यूरोपीयन यूनियन कर रहा है सभी मोबाइल के लिए एक ही चार्जर की तैयारी, एप्पल नाराज, भारत में लागू होना नियम?
यूरोपीयन यूनियन ने सभी मोबाइल फोन के लिए एक चार्जर का प्रस्ताव दिया है, जिसका विरोध एप्पल की तरफ से किया गया है।
नई दिल्ली, सितंबर 25: यूरोपीयन यूनियन अपने सभी सदस्य देशों में सभी किस्म के मोबाइल के लिए एक ही तरह के चार्जर बनाने के नियम को अनिवार्य बनाने की तैयारी कर रहा है, जिससे मोबाइल फोन बनाने वाली कंपनी एप्पल नाराज हो गई है। यूरोपीयन कमीशन ने एक ऐसे नियम का प्रस्ताव किया है, जिसमें मोबाइल फोन मैन्यूफैक्चरर्स पर यूनिवर्सल चार्जर बनाने के लिए दबाव डाला जाएगा। यानि, इसका मतलब ये हुआ कि मोबाइल फोन चाहे किसी भी कंपनी का क्यों ना हों, उसका चार्जर एक ही होगा।
सी- पिन चार्जर होगा अनिवार्य!
यूरोपीयन यूनियन के प्रस्ताव में कहा गया है कि यूरोपीयन यूनियन के अंतर्गत जितने भी दश आते हैं, उन सभी देशों में यूएसबी-सी प्वाइंट चार्जर अनिवार्य होना चाहिए। यूरोपीयन यूनियन के इस प्रस्ताव के बाद सबसे ज्यादा गुस्सा एप्पल कंपनी को आया है और एप्पल कंपनी ने इस प्रस्ताव का भारी विरोध किया है। एप्पल मोबाइल कंपनी का कहना है कि यूरोपीयन यूनियन के इस फैसले से उसके इनोवेशन को नुकसान पहुंचेगा। एप्पल कंपनी कस्टम चार्जिंग पोर्ट का इस्तेमाल करने वाले स्मार्टफोन बनाने वाली विश्व की सबसे बड़ी प्रोडक्शन कंपनी है। एप्पल कंपनी की तरफ से जो मोबाइल फोन बनाए जाते हैं, उनमें 'लाइटनिंग कनेक्टर' का इस्तेमाल किया जाता है।
इलेक्ट्रॉनिक कचरा से भारी समस्या
दरअसल, यूरोपीयन यूनियन का ये फैसला लोगों को सुविधा देने के लिए नहीं है, बल्कि यूरोपीयन यूनियन इलेक्ट्रॉनिक कचरा कम करने के लिए इस प्रस्ताव को लागू करना चाहता है। ज्यादातर मोबाइल बनाने वाली कंपनियां एंड्ऱॉयड फोन में यूएसबी माइक्रो-बी चार्जिंग पोर्ट देते हैं, हालांकि, अब मोबाइल फोन को जल्द से जल्द चार्ज करने के लिए यूएसबी-सी चार्जिंग पोर्ट का निर्माण मोबाइल कंपनियां करने लगी हैं। यूरोपीयन यूनियन के नेता पिछले कई सालों से एक यूनिवर्सल चार्जर लाने की मांग कर रहे हैं। यूरोपीयन यूनियन का कहना है कि यूरोपीय जदेश में हर साल कम से कम 11 हजार टन इलेक्ट्रॉनिक कचरा सिर्फ मोबाइल के चार्जर की वजह से जमा हो जाता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, सिर्फ पिछले साल यूपोपीयन यूनियन के देशो में 420 अरब मोबाइल और दूसरे पोर्टेबल मोबाइल मशीने बेची गई है। यूरोपीयन देशों में औसतन एक शख्स के पास तीन मोबाइल चार्जर होते हैं, जिनमें से वो दो का उगयोग नियमित तौर पर करहते हैं।
भारत में भी यूनिवर्सल चार्जर ?
ऐसा अनुमान है कि भारत में आने वाले वक्त में भी यूनिवर्सल चार्जर की मांग उठ सकती है। कई मोबाइल कंपनियों ने सी-पिन चार्जर देना शुरू कर दिया है, लेकिन अभी भारत में लोगों की ऐसी कोई मांग नहीं है। चूंकी भारत के मोबाइल फोन बाजार में चीन के मोबाइल फोन का ही एकछत्र राज्य है, लिहाजा भारतीय बाजारों में चीन के ही बने चार्जर बिकते हैं। ऐसे में फिलहाल नहीं लग रहा है कि भारत में यूनिवर्सल चार्जर की मांग की जाएगी या फिर भारत में मोबाइल कंपनियों को यूनिवर्सल चार्जर बनाने के आदेश दिए जाएंगे।