक तो यूक्रेन के नाटो में शामिल होने की मांग को क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया है, दूसरी तरफ चीन की नजर 'क्वाड' पर भी है। इसके साथ ही विशेषज्ञों का मानना है कि, चीन और रूस, इस वक्त दोनों को एक दूसरे की जरूरत है, लेकिन इन सबके बीच रूस, भारत को लेकर क्या सोच रहा है और भारत यूक्रेन संकट पर क्या सोच रहा है, ये काफी अहम है।

भारत ने 2014 में क्या किया था?

भारत ने 2014 में क्या किया था?

यूक्रेन पर रूस साल 2014 में भी सैन्य हमला कर चुका है और यूक्रेन के क्रीमिया पर अपना अधिकार जमा चुका है और मार्च 2014 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार ने खुलकर रूस का पक्ष लिया था, जबकि अमेरिका और यूरोप यूक्रेन के साथ थे। भारत ने 2014 में प्रतिक्रिया दी थी, कि 'यूक्रेन और क्रीमिया में रूस का तार्किक हित जुड़ा हुआ है' और भारत के रूख की रूसी राष्ट्रपति ने सराहना की थी। लेकिन, इस बार भारत का रूख क्या होगा? विशेषज्ञों का मानना है कि, 2014 की तुलना में अब वैश्विक हालात बदल चुके हैं और बीबीसी की एक रिपोर्ट में विशेषज्ञों ने कहा है कि, 'दो महाशक्तियों अमेरिका और रूस के बीच तालमेल बिठाना अब भारत के लिए आसान नहीं होने वाला है'। विशेषज्ञों ने कहा कि, 'वैसे भारत की कोशिश होगी, कि वो महाशक्तियों की लड़ाई के बीच नहीं आए, लेकिन कई बार आप बीच में आए बिना भी प्रभावित होते हैं और भारत का प्रभावित होना तय है।'

रूस को चीन की जरूरत

रूस को चीन की जरूरत

विशेषज्ञों का कहना है कि, अगर रूस ने यूक्रेन पर हमला करने की योजना बना रखी है, तो फिर उसे भारत से ज्यादा चीन की जरूरत होगी। क्योंकि, रूस जैसे ही हमला करता है, ठीक वैसे ही अमेरिका और यूरोप रूस के ऊपर काफी ज्यादा कड़े प्रतिबंध थोप देंगे, ऐसे में रूस को जिस तरह से चीन मदद कर सकता है, उस तरह से भारत नहीं कर सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि, रूस को इन स्थितियों में चीन की जरूरत होगी और रूस अपना हित देखने के लिए भारत के संबंधों की परवाह नहीं करेगा। जवाहर लाल यूनिवर्सिटी के असोसिएट प्रोफेसर राजन कुमार ने बीबीसी को दिए एक इंटर्व्यू में बताया कि, 'अगर यूक्रेन पर रूस हमला करता है, तो चीन के साथ रूस की करीबी काफी बढ़ जाएगी और ये स्थिति भारत के लिए सही नहीं होगा।' प्रोफेसर राजन कुमार कहते हैं, कि 'भारतीय सैन्य सामानों की आपूर्ति रूस करता है और चीन रूस पर भारत को सैन्य सामानों की आपूर्ति रोकने के लिए दवाब बना सकता है। हालांकि, रूस भारत को सैन्य सामानों की आपूर्ति तो नहीं रोकेगा, लेकिन इंडो-पैसिफिक में भारत की अमेरिका के साथ रणनीतिक साझेदारी प्रभावित हो सकती है'।

रूस करता है सैन्य सामानों की आपूर्ति

रूस करता है सैन्य सामानों की आपूर्ति

विशेषज्ञों की चिंता इस बात को लेकर है, कि रूस करीब करीब 60 फीसदी सैन्य सामानों की आपूर्ति भारत को करता है और भारत के लिए रूस के साथ साथ अमेरिका भी महत्वपूर्ण सैन्य और रणनीतिक भागीदार बन चुका है। चीन की सीमा पर भारत अमेरिकी टोही विमानों से सैन्य निगरानी करता है, साथ ही भारत खुफिया जानकारियों के लिए कई अमेरिकी सैन्य प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करता है। इतना ही नहीं, चीन की सीमा पर तैनात करीब 50 हजार से ज्यादा जवानों के लिए भारत से यूरोपीय सैन्य भागीदारों से ही गर्म कपड़े मंगवाए हैं, लिहाजा भारत के लिए रूस और अमेरिका में एक विकल्प चुनना काफी मुश्किल होने वाला है।

भारत के साथ यूक्रेन के रिश्ते

भारत के साथ यूक्रेन के रिश्ते

भारत के साथ यूक्रेन के रिश्ते भी अच्छे ही रहे हैं। यूक्रेन में भारी तादाद में भारतीय छात्र मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई करते हैं और भारत के लिए ये बड़ी चिंता की बात है। यूक्रेन की राजधानी कीव स्थिति भारतीय दूतावास ने कहा है कि, यूक्रेन में रहने वाले सभी भारतीयों से संपर्क किया जा रहा है। सरकारी अनुमानों के अनुसार, 2020 में 18,000 भारतीय छात्र यूक्रेन में थे, लेकिन हो सकता है कि कोविड लॉकडाउन और कई जगहों पर ऑनलाइन क्लास चलने के कारण छात्रों की संख्या कुछ कम हो गई हो। पिछले साल के अंत में भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की यूक्रेन के राष्ट्रपति से मुलाकात भी हुई थी और दोनों देशों ने आपसी संबंधों को बढ़ाने का फैसला किया था। लिहाजा भारत के लिए एकाएक यूक्रेन के खिलाफ फैसला लेना भी आसान नहीं होने वाला है।

भारत पर क्या होगा असर?

भारत पर क्या होगा असर?

जिस तरह के हालात हैं, अगर रूस यूक्रेन पर हमला करता है, तो उसपर अमेरिका समेत पश्चिमी देश उसपर काफी कड़े प्रतिबंध लगा देंगे। और यूरोपीय देशों को गैस सप्लाई करना रूस बंद कर देगा। ऐसे में इसका असर तेल की कीमतों पर पड़ेगा और दुनियाभर में तेल की कीमतों में भारी इजाफा होगा। वहीं, यूरोप को तेल और गैस की आपूर्ति बंद करने के बाद रूस चाहेगा कि चीन उसका तेल खरीदे और वैश्विक ऊर्जा बाजार पर भी काफी विपरीत असर पड़ेगा और तेल की कीमतें बढ़ने से भारतीय बाजार पर इसका बुरा असर पड़ेगा।

पाकिस्तान की फायदा उठाने की कोशिश

पाकिस्तान की फायदा उठाने की कोशिश

इसके साथ ही रूस-यूक्रेन संकंट के बीच पाकिस्तान भी इसका फायदा उठाने की कोशिश करेगा। पाकिस्तान के संबंध अमेरिका से खराब हो चुके हैं, लिहाजा पाकिस्तान चाहेगा, कि वो रूस के साथ नजदीकी संबंध बनाए। पिछले दिनों पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से टेलीफोन पर बात की थी, जिसमें इमरान खान ने व्लादिमीर पुतिन को पाकिस्तान आने का न्योता दिया था। हालांकि, अभी तक रूसी राष्ट्रपति की तरफ से कोई जवाब नहीं दिया गया है, लेकिन अगर व्लादिमीर पुतिन पाकिस्तान की यात्रा करने के लिए राजी होते हैं, तो वो पहली बार पाकिस्तान की यात्रा करेंगे और ये भारत के लिए बड़ा झटका होगा, कि उसका सबसे भरोसेमंद 'दोस्त' उसके दुश्मन खेमे में नजर आए। लिहाजा अब देखना दिलचस्प होगा, कि भारत इन बदलते वैश्विक हालात में किस तरह से आगे कदम बढ़ाता है और सबसे ज्यादा दिलचस्प ये देखना होगा, कि भारत, रूस और अमेरिका के बीच कैसे तालमेल बनाता है।

पांच आसान सवालों में समझिए क्या है रूस-यूक्रेन संकट, अगर युद्ध हुआ तो दुनिया पर क्या होगा असर?पांच आसान सवालों में समझिए क्या है रूस-यूक्रेन संकट, अगर युद्ध हुआ तो दुनिया पर क्या होगा असर?

English summary
What is the impact of Russia-Ukraine dispute on India? Will Russia not care about relations with India in order to get China's support?
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X